17 राज्यों में ऑनलाइन के जरिये 100 से अधिक लोगों को ठगने वाले गिरोह का खुलासा

गिरोह का संचालन झारखंड के जामताड़ा और राजस्थान से किया जा रहा था। पुलिस अब गिरोह के कुल सदस्यों और धोखाधड़ी की कुल रकम की जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है।

By Edited By: Publish:Thu, 24 May 2018 10:59 PM (IST) Updated:Fri, 25 May 2018 08:42 AM (IST)
17 राज्यों में ऑनलाइन के जरिये 100 से अधिक लोगों को ठगने वाले गिरोह का खुलासा
17 राज्यों में ऑनलाइन के जरिये 100 से अधिक लोगों को ठगने वाले गिरोह का खुलासा

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश के 17 राज्यों में ओपीटी (वन टाइम पासवर्ड) पूछकर सैकड़ों लोगों को चूना लगाने वाले चार साइबर अपराधियों को शाहदरा जिला पुलिस ने धर दबोचा। गिरोह का संचालन झारखंड के जामताड़ा और राजस्थान से किया जा रहा था।

गिरफ्तार आरोपितों में गिरोह का सरगना जामताड़ा निवासी सीताराम मंडल उर्फ राम कुमार मंडल, गिरीडीह निवासी पूर्णानंद तिवारी उर्फ मुकेश तिवारी, राजस्थान के बीकानेर निवासी शाबिर अली और हनुमानगढ़ निवासी सुरेंद्र शामिल हैं।

पूर्णानंद को बिहार के नक्सल प्रभावित इलाके जमुई और सरगना सीताराम मंडल को झारखंड के जामताड़ा से पकड़ा गया। वहीं, बाकी दो आरोपितों को बीकानेर व हनुमानगढ़ से गिरफ्तार किया गया। इनके पास से पुलिस ने दो लैपटॉप, चार स्मार्ट फोन, छह की-पैड, चेकबुक, 75 हजार रुपये, लाखों रुपये के सिक्के व जेवरात बरामद किए हैं।  पुलिस अब गिरोह के कुल सदस्यों और धोखाधड़ी की कुल रकम की जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है। पुलिस उपायुक्त नुपुर प्रसाद ने बताया कि 13 मार्च को आनंद विहार निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला के पास फोन आया।

कॉल करने वाले ने कहा कि वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से बोल रहा है और बैंक खाते को आधार से लिंक कराने के बहाने एटीएम कार्ड की डिटेल्स व ओटीपी लेकर खाते से एक लाख 85 हजार रुपये निकाल लिए। आनंद विहार थाने में मामला दर्ज होने के बाद साइबर सेल ने जांच शुरू की तो अलग-अलग ई-वॉलेट के जरिए इस खाते से रकम ट्रांसफर की बात सामने आई। इनमें एक ई-वॉलेट राजस्थान के जोधपुर इलाके का है। इस ई-वॉलेट से जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कई बिल भी जमा किए गए हैं।

यह ई-वॉलेट ई-मित्रा नाम से बना है, जहां से लोग ऑनलाइन बिल जमा करवाते थे। पुलिस ई-मित्रा काउंटर के संचालक सुरेंद्र सिंह के पास पहुंची तो पता चला कि वह अपने खाते में नगदी मंगवाकर उसे अन्य खातों में ट्रांसफर करता था और इसके बदले में 15 फीसद कमीशन लेता था।

वह ई-मेल व वाट्सएप के जरिए बिल की डिटेल्स अपने साथी शाबिर अली को भेजता था। ई-वॉलेट में आई नगदी शाबिर द्वारा दिए गए खाते में भेजी जाती थी। शाबिर इसकी जानकारी पूर्णानंद तिवारी को भेजता था और पूर्णानंद तिवारी ही इस संदिग्ध ई-वॉलेट में रकम भेजता था। उसे किसे शिकार बनाना है, इसकी सूचना गिरोह सरगना सीताराम मंडल मुहैया कराता था।

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