दिल्ली सरकारी स्कूलों के पूर्व छात्र कर रहे देश के मेंटर प्रोग्राम का प्रतिनिधित्व

दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘देश के मेंटर’ प्रोग्राम में भी देशभर से 44 हजार से अधिक मेंटर्स जुड़े हैं। इस प्रोग्राम में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के पूर्व छात्रों ने भी बतौर मेंटर्स बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sat, 15 Jan 2022 10:51 PM (IST) Updated:Sat, 15 Jan 2022 10:51 PM (IST)
दिल्ली सरकारी स्कूलों के पूर्व छात्र कर रहे देश के मेंटर प्रोग्राम का प्रतिनिधित्व
दिल्ली के सरकारी स्कूलों से पढ़ कर निकल चुके ये छात्र आज उच्च संस्थानों में कार्यरत हैं।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘देश के मेंटर’ प्रोग्राम में भी देशभर से 44 हजार से अधिक मेंटर्स जुड़े हैं। इस प्रोग्राम में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के पूर्व छात्रों ने भी बतौर मेंटर्स बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। ये मेंटर्स सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 11वीं और 12वीं के छात्रों को करियर संबंधी मार्गदर्शन देने के साथ उनकी शैक्षणिक और निजी समस्याओं का समाधान करने में भी मदद करते हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों से पढ़ कर निकल चुके ये छात्र आज उच्च संस्थानों में कार्यरत हैं। इनमें से कई देश के टाप कालेजों में पढ़ाई भी कर रहे हैं। मेंटर्स के मुताबिक ‘देश के मेंटर’ कार्यक्रम से जुड़कर न सिर्फ उन्हें सरकारी स्कूलों के छात्रों को मार्गदर्शन देने का मौका मिला बल्कि उन स्कूलों, शिक्षकों और जूनियर्स से संवाद करने का एक मौका मिला। मेंटर्स के मुताबिक अपने जूनियर्स की मदद कर वो उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं और उन्हें खुशी है कि उन्हें इस प्रोग्राम के जरिए अपना फर्ज पूरा करने का मौका मिला।

मैंने सूरजमल विहार स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से 12वीं उत्तीर्ण की थी। इसके बाद आगे की शिक्षा उत्तराखंड से पूरी करने के बाद मैं पंजाब में रह रही हूं। मैं पेशे से चिकित्सक हूं और अतंरराष्ट्रीय स्तर पर भी कार्य कर रही हूं। मैं इस प्रोग्राम से पांच-छह माह से जुड़ी हूं। इसमें मुझे चार छात्राएं मिली हैं जो चिकित्सा के क्षेत्र में करियर बनाना है। सभी को मैं एलोपैथी के बजाया होम्योपैथी या आयुर्वेदी के क्षेत्र में करियर बनाने की सलाह और इस दिशा में करियर की संभावनाओं पर चर्चा करती हूं। एक माह में पांच से छह बार इन छात्राओं से बातचीत हो जाती है। सबसे अच्छी बात है कि छात्राओं को जो विषय स्कूल में समझ नहीं आता वो फोन पर उस पर भी चर्चा करती हैं।

डा लता बिष्ट, चिकित्सक

मैंने वर्ष 2017 में आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। इसके बाद मास्टर्स की पढ़ाई के लिए एचईसी पेरिस में दाखिला लिया। वर्तमान में भारत में गूगल कंपनी में टेक्निकल सोल्यूशन कंसल्टेंट की सेवाएं दे रहा है। इस प्रोग्राम से मैं अक्टूबर माह में जुड़ा था। प्रोग्राम में पंजीकरण कराने के बाद मैंने एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण दिया था। करीब 10 मिनट के इस परीक्षण में बच्चों से जुड़े सवाल पूछे गए थे, जिन्हें बच्चों की स्थिति के हिसाब से पूछा गया था। उसके बाद इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए कुछ गाइडलाइंस भी बताई गई थी। इसके बाद मुझे तीन छात्र दिए गए जिनकी मेंटरिंग करनी थी। अभी तक मैंने केवल दो बार ही इन बच्चों से बातचीत की है। बच्चों से जो बातचीत हुई उसमें बच्चों के ज्यादातर सवाल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने को लेकर थे।

शुभम चौधरी, गूगल में कार्यरत

मैंने लाजपत नगर स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय से 12वीं उत्तीर्ण की थी। फिलहाल मैं आइआइटी मुंबई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर रहा हूं। इस कार्यक्रम में मुझे चार बच्चे दिेए गए थे। सभी कोडिंग और साफ्टेवयर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। एक छात्र ने आइआइटी में दाखिले को लेकर भी सवाल पूछे। मैंने उसे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ दाखिले की पूरी प्रक्रिया समझाई है। अभी ये सब छात्र बोर्ड परीक्षा के साथ-साथ टाप इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले के लिए भी तैयारी कर रहे हैं। दिल्ली सरकार का ये कार्यक्रम सराहनीय है लेकिन इसमें कई विसंगतियां हैं जिनको तत्काल दूर करने की जरूरत है। इसमें सबसे बड़ी विसंगति बच्चों की सुरक्षा की है।

बलबीर यादव, बीटेक छात्र, आइआइटी मुंबई

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