साइबर खतरों से छात्रों को बचाएगी सीबीएसइ की नई हैंडबुक, जानिए क्‍या होगा बच्‍चों के लिए खास

लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शैक्षिक गतिविधियों बढ़ने से छात्रों का ज्यादातर समय डिजिटल माध्यमों पर व्यतीत होने लगा है। ऐसे में आभासी दुनिया के खतरों के बारे में बताया जाएगा।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 24 May 2020 10:49 PM (IST) Updated:Sun, 24 May 2020 10:49 PM (IST)
साइबर खतरों से छात्रों को बचाएगी सीबीएसइ की नई हैंडबुक, जानिए क्‍या होगा बच्‍चों के लिए खास
साइबर खतरों से छात्रों को बचाएगी सीबीएसइ की नई हैंडबुक, जानिए क्‍या होगा बच्‍चों के लिए खास

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने छात्रों को साइबर आभासी दुनिया के खतरो से बचाने के लिए साइबर सुरक्षा हैंडबुक तैयार की है। हैंडबुक में “बदले की भावना से अश्लील साहित्य या सामग्री” के प्रकाशन अथवा प्रसारण को लेकर चेतावनी के साथ ही ऑनलाइन दोस्ती की सीमा तय करने, दूसरों की सहमति का सम्मान करने तथा किसी भी तरह की परेशानी पर बड़ों को इस बारे में जानकारी देने जैसी बातें शामिल हैं।

डिजिटल माध्यमों पर बीत रहा ज्‍यादा समय

लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शैक्षिक गतिविधियों बढ़ने से छात्रों का ज्यादातर समय डिजिटल माध्यमों पर व्यतीत होने लगा है। ऐसे में आभासी दुनिया के खतरों में बॉयज लॉकर रूम का मामला सबसे बड़ा उदाहरण है। बोर्ड ने यह हैंडबुक कक्षा नौवीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए तैयार की है। इस किताब में छात्रों के साथ ही अभिभावकों के लिये भी कई दिशानिर्देश हैं। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छात्रों को ऑनलाइन दोस्ती की सीमा तय करने के साथ ही वास्तविक जीवन के मित्रों के साथ ऑनलाइन संवाद की सीमा भी तय करनी होगी। साथ ही छात्र लिखित शब्दों, तस्वीरों या वीडियो के तौर पर क्या साझा कर रहे हैं, इसकी एक सीमा होनी चाहिए।

ऑनलाइन दोस्ती की पेशकश कभी स्वीकार नहीं करें

उन्होंने बताया कि छात्र उन लोगों से बात न करें जो उनको यौन रूप से संतुष्ट करने वाली तस्वीरें या वीडियो साझा करने को कहें। साथ ही उस व्यक्ति की ऑनलाइन दोस्ती की पेशकश कभी स्वीकार नहीं करें जिससे आप व्यक्तिगत रूप से न मिले हों। उन्होने कहा कि लड़कों को लड़कियों के साथ समान भाव व सम्मान के साथ बात करना सीखना चाहिए और उन्हें इंसानों के तौर पर समझे जाने की उनकी इच्छा का ख्याल किया जाना चाहिए, न कि उन्हें सम्मान या इच्छा वाली किसी वस्तु के तौर पर देखा जाना चाहिए।

भारत में डिजिटल सहमति की कोई न्यूनतम उम्र नहीं

अधिकारी के मुताबिक अभी भारत में डिजिटल सहमति की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है। अगर ऑफलाइन ऐसे लोग हैं जिनसे अपने शारीरिक या यौन अनुभवों के बारे में बात करते हुए आप असहज महसूस करते हैं तो इस बात की भी उम्मीद है कि आप ऑनलाइन अजनबियों के साथ चैट करते हुए भी असहज महसूस करेंगे। साइबर क्षेत्र पर नजर रखने वाले फर्जी अकाउंट बना लोगों से दोस्ती करते हैं और उनका मकसद लोगों को नुकसान पहुंचाने का होता है, चाहे शारीरिक रूप से, यौन दुर्व्यवहार से या फिर भावनात्मक रूप से। हैंडबुक में बदले के लिए अश्लील साहित्य के जाल में फंसने से बचने को लेकर भी चेतावनी दी गई है।

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