पाक को UN से मिली मात पर कुमार विश्वास ने इमरान पर किया क्या कटाक्ष, आप भी पढ़िए
पाकिस्तान अनुच्छेद-370 मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में उठा चुका है और बुरी तरह मुंह की भी खा चुका है।
नई दिल्ली, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 (Article 370) खत्म होने के बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है। इसको लेकर वह तरह-तरह के बेतुके बयान भी दे रहा है। अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देश के साथ कई देश जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद हटाने को लेकर भारत के रुख का पूरा समर्थन कर चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) में उठा चुका है और बुरी तरह मुंह की भी खा चुका है। पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस फजीहत को लेकर दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के बागी नेताओं में शुमार कवि कुमार विश्वास (Kumar vishvas) ने इमरान खान के संयुक्त राष्ट्र (UN) में झटका लगने पर कटाक्ष किया और कहा- चल सिंधु में डूब जाएं!। उन्होंने इस बाबत ट्ववीट किया- 'यूएन से लौटे मुँह लटकाए, पाक चाइना मिलकर गाएं, दोनों किसी को नजर नही आएं,चल सिंधु मे डूब जाएं...!'
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के सवाल पर पिछले सप्ताह 16 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की बंद कमरे में अनौपचारिक बैठक हुई थी। बैठक में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इससे जुड़े अन्य मसलों पर सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्य देशों और दस अस्थायी देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। चीन की मांग पर बुलाई गई इस आपात बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव पर चिंता जताई गई और संयम बरतने की अपील की गई। पाकिस्तान की मंशा के अनुसार जम्मू-कश्मीर मसले को तूल नहीं दिया जा सका।
बता दें कि पाकिस्तान के बैठक में भाग लेने के अनुरोध को पहले ही खारिज कर दिया गया था। बैठक के सूचना पत्र में इसके अनौपचारिक होने का स्पष्ट उल्लेख था। सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक में विषय पर सामान्य चर्चा होती है और इनमें सदस्य देश विचार रखने से ज्यादा ताजा जमीनी हालात के जानकारी लेते हैं। इसमें न कोई संकल्प लिया जा सकता है और न ही मतदान होता है।
इस मामले में संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि अकबरुद्दीन ने भी कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मुद्दा है और जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि बाहर के लोगों को इस फैसले से कोई मतलब नहीं है। हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है।