गंगा-जमुनी तहजीब का भी प्रतीक होगा राम मंदिर, मुसलिम समाज भी जमा कर रहा चंदा

हरियाणा भवन में आयोजित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के एक ऐसे ही कार्यक्रम में तकरीबन आठ लाख रुपये की धनराशि इकट्ठा हुईं है। एमआरएम की इस तरह की देशभर में कई कार्यक्रम की तैयारी है। मस्जिद दरगाहों और मदरसों में भी धन संग्रह का यह अभियान चलाया जाएगा।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 06:45 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 10:57 AM (IST)
गंगा-जमुनी तहजीब का भी प्रतीक होगा राम मंदिर, मुसलिम समाज भी जमा कर रहा चंदा
मुस्लिम समाज मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि देने और जुटाने आगे आया

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर गंगा-जमुनी तहजीब का भी अद्भुत प्रतीक होगा। सैकड़ों साल पहले इस देश के आराध्य के मंदिर को मुगलों ने तोड़ा तो अब इसे फिर से गढ़ने और भव्य रूप देने में जन भागीदारी को लेकर मुस्लिम समाज खुद आगे बढ़कर झोली भी फैला रहा है। हरियाणा भवन में आयोजित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के एक ऐसे ही कार्यक्रम में तकरीबन आठ लाख रुपये की धनराशि इकट्ठा हुईं है। एमआरएम की इस तरह की देशभर में कई कार्यक्रम की तैयारी है।

मुस्लिम बाहुल इलाकों के साथ ही  , जिसमें हजारों मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध जन लगेंगे। विशेष बात कि इस मुहिम में जामिया मिल्लिया, जामिया हमदर्द, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े प्रोफेसरों के साथ ही प्रबुद्ध मुस्लिम समाज भी साथ आकर बड़ा संदेश दिया है।

कार्यक्रम में मुस्लिम समाज से इस जुटान को देखकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व एमआरएम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार अभिभूत दिखे। बोले मात्र कुछ दिनों की तैयारी में इस आयोजन में बड़ी संख्या मेें मुस्लिम समाज की सहभागिता ने दिखा दिया कि हिंदुस्तान की धरती इंसानियत से सरोबार है। विश्व को हर मुसीबत में सुकून की हवा हिंदुस्तान से मिलती है। यहां किसी भी मजहब में "कट्टरता'' शब्द नहीं है। कहा कि भारत के करोड़ों मुसलमान के लिए यह कार्यक्रम रौशनी होगी।

नये हिंदुस्तान को सजाने के लिए रास्ता होगा। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान का 99 फीसद मुसलमान पूर्वजों से हिंदुस्तानी और हिंदुस्तान का है। हमारे मजहबों में कई फिरके हैं। छूआछूत हैं, जिन्हें खत्म होना चाहिए। हिंसा खत्म होनी चाहिए। प्यार व भाईचारा बढ़ना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने सियासत दलों को आईना दिखाते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि यह समाज कभी मुख्यधारा में नहीं आ पाएं। अगर देश का मुसलमान तालीम और रोजगार पर आएगा तो उन्हें वोट नहीं देगा। वे अगर संघ-भाजपा तथा हिंदुओं को गाली देंगे तो मुस्लिम समाज का वोट मिलेगा। 65-70 सालों से यहीं देखने को मिला है, लेकिन अब यह नहीं चलने वाला है।

इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) के निदेशक प्रो अकील, पूर्व निदेशक व दिल्ली विश्व विद्यालय के प्रोफेसर प्रो. इर्तजा करीम, जेएनयू के प्रोफेसर डा सैयद ऐनुल हसन, जामिया के प्रो. ताहिर हुसैन, शाहिद अख्तर व प्रो मैरी ताहिर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राे शब्बीर अहमद व डीयू से प्रोफेसर गीता सिंह के अलावा शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, लखनऊ कर्बला के असद अली खान, एमआरएम के संयोजक अफजाल अहमद, प्रदेश अध्यक्ष हाफिज साबरीन, भाजपा के प्रवक्ता यासिर जिलानी समेत कई अन्य प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहे।

हम सब एक है। हमारा रिश्ता भाईचारे और इंसानियत का है। दुनियां की कोई ताकत बांट नहीं सकती है। हमारा एक ही मजहब भारत है। इसलिए मैंने प्रभु राम के मंदिर निर्माण के लिए एक लाख रुपये की सहयोग राशि दी है।

डा अहमद माजिद तालीकोटी, बत्रा हास्पिटल

हम एकता के लिए इकट्ठा हुए हैं। पूरे देश में हिंदू-मुस्लिम एकजुट होकर यह संदेश देने के लिए जुटे हैं। बीच में कुछ दूरियां बढ़ाने की कोशिश हुई थी। राम मंदिर निर्माण को लेकर यह सामूहिक प्रयास पूरे देश के साथ विश्व काे बड़ा संदेश देगा।

मो गुलफाम कुरैशी, मॉडल बस्ती, दिल्ली

दूरी बनाकर काम नहीं चलेगा, हम सबको एक साथ आना होगा। जो गलतफहमियां है उसे दूर करनी होगी। हम सब साथ रहते आए हैं। एक ऐसा भारत, जिसमें सभी मिलजुलकर रहे।

प्रो. डा. सैयद ऐनुल हसन, जेएनयू

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो

chat bot
आपका साथी