नेताओं-अभिनेताओं की यादों को समेटे यह सिनेमा हॉल बन जाएगा इतिहास

मार्च महीने से यह सिनेमाघर इतिहास बन जाएगा। सिनेमा हॉल से पृथ्वीराज कपूर, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसी हस्तियों की कहानियां और यादें जुड़ी हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 22 Mar 2017 08:57 AM (IST) Updated:Thu, 23 Mar 2017 05:07 PM (IST)
नेताओं-अभिनेताओं की यादों को समेटे यह सिनेमा हॉल बन जाएगा इतिहास
नेताओं-अभिनेताओं की यादों को समेटे यह सिनेमा हॉल बन जाएगा इतिहास

नई दिल्ली (नेमिष हेमंत)। दिल्ली में सिनेमाई दौर को जीते और नाट्य मंच की सुनहरी यादों को बांहों में समेटे कनॉट प्लेस में मौजूद सिंगल स्क्रीन रीगल पर पर्दा गिर जाएगा। 84 साल पुराने इस सिनेमा हाल को संचालकों ने मार्च में बंद करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही यह सिनेमाघर इतिहास बन जाएगा।

इससे पृथ्वीराज कपूर, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसी हस्तियों की कहानियां और यादें जुड़ी हैं। अभी 658 सीटों वाले इस सिनेमाघर में दो फिल्में ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ और ‘आ गया हीरो’ के दो-दो शो चलाए जा रहे हैं।

1931 में बने रीगल थियेटर में तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन अपनी पत्नी के साथ नाटक देखने आते थे। यहां कभी पृथ्वीराज कपूर के अलावा रंगमंच से जुड़ीं कई नामचीन हस्तियां नाटकों का मंचन करती थीं। राजकपूर की फिल्मों का प्रीमियर भी यहीं होता था।

वक्त के साथ दिल्ली बदलती गई और इसका दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस का भी आधुनिकीकरण होता रहा। फिर भी रीगल अपनी पुरानी पहचान के साथ खड़ा रहा। मल्टीप्लेक्स के थपेड़ों में जब दिल्ली के कई सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल बंद हुए, तब भी यह चलता रहा।

अब नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के संरचनात्मक स्थिरता प्रणामपत्र (स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट) को लेकर जारी नोटिस ने इसके संचालकों को इसे आगे चलाए रखने पर विचार करने को मजबूर कर दिया। संचालकों ने एनडीएमसी से प्रमाणपत्र देने के लिए एक महीने का वक्त मांगा था, लेकिन मोहलत नहीं मिली।

रीगल के मैनेजर रूप घई के मुताबिक संचालकों की कोशिश थी कि मल्टीप्लेक्स में तब्दील करने की मंजूरी मिलने तक इसे चलाया जाए। इस बीच कनॉट प्लेस की ऐतिहासिक इमारतों की छतों के गिरने की घटनाओं ने नई समस्या खड़ी कर दी है।

ऐसे में किसी हादसे से बचने के लिए इसे बंद करने का निर्णय लिया गया है। सिनेमाहाल के बंद करने के फैसले से यहां लंबे समय से काम करने वाले कर्मी मायूस हैं। वो कहते हैं कि दिल्लीवालों की तरह रीगल से उनकी भी अनगिनत यादें जुड़ी हैं।

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