सीने में दर्द की शिकायत के बाद पूूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह मेदांता में भर्ती

84 वर्षीय नटवर सिंह को मंगलवार को मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया है। कयास लगाया जा रहा है उन्हें हार्ट अटैक पड़ा है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Tue, 03 May 2016 03:49 PM (IST) Updated:Tue, 03 May 2016 05:01 PM (IST)
सीने में दर्द की शिकायत के बाद पूूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह मेदांता में भर्ती

गुड़गांव । भारत के पूर्व विदेश मंत्री 84 वर्षीय नटवर सिंह को मंगलवार को मेदांंता अस्पताल में भर्ती किया गया। सूत्रों के मुताबिक उन्हें हार्ट संबंधित परेशानी थी।

पूर्व विदेश मंत्री के सीने में दर्द की शिकायत के बाद मंगलवार को उन्हें तत्काल दिल्ली से गुड़गांव के मेदांता अस्पताल ले जाया गया। यहां डाक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने अभी उनके स्वास्थ्य का कोई नया अपडेट नहीं दिया है, लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें हार्ट अटैक के लक्षण थे।

दिग्गज नेताओं में की जाती है नटवर सिंह की गिनती

भारत के पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में की जाती रही है। एक सफल ब्यूरोक्रेट के बाद राजनीति में कदम रखने वाले नटवर सिंह अपने बेबाक अंदाज के लिए भी कई बार सुर्खियों में रहे। हालांकि इसकी वजह से वह कभी-कभी अपनी ही पार्टी के निशाने पर भी आते रहे। राजनीति में बड़ा अनुभव और बड़े कद के साथ उन्होंने सफलता की कई सीढि़यां पार की। वह सिर्फ एक राजनेता या ब्यूरोक्रेट ही नहीं थे बल्कि एक अच्छे लेखक भी थे।

1989 में मंत्री बने नटवर सिंह

नटवर सिंह 1953 में सबसे प्रतिष्ठित सेवा भारतीय विदेश सेवा में नियुक्त हुए थे। 1984 में उन्होंने इस सेवा से इस्तीफा दिया और कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1989 में उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया । उनकी काबलियत को देखते हुए वर्ष 2004 में उन्हें देश का विदेश मंत्री भी बनाया गया। लेकिन 2004 में महज 18 माह बाद ही उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। इसकी पीछे वोल्कर कमेटी की एक रिपोर्ट थी, जिसमेंं उनका नाम इराकी तेल घोटाले से जोड़ा गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंनेे अपने निजी स्वार्थ के लिए कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया था।

भरतपुर रियासत में हुआ जन्म

16 मई 1931 को भरतपुर रियासत में जन्में नटवर सिंह ठाकुर गोविंद सिंह के चाैथे पुत्र थे। उन्होंने उस दौर के सबसे प्रतिष्ठित मायो कॉलेज और सिंधिया कॉलेज से पढ़ाई की और दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्होंने कैंबिज यूनिवर्सिटी के क्रिस्टी कॉलेज से न सिर्फ अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की बल्कि बाद में वह यहां के विजिटिंग स्कॉलर भी थे।

भारतीय विदेश सेवा में रहा लंबा अनुभव

भारतीय विदेश सेवा मेंं रहते हुए उन्होंने अपने 31 वर्ष की सेवा में चीन (1956–58), अमेरिका (1961–66), यूनिसेफ (1962–66) में भी अपनी सेवाएं प्रदान की। इसके अलाव वह कई 1963, 1966 में यूएन की कई अहम कमेटियों में भी रहे। 1966 में उन्हें प्रधानमंत्री सचिवालय में नियुक्त किया गया। यहां रहते हुए वह कई विदेश दौराें के भी गवाह रहे। 1982 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ अमेरिकी दौरे पर जाने का मौका मिला। 1981-86 तक वह यूएन के महासचिव द्वारा नियुक्त यूएन इंस्टिट्यूट फॉर ट्रेनिंग एंड रिसर्च के एक्जीक्यूटिव ट्रस्टी के पद पर रहे। 1983 में उन्हें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन का महासचिव भी नियुक्त किया गया। वह 1982-1984 तक विदेश मंत्रालय में सचिव के पद पर भी रहे।

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