CNG फिटनेस घोटालाः CM केजरीवाल ने एक तीर से साधा शीला-जंग पर निशाना

सीएनजी फिटनेस मामले में जांच आयोग बनाकर सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक ही तीर से उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को घायल करना चाहते हैं। यह दीगर बात है कि जंग के तरकश में भी दागने के लिए जवाबी तीरों की कमी नहीं हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2015 09:27 AM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2015 03:37 PM (IST)
CNG फिटनेस घोटालाः CM केजरीवाल ने एक तीर से साधा शीला-जंग पर निशाना

नई दिल्ली। सीएनजी फिटनेस मामले में जांच आयोग बनाकर सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक ही तीर से उपराज्यपाल नजीब जंग और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को घायल करना चाहते हैं। यह दीगर बात है कि जंग के तरकश में भी दागने के लिए जवाबी तीरों की कमी नहीं हैं।

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दरअसल, सीएनजी फिटनेस घोटाले की जांच पहले ही मुकुल मुद्गल कमेटी कर चुकी है। इसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल जंग ने किसी भी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी थी, क्योंकि इस रिपोर्ट में सीधे तौर पर किसी अधिकारी को घोटाले में शामिल नहीं बताया गया था।

सरकार ने नया जांच आयोग बनाकर अब तक हुई जांच पर सवाल जरूर उठा दिया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि चूंकि इस मामले में सवाल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारियों की भूमिका को लेकर उठाए गए हैं, लिहाजा उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत केंद्रीय गृह मंत्रलय देगा।

दिल्ली में उपराज्यपाल केंद्र के प्रतिनिधि हैं, इसलिए बगैर उनकी अनुमति के कोई कार्रवाई संभव नहीं है। कहा यह भी जा रहा है कि जब वे पहले ही इस मामले में एक निर्णय दे चुके हैं तो नए सिरे से इसमें तब्दीली करना आसान नहीं होगा।

सियासी जानकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने पहला विधानसभा चुनाव दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ अभियान चलाकर ही जीता था, लिहाजा सरकार पर दीक्षित के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बन रहा है।

दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित एक-दो मामलों में जांच कराई गई, लेकिन अब तक ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है जिसमें दीक्षित की किसी मामले में संलिप्तता बताई गई हो। सीएनजी फिटनेस मामले में भी अब तक हुई जांच में सीधे तौर पर दीक्षित पर कोई आरोप नहीं लगे।

ऐसे में अब नए सिरे से कराई जाने वाली दिल्ली सरकार की जांच पर सबकी नजर रहेगी। यह रिपोर्ट तीन महीने बाद आने की उम्मीद है। हालांकि इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस समयसीमा में वृद्धि भी की जा सकती है।

सरकार ने कुछ दिनों पहले दिल्ली जल बोर्ड द्वारा टैंकर किराए पर लिए जाने के मामले में भी जांच कराने के आदेश दिए थे। कायदे से उसकी रिपोर्ट आ जानी चाहिए थी। यह मामला भी पूर्व मुख्यमंत्री दीक्षित के कार्यकाल से ही संबंधित था, लेकिन अब तक न तो रिपोर्ट ही सामने आई है और न कोई कार्रवाई ही की गई है।

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