Delhi: अफगानिस्तान से आए सिखों के जरिए एस जयशंकर ने एक तीर से साधे दो निशाने, CAA को लेकर कही बड़ी बात

अफगानिस्तान से सुरक्षित भारत लाए गए सिखों व 1984 के सिख विरोधी दंगे के पीड़ित परिवार से एस जयशंकर से मुलाकात की। इस मुलाकात के जरिए मोदी सरकार एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रही है।

By Santosh Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 08 Jun 2023 10:51 PM (IST) Updated:Thu, 08 Jun 2023 10:51 PM (IST)
Delhi: अफगानिस्तान से आए सिखों के जरिए एस जयशंकर ने एक तीर से साधे दो निशाने, CAA को लेकर कही बड़ी बात
अफगानिस्तान से आए सिखों के जरिए एस जयशंकर ने एक तीर से साधे दो निशाने

नई दिल्ली, संतोष कुमार सिंह। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच पहुंचाने के अभियान की शुरुआत अफगानिस्तान से सुरक्षित भारत लाए गए सिखों व 1984 के सिख विरोधी दंगे के पीड़ित परिवार से मुलाकात कर की। इस मुलाकात के जरिए मोदी सरकार एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रही है। साथ ही CAA के विरोध की राजनीति करने वाले वालों को आईना दिखाया।

सिखों के हितों की रक्षा का आश्वासन

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिखों के हितों की रक्षा का आश्वासन देकर यह संदेश दिया कि मोदी सरकार व भाजपा सिखों की हितैषी है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध की राजनीति करने वालों को आईना दिखाते हुए कहा कि उन लोगों को न्यू महानगर आकर अफगानिस्तान के सिखों से मिलना चाहिए। इन्हें नागरिकता देना राजनीति नहीं मानवता का मामला है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी व अन्य दलों ने इसका विरोध किया था। शिरोमणि अकाली दल बादल ने इस कानून का विरोध करते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था।

पंजाब में ताकत बढ़ाने में जुटी भाजपा

दिल्ली के साथ ही पंजाब में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में जुटी भाजपा के लिए सिखों को अपने साथ जोड़ने की चुनौती है। किसान आंदोलन से लेकर अन्य मुद्दों को उठाकर कई राजनीतिक पार्टियां भाजपा से सिखों को दूर करने में जुटी हुई हैं। बहुत हद तक वह इसमें सफल भी हुए हैं। नगर निगम चुनाव में भी सिखों की आबादी वाले वार्डों में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। इससे पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ी है।

विदेश मंत्री ने अभियान की शुरूआत की

पहले पार्टी शिरोमणि अकाली दल के सहारे सिख मतदाताओं को अपने साथ जोड़ती थी, लेकिन अब दोनों का राजनीतिक गठजोड़ नहीं है। भाजपा को अपने दम पर सिखों का समर्थन प्राप्त करना है। यही कारण है कि विदेश मंत्री ने अपने अभियान की शुरुआत पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में सिखों के बीच जाकर की है। इस बहाने यह याद दिलाने की भी कोशिश है कि मुश्किल समय में सिखों को सुरक्षित भारत लाने का दायित्व मोदी सरकार ने निभाया है।

इसी तरह से 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ित परिवार से मिलने के भी राजनीतिक मायने हैं। मोदी सरकार के आने के बाद दंगे के आरोपितों को सजा मिल सकी है। कांग्रेस नेता सज्जन कुमव अन्य अन्य आरोपित जेल में हैं। जगदीश टाइटलर सहित कई अन्य आरोपितों के खिलाफ जांच चल रही है। विधानसभा व नगर निगम चुनाव में सिखों का समर्थन आम आदमी पार्टी को मिला था।

पंजाब में अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद से सिखों में आप को लेकर भी नाराजगी है। इस स्थिति में भाजपा इन्हें अपने साथ जोड़ने की शुरुआत कर दी है। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में लगभग दो लाख के आसपास सिख मतदाता हैं। तिलक नगर, राजौरी गार्डन, हरि नगर, जनकपुरी, विकास पुरी सहित अन्य विधानसभा क्षेत्रों में सिखों की अच्छी संख्या है।

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