डॉक्टर बीएल शेरवाल ने कहा- जून-जुलाई में और बढ़ेगा कोरोना वायरस संक्रमण पर घबराएं नहीं

बीएल शेरवाल ने सलाह दी है कि जितना अधिक हो सके बचने की कोशिश करें और संक्रमित हो जाएं तो इसके साथ जीने की आदत डाल लें।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 10:15 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 11:18 AM (IST)
डॉक्टर बीएल शेरवाल ने कहा- जून-जुलाई में और बढ़ेगा कोरोना वायरस संक्रमण पर घबराएं नहीं
डॉक्टर बीएल शेरवाल ने कहा- जून-जुलाई में और बढ़ेगा कोरोना वायरस संक्रमण पर घबराएं नहीं

नई दिल्ली। लॉकडाउन धीरे-धीरे खुल रहा है और राजधानी में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे हर कोई डरा-सहमा है। अधिकांश मरीज अब होम क्वारंटाइन हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं। अस्पतालों में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में किस तरह मरीजों का इलाज हो रहा है और आगे इसका भविष्य क्या है। इन मुद्दों पर राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के निदेशक बीएल शेरवाल से स्वदेश कुमार ने बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश

राजधानी में तापमान बढ़ने के साथ कोरोना का प्रकोप भी लगातार बढ़ता जा रहा है। आप इसे कैसे देखते हैं?

-आंकड़ों के हिसाब से देखें तो संख्या काफी बढ़ी है, लेकिन मरीजों के दोगुना होने की रफ्तार घटी है। शुरुआत में चार-पांच दिन में मरीज दोगुने हो रहे थे। आज 14-15 दिन में दोगुने हो रहे हैं। आंकलन यह है कि जून-जुलाई में संक्रमण और बढ़ेगा। क्योंकि वातावरण में नमी होगी और यह इस वायरस के लिए मुफीद है। पहले कहा जा रहा था कि तापमान बढ़ेगा तो इसका असर कम होगा लेकिन आज की स्थिति में ऐसा लगता है कि तापमान का कोरोना पर कोई असर नहीं है। इसलिए चौकन्ना रहें और घबराएं नहीं। इससे जितना अधिक हो सके बचने की कोशिश करें और संक्रमित हो जाएं तो इसके साथ जीने की आदत डाल लें।

इस महामारी से लड़ने के लिए हमारी स्वास्थ्य सेवाएं कितनी तैयार हैं?

-केंद्र और दिल्ली सरकार ने राजधानी पर विशेष ध्यान दिया है। मरीजों की संख्या बढ़ने से पहले बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन आदि की व्यवस्था की जा रही है। राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की बात करें तो पहले हमारे पास ढाई सौ बेड थे। इसी अनुपात में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की व्यवस्था थी। फिर चार सौ बेड किए गए और आज पांच सौ बेड कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल में हैं। आगे जरूरत पड़ने पर बेड की संख्या और बढ़ाई जा सकती है। इसी अनुपात में स्वास्थ्यकर्मी भी अस्पताल में तैनात किए जा रहे हैं। शुरुआत में अधिकांश मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे थे। अब घर में ही क्वारंटाइन किए जा रहे हैं क्योंकि अधिकांश मरीजों में लक्षण नहीं आ रहे हैं।

स्वास्थ्यकर्मी लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं। उन्हें बचाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

-गैर कोविड अस्पतालों में संक्रमण अधिक फैलने की आशंका रहती है क्योंकि यहां मरीज के कोरोना पीडि़त होने का पता नहीं चलता है। इन अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मी हमेशा पीपीई किट में भी नहीं सकते हैं। इसलिए कोशिश है कि ऐसे अस्पतालों में भीड़ कम की जाए। हमने चाचा नेहरू अस्पताल में कुछ प्रयास शुरू किए हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, टेलीमेडिसीन के अलावा कोशिश कर रहे हैं कि मरीज को जांच के बाद उसी दिन रिपोर्ट मिल जाए। इससे उन्हें दोबारा चक्कर न लगाना पड़े। कोरोना से बचाव के लिए एक सामान्य व्यक्ति को क्या करना चाहिए?लॉकडाउन धीरे-धीरे खुल रहा है। लोग अब बाहर निकलने लगे हैं। बाहर निकलें तो शारीरिक दूरी रखें। मास्क का प्रयोग करें। बार-बार साबुन से हाथ धोएं। साबुन उपलब्ध न हो तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर अधिक सतर्क रहें। हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को समझे। खुद को बचाकर परिवार को भी सुरक्षित रख सकेंगे। इसके साथ समाज को भी बचाएंगे।

कोरोना से कैसे पार पाएंगे?

-अब हमें इसके साथ जीना सीखना होगा। आंकलन यही है कि अगले साल तक यह रहेगा। भारत में कोरोना इतना मारक नहीं है। उम्मीद यही है कि समय के साथ हमारे शरीर पर इसका असर कम होगा और यह कई अन्य सामान्य बीमारियों की तरह हो जाएगा। बुजुर्गों और दूसरी बीमारियों से पीडि़त लोगों को थोड़ा संयम रखना होगा।

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