नाज फरहीन पर है लोगों को 'नाज'

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जामा मस्जिद इलाके के सुईवालान निवासी नाज फरहीन किसी परिचय की म

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Jul 2018 11:21 PM (IST) Updated:Wed, 18 Jul 2018 11:25 PM (IST)
नाज फरहीन पर है लोगों को 'नाज'
नाज फरहीन पर है लोगों को 'नाज'

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

जामा मस्जिद इलाके के सुईवालान निवासी नाज फरहीन किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं, क्योंकि वे न सिर्फ शिक्षा के लिए बाहर निकलीं, बल्कि यहां के युवाओं को शिक्षा के साथ रोजगार के क्षेत्र में मदद कर रही हैं। कुछ माह पहले एक प्रतिष्ठित कंपनी और एक एनजीओ को इस बात के लिए उन्होंने राजी किया कि वे पुरानी दिल्ली के युवाओं में कौशल विकास के लिए एक सेंटर खोलें, जहां उन्हें बेहतर प्रशिक्षण मिले और वे बेरोजगार होकर घूमने की जगह नौकरी कर सकें। फिलवक्त, इस सेंटर में 60 से अधिक युवा अंग्रेजी बोलने और कंप्यूटर की शिक्षा के साथ व्यक्तित्व विकास का कोर्स कर रहे हैं।

पुरानी दिल्ली में सक्रिय दिल्ली यूथ वेलफेयर एसोसिएशन और प्राइवेट स्कूल व चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन की संयुक्त सचिव के तौर पर सक्रिय नाज का अधिकांश समय अपने आस-पास के युवाओं को यह समझाने में बीतता है कि उनके भविष्य के बेहतर विकल्प क्या हैं। वे कहां और क्या शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। नौकरियों के लिए उन्हें क्या करना होगा।

वे अभिभावकों को प्रेरित करती हैं कि वे अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ें, क्योंकि उनके बेहतर भविष्य के लिए यह जरूरी है। सुईवालान में रहने वाली नाज का परिवार पहले लड़कियों की शिक्षा को लेकर ज्यादा आजाद ख्याल का नहीं था। इसलिए जब वर्ष 2003 में नाज ने बीए किया तो वे यहां तक पहुंचने वाली अपने खानदान की पहली लड़की थीं। वे कहती हैं कि जब उन्होंने आगे भी पढ़ाई जारी रखने की सोची तो उनकी मुखालफत हुई। संयुक्त खानदान में यह आसान नहीं था। आखिरकार, माता-पिता माने और उन्हें लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी के लिए घर से बाहर जाने की इजाजत दे दी। वे कई वर्ष तक जामिया मिलिया इस्लामिया व जामिया हमदर्द में चलने वाली कोचिंग के लिए हास्टल लेकर रहीं। हालांकि, सिविल अधिकारी बनने का नाज का सपना पूरा नहीं हुआ, लेकिन वे शिक्षा में डाक्ट्रेट करने के साथ पुरानी दिल्ली में शिक्षा के स्तर में बड़ा बदलाव करना चाहती है।

इसी वर्ष नाज का मास्टर इन एजुकेशन पूरा हुआ है, जिसका विषय कश्मीर में मानवाधिकार और शांति के लिए शिक्षा विषय था। इसके लिए वे कई हफ्ते कश्मीर में भी रहीं। नाज आठ साल से शिक्षा के क्षेत्र में जुड़ी हैं।

उनके प्रयासों से पुरानी दिल्ली के सीताराम बाजार के अलावा मुस्लिम बहुल यमुना विहार व जाकिर नगर जैसे इलाकों में कुछ अच्छे आधुनिक स्कूल खुले। उन्होंने न सिर्फ उन स्कूलों में बच्चों को भेजने के लिए अभिभावकों को मनाया, बल्कि उन्हें प्रशिक्षित भी किया।

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