देश के कोने-कोने से बुनकर लेकर आए खादी के उत्पाद

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्लीवासियों के लिए खादी और हथकरघा के उत्पादों की खरीदारी करने के लिए अच्छा मौका है। राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा संग्रहालय में तीन दिवसीय खादी उत्पादों की प्रदर्शनी शुरू हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Mar 2018 11:37 PM (IST) Updated:Fri, 09 Mar 2018 11:37 PM (IST)
देश के कोने-कोने से बुनकर लेकर आए खादी के उत्पाद
देश के कोने-कोने से बुनकर लेकर आए खादी के उत्पाद

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्लीवासियों के लिए खादी और हथकरघा के उत्पादों की खरीदारी करने का अच्छा मौका है। भैरो मार्ग स्थित राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं हथकरघा संग्रहालय में तीन दिवसीय प्रदर्शनी का शुक्रवार से शुभारंभ हो गया है। देश के कोने-कोने से बुनकर यहां अपने उत्पादों की बिक्री के लिए पहुंचे हैं। एक ही छत के नीचे पोचमपल्ली, चंदेरी, बनारसी, माहेश्वरी साड़ी और विभिन्न प्रकार के कपड़ों की खरीदारी की जा सकती है। साथ ही उत्तराखंड के जैविक खाद्य पदार्थ भी उपलब्ध हैं। खूबसूरत और बारीकी से बनाए गए हस्तशिल्प भी देखने को मिलेंगे। लुप्त होती धरोहरों के बारे में भी जानकारी मिल जाएगी। यह प्रदर्शनी उदयपुर टेल्स की तरफ से आयोजित की गई है, जिसका मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण है। प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा ने किया।

इस मौके पर अजय टम्टा ने कहा कि खादी और हथकरघा में बेहद तकनीकी फर्क होता है। कपड़े का जिक्र आते ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और कबीरदास याद आते हैं। महात्मा गांधी ने कपड़ों को त्यागकर चरखा चलाकर बुनकर का काम शुरू किया ताकि कपड़ा खुद बना सकें।

उदयपुर टेल्स के निदेशक सलिल भंडारी ने कहा कि खादी से जुड़े विषयों को कहानी के रूप में कहानीकार इस प्रदर्शनी में प्रस्तुत करेंगे। कहानी के जरिये अपनी बातों को रखने का तरीका बेहद पुराना है। इसे जीवंत बनाने की आवश्यकता है। इस माध्यम से चीजों को बेहद आसानी से समझा जा सकता है। मिस व‌र्ल्ड टूरिज्म इशिका तनेजा ने कहा कि खादी से लोगों का भावनात्मक जुड़ाव है। खादी का प्रयोग काफी बढ़ा है। वहीं उद्घाटन समारोह में खादी और हथकरघा के उत्पाद पहनकर युवक-युवतियों ने रैंप वॉक किया।

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