Triple Talaq Law: 93 फीसद मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक कानून के समर्थन में, कहा- मिला नया जीवन

मुस्लिम राष्ट्रीय मंचतीन तलाक के खिलाफ आंदोलन चलाने वाली प्रमुख संस्था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा कि देश की 100 फीसद मुस्लिम महिलाएं इस कुरीति के खिलाफ है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sat, 18 Jul 2020 07:07 AM (IST) Updated:Sat, 18 Jul 2020 07:15 AM (IST)
Triple Talaq Law: 93 फीसद मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक कानून  के समर्थन में, कहा- मिला नया जीवन
Triple Talaq Law: 93 फीसद मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक कानून के समर्थन में, कहा- मिला नया जीवन

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। लगातार तीन तलाक पर रोक के मोदी सरकार के फैसले का दिल्ली की 93 फीसद मुस्लिम महिलाओं ने समर्थन किया है। यह कानून दो साल पहले अमल में आया है।दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के एक अध्ययन में मुस्लिम समुदाय की अधिकतर महिलाओं ने तीन तलाक पर कानून का समर्थन किया है।

इस कानून में लगातार तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित करते हुए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इसे विपक्षी दल व कुछ कट्टरपंथी संगठन मुस्लिम धर्म पर हमला करार दे रहे थे। पर अध्ययन में 93 फीसद मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि इस कानून से मुस्लिम महिलाओं को एक नया जीवन मिला है।]

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 30 इलाकों की मुस्लिम महिलाओं से की गई बात

जनवरी-फरवरी माह में इस अध्ययन में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 30 इलाकों की 600 मुस्लिम महिलाओं से बात की गई। जिसमें उनका यह सकारात्मक रूख सामने आया है। खास बात कि इनमें से 66.3 फीसद महिलाएं विवाहित थी और इन सभी के एक विवाह हुए थे। इनमें से कोई लगतार तीन तलाक जैसी कुरीति से भी नहीं गुजरी थीं।

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि तीन तलाक का कुछ अज्ञानी पुरुषों ने ही इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन में हिस्सा लेने वाली सभी महिलाओं का मानना था कि बहुविवाह गलत है और इसपर रोक लगाने का सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला किया है।

100 फीसद मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ

मुस्लिम राष्ट्रीय मंचतीन तलाक के खिलाफ आंदोलन चलाने वाली प्रमुख संस्था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा कि देश की 100 फीसद मुस्लिम महिलाएं इस कुरीति के खिलाफ है। गिरेबान तो उनको झांकना चाहिए, जो इस कानून को मुस्लिम धर्म पर हमला बता सियासत कर रहे थे। मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता यासिर जिलानी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह अध्ययन काफी हद तक सही है। पर दिल्ली मुस्लिम आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान को अपना मन दुरुस्त करने की आवश्यकता है, क्योंकि इन जैसे लोग ही मुस्लिम समाज में सुधार और देश में साम्प्रादिक सद्भाव की राह में रोड़ा बने हुए हैं।

विवादों में रहे हैं जफरूल इस्लाम खान

राष्ट्रदोह जैसे मुकदमें का सामना कर रहे दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खानका विवादों से नाता रहा है। देश के खिलाफ कथित टिप्पणी पर उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है। दो माह पहले फेसबुक पोस्ट में उन्होंने दावा किया था कि देश में मुस्लिम का शोषण हो रहा है और अरब व‌र्ल्ड व मुस्लिम देशों से इसकी शिकायत की तो देश में जलजला आ जाएगा।

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