Environmental Expert Career: धरती बचाने में बनें सहभागी, रिन्यूएबल एनर्जी व पर्यावरण प्रबंधन में हैं अपार संभावनाएं

ग्लासगो (स्काटलैंड) में आयोजित काप-26 में भारत की पहल पर जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर सहमति बनना एक सुखद पहल है। आप भी पर्यावरण संरक्षण में योगदान के इच्छुक हैं तो इस क्षेत्र में आवश्यक योग्यता हासिल कर करियर को आगे बढ़ा सकते हैं...

By Amit SinghEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 04:22 PM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 04:22 PM (IST)
Environmental Expert Career: धरती बचाने में बनें सहभागी, रिन्यूएबल एनर्जी व पर्यावरण प्रबंधन में हैं अपार संभावनाएं
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में है नौकरियों की अपार संभावनाएं।

नई दिल्ली, धीरेंद्र पाठक। दीपावली के बाद दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर व मध्य भारत के शहरी इलाकों में जिस तरह जहरीले प्रदूषण के धुंध ने कई दिन से लोगों को बेहाल किया है, वह हर किसी के लिए खतरे की घंटी है। इससे लोगों को सांस लेने सहित कई तरह की परेशानियां हुईं। जो लोग सांस, एलर्जी, फेफड़े की बीमारी से पहले से पीड़ित हैं या जो कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं, उनका और बुरा हाल है। अच्छी बात है कि विश्व के तमाम देश पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं, पर यह भी जरूरी है कि चिंता से आगे बढ़ते हुए पर्यावरण संरक्षण के उपायों पर अविलंब न सिर्फ अमल किया जाए, बल्कि ईमानदारी से उनकी सजग निगरानी भी की जाए। तभी धरती हम सभी के लिए रहने लायक हो सकेगी। जलवायु संकट को लेकर स्‍काटलैंड के ग्लासगो में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कोप-26) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को पंचामृत फार्मूला देते हुए 2030 तक कार्बन उत्‍सर्जन को और कम किये जाने पर जोर दिया था। वैसे, इनदिनों भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शुमार है, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए हर स्‍तर पर लगातार प्रयास कर रहा है। इससे उम्‍मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में रिन्‍यूएबल एनर्जी समेत पर्यावरण प्रबंधन के विभिन्‍न क्षेत्रों में एनवायर्नमेंटल प्रोफेशनल्‍स की डिमांड तेजी से बढ़ेगी। आइये जानें, कैसे आप इस फील्‍ड में खुद को आगे बढ़ा सकते हैं…

प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने का दुखद नतीजा पिछले कई वर्षों से देखने में आ रहा है। इससे हर किसी का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। माना जा रहा है कि इस समय दिल्‍ली विश्‍व का सबसे ज्‍यादा प्रदूषित शहर है, जहां की आबोहवा रहने लायक नहीं है। कमोबेश यही हाल मुंबई और कोलकाता का भी है। दरअसल, आज छोटे-बड़े सभी शहरों में जिस तरह से तमाम तरह के प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, उसके चलते ही हाल के वर्षों में एनवायर्नमेंटल मैनेजमेंट को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में देखा जा रहा है, जो इस तरह की समस्याओं का समाधान निकालने के साथ-साथ युवाओं को नये-नये करियर विकल्‍प भी उपलब्‍ध करा रहा है। आज हर स्‍तर पर ऐसे प्रशिक्षित लोगों की आवश्‍यकता देखी जा रही है, जो प्रदूषण के बीच सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ हवा, स्‍वस्‍थ भोजन, रहने लायक स्वच्छ माहौल और भूमि की उर्वरता आदि को बरकरार रखने में सहभागी बन सकें। यही वजह है कि चाहें पर्यावरण संरक्षण का क्षेत्र हो या फिर पर्यावरण प्रबंधन और पर्यावरण कानूनों से संबंधित क्षेत्र, हर जगह युवाओं के लिए करियर की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

पर्यावरण प्रबंध में संभावनाएं

अपने देश में एनवायर्नमेंटल क्लीयरेंस के लिए एक व्‍यापक मैकेनिज्‍म बनाये जाने की जरूरत है। अभी इस तरह के क्लीयरेंस केंद्रीय और स्‍टेट पल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड्स द्वारा ही दिये जाते हैं। साल 2016 में क्‍वालिटी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा गठित टेक्निकल एक्‍सपर्ट कमेटी की ओर से पूरे देश की जरूरत को देखते हुए एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट में यही सिफारिश की गई थी कि एनवायर्नमेंटल क्लीयरेंस को डिसेंट्रालाइज किया जाए। इसके लिए जिले स्‍तर पर सेल बनाए जाने का सुझाव दिया गया था। इस तरह के सेल में एनवायर्नमेंटल इंजीनियर और मैनेजर के रूप में प्रोफेशनल्‍स स्‍थानीय स्‍तर पर क्लीयरेंस देने के साथ-साथ निरीक्षण और गाइडेंस जैसी सेवाएं देते। हालांकि सरकार द्वारा उस समय यह सुझाव नहीं माना गया। लेकिन अभी चाहे इंडस्‍ट्री स्‍तर पर एनवायर्नमेंटल क्लीयरेंस की बात हो या कंस्‍ट्रक्‍शन साइट्स और हाउसिंग सोसाइटी आदि के लिए क्लीयरेंस की बात हो, पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते स्‍तर को देखते हुए आगे चलकर स्‍थानीय लेवल पर ऐसे एनवायर्नमेंटल प्रोफेशनल्‍स की काफी जरूरत पड़ेगी। खासतौर से आने वाले दिनों में पानी को अलग-अलग श्रेणियों में बांटे जाने की जरूरत को देखते हुए वाटर ट्रीटमेंट, सीवेज ट्रीटमेंट, इंडस्ट्रियल एफ्ल्‍युएंट ट्रीटमेंट, वेस्‍ट मैनेजमेंट, बायो डाइवर्सिटी, डी-फारेस्‍टेशन और रिन्‍यूएबल एनर्जी जैसे एरिया में काम करने के लिए ऐसे प्रोफेशनल्‍स की काफी डिमांड होगी।

JOBs के अनेक मौके

एनवायर्नमेंटल साइंस एवं मैनेजमेंट जैसे कोर्स करने के बाद युवाओं के लिए इस फील्‍ड में अभी भी बहुत मौके हैं। आप इस एरिया में स्‍पेशलाइजेशन करके तमाम इंडस्‍ट्रीज और सरकारी प्रतिष्‍ठानों और बोर्ड्स में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इंडस्‍ट्रीज में तो ऐसे लोगों की बहुत ही मांग है, क्‍योंकि नए नियम के तहत प्रत्‍येक इंडस्‍ट्री को अपने यहां पल्‍यूशन कंट्रोल सिस्‍टम लगाना अनिवार्य है। ऐसे में इस तरह के सिस्‍टम को लगाने, उसे आपरेट करने तथा उसके मेंटिनेंस के लिए ऐसे प्रोफेशनल्‍स चाहिए, जो एनवायर्नमेंट की बारीकियों को जानते हों और इससे जुड़े उपकरणों और तकनीकों को इस्‍तेमाल कर सकते हों। यही वजह है कि आज की तारीख में तकरीबन हर इंडस्‍ट्री में ऐसे लोगों की आवश्‍यकता देखी जा रही है। यही प्रोफेशनल इंडस्ट्रियल एफ्लुएंट ट्रीटमेंट, सीवेज ट्रीटमेंट तथा वेस्‍ट मैनेजमेंट की जिम्‍मेदारियों को भी संभालते हैं। इसके अलावा, रेस्‍टोरेंट, थ्री स्‍टार/ फोर स्‍टार/फाइव स्‍टार होटल्‍स, माल्‍स और हाउसिंग सोसाइटीज जैसे छोटे-बड़े व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठानों में पर्यावरण के मानकों को मेंटेन रखने के लिए इस तरह के एनवायर्नमेंटल एक्‍सपर्ट की सेवाएं लेना जरूरी होगा। समुचित योग्‍यता हासिल करने के बाद आप चाहें तो कंसल्‍टेंसी सेवाएं भी दे सकते हैं। बहुत सी इंडस्‍ट्रीज और प्रतिष्‍ठान आजकल इस तरह की काफी सेवाएं ले रहे हैं। कुल मिलाकर, एनवायर्नमेंट की पढ़ाई करने के बाद एनवायर्नमेंटल इंजीनियर (जूनियर इंजीनियर/सीनियर इंजीनियर), एनवायर्नमेंटल मैनेजर, एनवायर्नमेंटल एक्‍सपर्ट या एनवायर्नमेंटल टाउन प्‍लानर के रूप में इस फील्‍ड में अपना करियर शुरू कर सकते हैं। सबसे अच्‍छी यह बात है कि डब्‍ल्‍यूएचओ जैसी संस्‍थाओं के साथ ही विदेश में भी ऐसे प्रोफेशनल्‍स के लिए जाब्‍स के बहुत मौके हैं।

कोर्स एवं योग्‍यताएं

एनवायर्नमेंट की पढ़ाई के लिए इनदिनों ग्रेजुएशन के बाद पीजी डिग्री और डिप्‍लोमा स्‍तर के कई तरह के कोर्स संचालित हो रहे हैं, जैसे जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया में एमएससी इन एनवायर्नमेंटल साइंस ऐंड मैनेजमेंट का कोर्स कराया जा रहा है। यह दो वर्षीय कोर्स है, जिसे बीएससी और बीटेक बैकग्राउंड के कोई भी युवा कर सकते हैं। इस कोर्स में दाखिला एंट्रेंस एग्‍जाम के आधार पर होता है। 55 प्रतिशत अंकों से बीएससी या बीटेक करने वाले कैंडिडेट ही इसमें अपीयर हो सकते हैं। इसके अलावा, देश के बहुत से संस्‍थानों में भी इस तरह के कोर्स संचालित हो रहे हैं, जैसे कि एमएससी इन एनवायर्नमेंटल साइंस, एमएससी/एमटेक इन एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग, एमएससी इन एनवायर्नमेंटल साइंस एवं रिसोर्स मैनेजमेंट, पीजी डिप्‍लोमा इन एनवायर्नमेंटल साइंस इत्‍यादि। इसीतरह, डीयू जैसे कुछ संस्‍थानों में बीएससी इन एनवायर्नमेंटल साइंस जैसे कोर्स भी आफर हो रहे हैं,जिसे 12वीं के बाद किया जा सकता है। पीजी स्‍तरीय इस तरह के किसी भी कोर्स में दाखिले के लिए कैंडिडेट का बीएससी या बीटेक होना आवश्‍यक है। इस तरह के कोर्स में कैंडिडेट को वायु प्रदूषण, ध्‍वनि प्रदूषण, वाटर ट्रीटमेंट, सीवेज ट्रीटमेंट, वैस्‍ट मैनेजमेंट आदि की बेसिक जानकारी देने के साथ-साथ तमाम पर्यावरणीय समस्‍याओं के समाधान में किस तरह के साइंटिफिक नियम-कायदों का इस्‍तेमाल किया जाना है, ये सारी चीजें भी कोर्स के दौरान बताई जाती हैं। साथ में कैंडिडेट को किसी विशेष एरिया में स्‍पेशलाइजेशन कराते हुए उन्‍हें इंडस्‍ट्री एक्‍सपोजर भी दिया जाता है।

लगन के साथ बढ़ें आगे

एनवायर्नमेंट के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान ही पर्याप्‍त नहीं है। यह थोड़ा अलग तरह का फील्‍ड है। इसमें आपको हमेशा पर्यावरण से जुड़ी समस्‍याओं और उसके समाधान के लिए अपडेट रहना होगा। कुल मिलाकर, इस फील्‍ड में आपकी रुचि होना बहुत आवश्‍यक है, तभी आप लगन और समर्पण के साथ काम करते हुए अपने करियर में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। खासतौर से अगर अपनी रुचि के किसी एरिया में स्‍पेशलाइजेशन हासिल कर लेते हैं, तो इसमें आगे बढ़ने के अवसर ज्‍यादा हैं।

सैलरी पैकेज

अनुभवी प्रोफेशनल्‍स को अभी इस फील्‍ड में बहुत अच्‍छा सैलरी पैकेज मिल रहा है। ऐसे प्रोफेशनल देश की बड़ी-बड़ी इंडस्‍ट्रीज में 25 लाख रुपये सालाना तक का पैकेज पा रहे हैं। फ्रेशर एनवार्यनमेंटल प्रोफेशनल्‍स को भी शुरुआत में इस फील्‍ड में तीन से पांच लाख रुपये तक पैकेज आसानी से मिल जाता है। इस एरिया में स्‍पेशलाइजेशन हासिल करके कंसल्‍टेंसी के जरिये भी हर महीने लाखों कमा सकते हैं।

प्रमुख संस्‍थान

1. दिल्‍ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली - www.du.ac.in

2. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली - www.jnu.ac.in

3. जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया, नई दिल्‍ली - https://www.jmi.ac.in

4. टेरी स्‍कूल आफ एडवांस्‍ड स्‍टडीज, नई दिल्‍ली - www.terisas.ac.in

(प्रो. कफील अहमद, इंचार्ज, डिपार्टमेंट आफ एनवायर्नमेंटल साइंस, जामिया मिलिया इस्‍लामिया से बातचीत पर आधारित)

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