घरेलू उद्योगों को मिलनी थी राहत पर अब और बढ़ गई आफत

दिल्ली में हजारों की संख्या में चल रहे घरेलू उद्योगों को सीलिग से बचाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने कानून में बदलाव करते हुए अधिसूचना जारी की थी कि इससे बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन सहूलियत के बजाए उल्टे परेशानी बढ़ गई है। अब तो घरेलू उद्योगों के लिए लाइसेंस लेने का पहला चरण यानि रसीद काटने की प्रक्रिया ही बंद कर दी गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 07 Aug 2019 11:06 PM (IST) Updated:Fri, 09 Aug 2019 06:29 AM (IST)
घरेलू उद्योगों को मिलनी थी राहत पर अब और बढ़ गई आफत
घरेलू उद्योगों को मिलनी थी राहत पर अब और बढ़ गई आफत

सुधीर कुमार, पूर्वी दिल्ली

दिल्ली में हजारों की संख्या में चल रहे घरेलू उद्योगों को सीलिग से बचाने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने कानून में बदलाव करते हुए अधिसूचना जारी की थी कि इससे बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन सहूलियत के बजाय उल्टे परेशानी बढ़ गई है। अब तो घरेलू उद्योगों के लिए लाइसेंस लेने का पहला चरण यानी रसीद काटने की प्रक्रिया ही बंद कर दी गई है।

उत्पादन की वे छोटी इकाइयां, जिनसे प्रदूषण नहीं होता है उन्हें रिहायशी इलाके में खोला जा सकता है। लोग अपने घरों में रोजगार कर सकें, इसके लिए ही यह व्यवस्था की गई है। इसके लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। पहले अधिकतम पांच किलोवाट बिजली उपयोग और और स्वामी सहित पांच लोगों की क्षमता तय थी, लेकिन इस क्षमता से घरेलू उद्योगों की पूर्ति नहीं हो पा रही थी। गांधी नगर जैसे कई इलाके हैं जहां हजारों की संख्या में ऐसी इकाइयां हैं जहां तय सीमा से अधिक लोग काम कर रहे हैं और बिजली का भी अधिक उपयोग हो रहा है। हालांकि ये इकाइयां घरेलू उद्योगों की श्रेणी में ही आती हैं। पूर्वी दिल्ली की हजारों इकाइयां सीलिग की जद में आ गई थीं। इससे विधायक ओमप्रकाश शर्मा और स्थायी समिति के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र चौधरी क्षमता बढ़वाने के लिए लगातार कार्य करते रहे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह देव सिंह पुरी की पहल पर मंत्रालय से अधिसूचना जारी हुई। इसके तहत घरेलू उद्योगों की क्षमता बढ़ाकर 11 किलोवाट बिजली उपयोग और नौ लोगों के कार्य करने की बढ़ा दी गई।

कई पाबंदियां जोड़ने से बंद हो गई रसीद कटनी

घरेलू उद्योगों के लिए बड़ी राहत दी गई, जिसकी मांग उद्यमी कई वर्ष से कर रहे थे, लेकिन इसके साथ ही तीन विभागों-आयुक्त, उद्योग, डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) और श्रम विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) आवश्यक कर दिया गया। पहले यह व्यवस्था थी कि जरूरी कागजात जमा कराने के बाद घरेलू उद्योग के लिए जी-8 रसीद कट जाती थी, फिर फाइल को दिल्ली सरकार की हाईपावर कमेटी में भेजा जाता था। इस कमेटी में प्रमुख सचिव उद्योग चेयरमैन होते हैं। इसके अलावा डीपीसीसी, जल बोर्ड, नगर निगम के आला अधिकारियों के अलावा विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यह कमेटी ही लाइसेंस देती है। अब भी घरेलू उद्योगों को लाइसेंस हाई पावर कमेटी ही देगी, लेकिन इससे पहले तीन विभागों से एनओसी लेना होगा तभी रसीद कटेगी। अब तक सिर्फ डीपीसीसी ने ही 10 हजार रुपये शुल्क लेकर एनओसी देने का प्रावधान ऑन लाइन किया है। अन्य दोनों विभाग अभी तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि एनओसी किस तरह दिया जाएगा। इस कारण 13 जून के बाद से कोई रसीद नहीं काटी जा रही है। जो पांच किलोवाट व पांच लोगों से कम क्षमता के घरेलू उद्योग हैं उनकी रसीदें भी नहीं कट रही हैं।

दोनों विभागों से चल रही है बातचीत : अतिरिक्त आयुक्त

स्थायी समिति की बैठक में भी यह मामला जोर-शोर से उठा। इसका जवाब देते हुए अतिरिक्त आयुक्त अलका शर्मा ने कहा कि उद्योग और श्रम विभाग से एनओसी को लेकर बातचीत चल रही है। इसके लिए उन्हें निगम की ओर से पत्र भी लिखा गया है। इसका शीघ्र समाधान निकाला जाएगा।

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