AIIMS के डाक्टर दूर से ही करेंगे दिल की हिफाजत, फोन के जरिए घर बैठे पुराने मरीजों का होगा इलाज
दिल के मरीजों को एक निश्चित समयावधि के अंतराल पर बार-बार फालोअप के लिए एम्स आना पड़ता है। इसके मद्देनजर एम्स प्रशासन पुराने मरीजों के फालोअप के लिए टेलीकंसल्टेशन की सुविधा शुरू कर रहा है। इसके तहत सप्ताह में तीन दिन एम्स के कार्डियोलाजी के डाक्टर फोन पर उपलब्ध रहेंगे।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोरोना ने देश को टेलीकंसल्टेशन की नई राह दिखाई है। कोरोना के बाद अब यह इलाज का ऐसा अहम हिस्सा बन रहा है जिससे मरीजों को घर बैठे चिकित्सकीय परामर्श की सुविधा मिलेगी। वहीं मरीजों के भारी दबाव से जूझने वाले एम्स जैसे अस्पताल में भीड़ कम करने में यह तकनीक मददगार बनेगी। यही वजह है कि एम्स के कार्डियक सेंटर में आज से दिल के पुराने मरीजों के फालोअप इलाज के लिए टेलीकार्डियोलाजी कंसल्टेशन की सुविधा शुरू हो रही है।
बार-बार अस्पताल आने की जरूरत नहीं
इसलिए एम्स के डाक्टर दूर से ही पुराने मरीजों के दिल की हिफाजत कर सकेंगे। इससे दिल की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्हें ओपीडी में फालाेअप इलाज के लिए बार-बार एम्स में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एम्स के कार्डियोलाजी की ओपीडी में प्रतिदिन 900-1000 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। जिसमें दिल्ली एनसीआर के अलावा दूसरे राज्यों के मरीज भी शामिल होते हैं। खास तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा से अधिक मरीज पहुंचते हैं।
फोन पर उपलब्ध होंगे एम्स के डाक्टर
दिल की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को एक निश्चित समयावधि के अंतराल पर बार-बार फालोअप के लिए एम्स आना पड़ता है। इसके मद्देनजर एम्स प्रशासन पुराने मरीजों के फालोअप के लिए टेलीकंसल्टेशन की सुविधा शुरू कर रहा है। इसके तहत सप्ताह में तीन दिन एम्स के कार्डियोलाजी के डाक्टर फोन पर उपलब्ध रहेंगे। इस दौरान डाक्टर मंगलवार और बृहस्पतिवार को दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक और शनिवार को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक टेलीकंसल्टेशन के जरिये इलाज करेंगे।
सुबह 9.30 से शाम 5 बजे तक मिलेगी सेवा
इसके लिए मरीजों को पहले अप्वाइंटमेंट लेना होगा। मरीज सोमवार से शुक्रवार के बीच सुबह साढ़े नौ बजे से शाम पांच बजे तक मोबाइल नंबर 8929936750 पर काल करके डाक्टर से इलाज का समय ले सकेंगे। उल्लेखनीय है कि कोरोना के दौरान लाकडाउन होने पर टेलीकंसल्टेशन से इलाज के लिए दिशा निर्देश तैयार हुआ था। इसके बाद विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज में बड़े स्तर पर इसका इस्तेमाल हुआ था। कैंसर मरीजों के फालोअप में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था।