जेएनयू के 10 किमी के दायरे के प्रदूषण एवं मौसम की होगी मॉनिट¨रग

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्पेशल सेटर फॉर डिजास्टर रिसर्च (एससीडीआर) के साथ स्काइमेट वेदर सर्विसेज ने मंगलवार को साझेदारी की। इस साझेदारी की बदौलत स्काइमेट जेएनयू में ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन और एयर क्वालिटी पर नजर रखने वाला सेंसर मुफ्त में लगाएगा। इससे जेएनयू के एससीडीआर के शोधकर्ताओं को मदद मिलेगी। साथ ही कंपनी की तरफ से पर्यावरण और मौसम से जुड़ी तमाम जानकारियां इन शोधकर्ताओं के साथ साझा की जाएंगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 11:29 PM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 11:29 PM (IST)
जेएनयू के 10 किमी के दायरे के प्रदूषण एवं मौसम की होगी मॉनिट¨रग
जेएनयू के 10 किमी के दायरे के प्रदूषण एवं मौसम की होगी मॉनिट¨रग

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्पेशल सेटर फॉर डिजास्टर रिसर्च (एससीडीआर) के साथ स्काइमेट वेदर सर्विसेज ने मंगलवार को साझेदारी की। इस साझेदारी की बदौलत स्काइमेट जेएनयू में ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन और एयर क्वालिटी पर नजर रखने वाला सेंसर मुफ्त में लगाएगा। इससे जेएनयू के एससीडीआर के शोधकर्ताओं को मदद मिलेगी। साथ ही कंपनी की तरफ से पर्यावरण और मौसम से जुड़ी तमाम जानकारियां इन शोधकर्ताओं के साथ साझा की जाएंगी।

इस अवसर पर एससीडीआर की अध्यक्ष डॉ. अमिता सिंह, स्काइमेट के डिजास्टर मैनेजमेट एवं गवर्नमेट बिजनेस के वाइस प्रेसिडेट डॉ. रजनीश रंजन मौजूद थे। उन्होंने बताया कि इन दोनों उपकरणों से जेएनयू के दस किमी के दायरे की प्रदूषण और मौसम की मॉनिट¨रग हर क्षण की जाएगी। जेएनयू के गेट के बाहर डिस्पले बोर्ड होगा स्थापित

डॉ. रजनीश ने बताया कि मंगलवार को बैठक में यह फैसला लिया गया कि जेएनयू के गेट के बाहर प्रदूषण और मौसम की जानकारी देने वाला एक बड़ा डिस्पले बोर्ड स्थापित किया जाएगा। इससे छात्रों और आम जनता को भी फायदा होगा। वेदर स्टेशन की मदद से हम मौसम का अलर्ट दे सकेंगे। साथ ही यह आपदा प्रबंधन में भी काम आएगा। इसके अलावा हवा की रफ्तार, दिशा, नमी का स्तर, दिन भर के तापमान से जुड़ी जानकारी भी इससे दी जाएगी। एयर क्वॉलिटी सेंसर से मिलेगी प्रदूषण की जानकार

डॉ. रजनीश ने कहा कि एयर क्वालिटी सेंसर से पीएम 2.5, पीएम 10, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड जैसे प्रदूषित कणों का डेटा जुटाया जाएगा। इससे पर्यावरण की मॉनिट¨रग हो सकेगी। साथ ही यह जानकारी भी मिल सकेगी की जेएनयू के आसपास कितना प्रदूषण फैल रहा है। प्रदूषण का बोर्ड अगले दो महीने के अंदर लगा दिया जाएगा। 15 दिनों में अंदर वेदर स्टेशन और एयर क्वालिटी सेसर काम करने लगेंगे। उन्होंने कहा कि जेएनयू के साथ यह साझेदारी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का एक अच्छा उदाहरण है।

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