दिल्ली-एनसीआर में साइकिल ट्रैक: नियमों की अनदेखी से पस्त व्यवस्था, प्रशासन पर उठ रहे कई सवाल

दिल्ली में एम्स के पास हाल ही में नोएडा की साइकिलिस्ट की सड़क हादसे में मौत हो गई। इस हादसे ने एक बार फिर दिल्ली समेत एनसीआर की सड़कों पर साइकिल लेन न होने पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कहीं साइकिल पाथ पर रेहड़ी हैं तो कहीं अवैध पार्किंग। लोगों को सड़कों पर चलने के अधिकार की चिंता करने वाला सिस्टम पूरी तरह पस्त है

By Jagran NewsEdited By: Sonu Suman Publish:Thu, 07 Mar 2024 03:22 PM (IST) Updated:Thu, 07 Mar 2024 03:22 PM (IST)
दिल्ली-एनसीआर में साइकिल ट्रैक: नियमों की अनदेखी से पस्त व्यवस्था, प्रशासन पर उठ रहे कई सवाल
दिल्ली-एनसीआर में साइकिल ट्रैक, नियमों की अनदेखी से पस्त व्यवस्था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पर्यावरण की जब चिंता होती है तो विकल्प के रूप में साइकिल की याद आती है। सेहत की बात होती है तो साइकिल में पैडल लगाने की याद आती है। सलाह भी ठीक है, जरूरत और जागरुकता भी जरूरी है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में जहां लंदन जैसी सड़कों की तो बात होती है पर एक भी जगह ऐसे सुरक्षित साइकिल ट्रैक नहीं जिसे नजीर के तौर पर पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके। कहीं साइकिल पाथ पर रेहड़ी हैं तो कहीं अवैध पार्किंग। 

दिल्ली में एम्स के पास हाल ही में नोएडा की साइकिलिस्ट की सड़क हादसे में मौत हो गई। इस हादसे ने एक बार फिर दिल्ली समेत एनसीआर की सड़कों पर साइकिल लेन न होने पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एनसीआर में सड़कों पर गति सीमा आमतौर पर 50-60 किमी प्रतिघंटा होती है, ऐसे में इतनी रफ्तार से यदि किसी साइकिल चालक को टक्कर लगती है तो उसका बचना मुश्किल है। यहां की सड़कों पर साइकिल लेन बनाने की आवश्यकता महसूस की जाती रही है, लेकिन अधिकतर सड़कों पर साइकिल लेन नहीं हैं। जहां हैं भी, वहां उनपर अतिक्रमण हो चुका है और वे साइकिल चालकों के उपयोग के नहीं रह गए हैं।

सिस्टम पूरी तरह पस्त

लोगों को सड़कों पर चलने के अधिकार की चिंता करने वाला सिस्टम पूरी तरह पस्त है। एक दशक पहले से साइकिल ट्रैक योजना तो बन रही है, हर बार चौड़ी सड़क की चाह में उस साइकिल पाथ की ही बलि चढ़ा दी जाती है। उस ट्रैक को ही सड़क मार्ग में तब्दील कर दिया जाता है। जब भी किसी साइकिल सवार की मौत होती है तो कुछ चिंतन होता है, सवाल उठते हैं फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। 

साइकिल ट्रैक को लेकर उठ रहे सवाल

ऐसे में सवाल यह  उठता है कि एनसीआर की सड़कों पर कब सुरक्षित साइकिल ट्रैक बनेंगे? इनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विभाग कब चिंता करेंगे? सड़कों पर साइकिल लेन ही क्यों नहीं बनाई जाती ? इन्हें अतिक्रमणमुक्त क्यों नहीं किया जाता? इन सब अनदेखी के लिए जिम्मेदार पुलिस, नगर निगम और सरकारी अमला अनदेखी करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं करता? साइकिल ट्रैक बनाने और इसे अतिक्रमणमुक्त रखने में कैसे दूर किया जाए?

सख्त रवैया अपनाने की जरूरत

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के पूर्व योजना आयुक्त एके जैन कहते हैं कि एनसीआर की सड़कों पर सुरक्षित साइकिल ट्रैक बनाने में कई रुकावटें हैं। अतीत से अब तक के अनुभव से भविष्य की उम्मीद देखना बहुत चुनौतीपूर्ण लगता है क्योंकि कितनी ही जगह योजना बनने के बावजूद धरातल पर ट्रैक नहीं बन पाए और जहां बने भी, वहां कारगर नहीं हो पाए। बहुत सी जगह तो कहने को साइकिल ट्रैक हैं लेकिन, वहां साइकिल चलाने के बजाय सब कुछ हो सकता है। मोटर वाहन खड़े हो सकते हैं, रेहड़ी लग सकती हैं।

इन क्षेत्रों में अतिक्रमण

गाजियाबाद : राजनगर एक्सटेंशन, सौर ऊर्जा मार्ग, बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र, कविनगर फरीदाबाद : अनखीर-सूरजकुंड रोड, सेक्टर-20बी वाली सड़क, हाईवे को बाईपास से जोड़ने वाली कोर्ट रोड, बड़खल स्मार्ट रोड, सेक्टर-15-16 को बांटने वाली सड़क पर गुरुग्राम : सेक्टर 46 के पास, लग जाती हैं रेहडि़यां, शंकर चौक के पास, पालम विहार से बिजवासन रोड पर भी यही हाल।

गुरुग्राम में इन जगहों पर साइकिल ट्रैक तैयार होने हैं :

इफको चौक से एसपीआर : 15 किलोमीटर लंबा इफको चौक से सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन :  पांच किलोमीटर लंबा सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन से दिल्ली बार्डर :  छह किलोमीटर लंबा सेक्टर 58 से सेक्टर 67 तक

क्या कहते हैं सर्वे

एक सर्वे के मुताबिक अकेले दिल्ली में 11 लाख साइकिलें हैं लेकिन, पिछले 30 साल में साइकिल ट्रिप 21 से घटकर पांच प्रतिशत रह गए हैं। मास्टर प्लान 2021 के मुताबिक 24 मीटर या इससे ज्यादा चौड़ी सड़क पर साइकिल ट्रैक होना चाहिए। इस हिसाब से तीन हजार किमी मास्टर प्लान सड़कों पर पांच हजार किमी लोकल सड़कें हैं। यूनिफाइड ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर (प्लानिंग एंड इंजीनियरिंग) सेंटर यानी यूटीपैक द्वारा स्ट्रीट डिजाइन नियमों में साइकिल ट्रैक की पूरी जानकारी भी दी गई है, बावजूद इसके बमुश्किल 40 किमी साइकिल ट्रैक बने हैं।

साइकिल ट्रैक के रास्ते में ये हैं बाधाएं

उन्होंने कहा कि साइकिल ट्रैक के रास्ते में जो सबसे बड़ी बाधाएं हैं, उनमें अतिक्रमण, सुरक्षा, क्योस्क, पार्किंग, दोपहिया वाहनों की घुसपैठ एवं पेड़ पौधों का फैलाव है। इन समस्याओं के समाधान में अलग-अलग विभागों की भूमिका है। इन विभागों में ही तालमेल नहीं रह पाता। बहुत बार अदालती और राजनीतिक हस्तक्षेप भी बाधा बन जाता है। साइकिल आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक परिवहन माध्यम है। इससे जीरो प्रदूषण होता है और भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी यह कम जगह घेरती है। इसे चलाना भी शरीर और स्वास्थ्य दोनों के लिए ही अच्छा है। इसीलिए यूरोप के कई देश साइकिल को बढ़ावा दे रहे हैं। हालैंड के प्रधानमंत्री भी साइकिल से ही अपने कार्यालय आते-जाते हैं।

हर शहर में साइकिल ट्रैक बनाने का प्रावधान

एके जैन कहते हैं कि हैरत की बात यह भी है कि हर शहर के मास्टर प्लान में साइकिल ट्रैक बनाने का प्रावधान है। हर दो किमी पर सुविधाएं भी देने की बात है। मसलन, शौचालय, पीने का पानी, शेड इत्यादि। साइकिल ट्रैक पर मोटर साइकिल या स्कूटर न चले, इसका भी विशेष ध्यान रखने की बात कही गई है। अब यह बात अलग है कि कागजी दस्तावेजों में जो लिखा रहता है, हकीकत में वैसा मिलता नहीं है। 

समस्या की जड़ में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार और विभागों में तालमेल का अभाव है। सड़क के किनारे कब्जा करके बैठे रेहड़ी खोमचे वालों से स्थानीय निकायों पर अक्सर रिश्वत लेने का आरोप लगता रहा है। कितनी ही जगह इन ट्रैक पर अवैध पार्किंग बन जाती है तो कितनी जगह दुकानदार इन पर अपना सामान फैलाकर रखते हैं। इससे बड़ी हैरानी की बात और क्या होगी कि पिछले एक दो सालों में जहां कहीं नए साइकिल ट्रैक बने, वहां भी ये अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो रहे।

साइकिलिंग को किया जाना चाहिए अनिवार्य

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि साइकिलिंग अनिवार्य होनी चाहिए और यह सुविधा जनता को हर हाल में मुहैया कराई जानी चाहिए। ट्रैक सिर्फ बनाए ही न जाएं बल्कि उनका सदुपयोग भी सुनिश्चित किया जाए। ट्रैक बनाने के बाद इसे स्थानीय निकायों को ही रखरखाव के लिए सौंप देना चाहिए ताकि वहां अतिक्रमण नहीं हो सके। पुलिस को भी जनहित में ध्यान रखना चाहिए वहां दबंग लोग पार्किंग या कोई अन्य सामान न रख पाए। जहां कहीं ऐसी स्थिति पाई जाए, वहां कार्रवाई की जानी चाहिए। वहां खड़े वाहनों का भी चालान काटा जाए और सामान रखने वाले दुकानदारों का सामान भी जब्त कर लिया जाए। जब तक सख्त रवैया नहीं अपनाया जाएगा, साइकिल जैसा इको फ्रेंडली परिवहन माध्यम व्यवहार में कारगर हो ही नहीं पाएगा। इसे हर स्तर पर क्रियान्वित करने की पहली होनी चाहिए।

भ्रष्टाचार और इच्छाशक्ति का अभाव

गुरु हनुमान सोसाइटी ऑफ भारत के महासचिव अतुल रणजीत कुमार का कहना है कि जापान में साइकिल ट्रैक के भीतर किसी वाहन को घुसने की इजाजत नहीं है। जापान जैसे सख्त नियम नीदरलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, नार्वे आदि देशों में भी हैं, हमारे देश में वैसे भी साइकिल ट्रैक बहुत कम हैं। जहां ट्रैक हैं भी तो वो स्थाई अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। साइकिल ट्रैक पर अतिक्रमण की सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचार है। इन देशों में हर प्रमुख सड़क के साथ ही साइकिल ट्रैक भी है। इन देशों में नई सड़क के साथ ही साइकिल ट्रैक बनाना अनिवार्य है। 

क्या हैं सड़कों पर साइकिल ट्रैक बनाने संबंधी नियम :

60 फीट चौड़ी सड़क पर, आदर्श व्यवस्था है कि पैदल चलने वालों के साथ ही साइकिल सवारों के लिए अलग से स्थान हो।

क्या आप मानते हैं कि एनसीआर की सभी प्रमुख सड़कों पर साइकिल लेन बनाना अनिवार्य किया जाना चाहिए?

हां : 95

नहीं : 5 

क्या एनसीआर की सड़कों पर साइकिल लेन पर अतिक्रमण के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए?

हां - 98

नहीं : 2

साइकिल ट्रैक पर वाहनों की होती है पार्किंग

उनका कहना है कि भ्रष्टाचार और इच्छाशक्ति के अभाव के कारण साइकिल ट्रैक सफल नहीं हो रहे, नतीजतन साइकिल चालकों की जान पर खतरा बना हुआ है। इसके अलावा देश और विदेश में साइकिल को लेकर मानसिकता में भी बड़ा फर्क है। कई देश हैं, जहां के मंत्री व अधिकारी रोज साइकिल से 10-15 किलोमीटर की दूरी नाप कर आफिस जाते हैं। जब तक भ्रष्टाचार को खत्म करने की इच्छाशक्ति नहीं बलवंति होगी, तब तक देश में साइकिल चालकों की जान को जोखिम बना रहेगा। इसके लिए जितनी जिम्मेदार पुलिस और स्थानीय निकाय के अधिकारी व कर्मचारी हैं, उतना ही जिम्मेदार वह दुकानदार और नागरिक हैं जो अपने वाहन की पार्किंग साइकिल ट्रैक पर करते हैं। 

कई स्तरों पर भ्रष्टाचार भी जिम्मेदार

रणजीत कुमार कहते हैं कि साइकिल ट्रैक पर वाहन की पार्किंग देखकर भी जिम्मेदार अधिकारी इसे अनदेखा करते हैं तो इसका कारण केवल और केवल भ्रष्टाचार है। गत दो मार्च को एम्स फ्लाईओवर के सामने बलेरो गाड़ी ने साइकिलिंग कर रही बच्ची को कुचल दिया और दो दिन पहले मुंबई में साइकिलिंग कर रहे इंटेल कंपनी के पूर्व कंट्री हेड को भी तेज रफ्तार कैब की टक्कर में जान गंवानी पड़ी। इन दोनों हादसों से स्पष्ट है कि हमें सड़क पर साइकिल चालकों की सुरक्षा के बारे में एक बारे फिर से सोचना होगा और ठोस उपाय करने होंगे। 

अतिक्रमण से करना होगा मुक्त

उन्होंने कहा कि इस दिशा में पहला जरूरी काम है- साइकिल ट्रैक को अतिक्रमण से मुक्त कराना चाहिए। दिल्ली-एनसीआर के ज्यादातर साइकिल ट्रैक अतिक्रमण की गिरफ्त में हैं। साइकिल ट्रैक को लोगों ने वाहन पार्किंग स्थल बना दिया। ट्रैक पर दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहन देखे जा सकते हैं। ट्रैक पर दो पहिया वाहनों की आवाजाही भी देखी जा सकती है। यातायात पुलिस को साइकिल ट्रैक पर वाहन की पार्किंग करने वालों के चालान करने चाहिए। साइकिल ट्रैक के रखरखाव पर भी ध्यान देने की जरूरत है। क्षतिग्रस्त ट्रैक पर साइकिल चलाना जोखिम भरा है। दूसरा सबसे जरूरी कदम-साइकिल चालकों के लिए जरूरी ढांचा उपलब्ध कराना।

वर्ष साइकिल सवार दुर्घटनाग्रस्त मौत
2023 141 29
2022 170 48
2021 147 45

साइकिल ट्रैक की अधिकतम लंबाई हो

उनका कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में साइकिल चालकों के लिए विशेष कोरिडोर बनाने की जरूरत है। इस कोरिडोर की लंबाई अधिकतम होनी चाहिए, तभी ज्यादा उपयोगी होगा। हमारी सरकारों को यह नियम बनाना होगा कि जब भी किसी नए रोड का प्रोजेक्ट बने, उसी प्रोजेक्ट में ही साइकिल ट्रैक का प्रविधान भी होना चाहिए। साइकिल को लेकर मानसिकता भी एक मुद्दा है। समाज में आमतौर पर साइकिल चालक को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है। ये मान लिया जाता है कि साइकिल चलाने वाला निम्न आय वर्ग से संबंधित ही होगा। 

जागरूकता कार्यक्रमों की जरूरत

वे कहते हैं कि विदेश में मंत्री और बड़े अधिकारी हर रोज साइकिल से अपने कार्यालय जाते हैं। इस सोच को बदलने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की जरूरत है। सड़क पर साइकिल चालक सुरक्षित रहें, इसके लिए सुरक्षा के मानक के हिसाब से कदम उठाए जाने की जरूरत है। हादसों से बचाने के लिए हर मोटर रहित वाहन यथा; साइकिल, रिक्शा, हाथगाड़ी आदि पर रिफ्लेक्टर, ब्लिकिंग लाइट अनिवार्य रूप से लगनी चाहिए। चूंकि, साइकिल चालक ज्यादातर निम्न आय वर्ग से हैं, इसलिए पुलिस प्रशासन को रिफ्लेक्टर व ब्लीकिंग लाइट उपलब्ध करानी चाहिए। साइकिल चालकों को इस बारे में पुलिस को जागरूक भी करने की जरूरत है।

सड़क हादसों में साइकिल सवारों की मौत

16 फरवरी : इंद्रा कॉलोनी निवासी 53 वर्षीय राम संजीवन को बल्लभगढ़ में अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी, उनकी मौत। 9 फरवरी  : छत्तरपुर इलाके में 60 वर्षीय साइकिल सवार को चालक ने 60 वर्षीय साइकिल सवार को टक्कर मारी जिससे उसकी मौत हो गई 4 फरवरी : सोहना रोड पर हाइड्रा ने साइकिल सवार संजय कालोनी निवासी रामकिशन यादव को कुचला, मौत। 9 जनवरी  : आजादपुर इलाके में डीटीसी बस से 40 वर्षीय साइकिल सवार को लगी टक्कर,  मौत। 02 जनवरी : वैशाली मेट्रो स्टेशन के पास साइकिल सवार फैक्ट्रीकर्मी शिवकांत की अज्ञात वाहन की टक्कर से मौत हुई। 01 दिसंबर 2023 :  मेरठ रोड पर ड्रीम हुंडई शोरूम के पास मेरठ रोड पर देर रात चाय की दुकान बंद कर घर जा रहे साइकिल सवार मुन्ना को ट्रक ने टक्कर मारी, मौत। 21 सितंबर 2023 : यूपी गेट के पास स्कूल बस ने साइकिल सवार 60 वर्षीय प्रमोद को टक्कर मारी, मौत 18 अप्रैल 2023 : सेक्टर-49 कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत भंगेल के समीप साइकिल सवार की कार की टक्कर से मौत हो गई थी। 27 नवंबर : 2022 : दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर गुरुग्राम की वाटिका सोसायटी में रहने वाले 50 वर्षीय साइकिलिस्ट सुबेंदु बनर्जी साइकिल से दिल्ली जा रहे थे। एयरपोर्ट के नजदीक बीएमडब्ल्यू कार ने पीछे से टक्कर मार दी। हादसे में उनकी मौत हो गई।

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