सुप्रीम कोर्ट से निराशा हुई, अब चाबी जनता के हाथ: केजरीवाल

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल्ली के मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि यह संविधान के मूल भावना और जनतंत्र के खिलाफ है। उनका कहना है कि यह कैसा फैसला है कि 70 में से 67 सीटें लाने वाली पार्टी और सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है और 70 में से तीन सीट लाने वाली पार्टी के पास सारे अधिकार हैं

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Feb 2019 07:52 PM (IST) Updated:Thu, 14 Feb 2019 07:52 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट से निराशा हुई, अब 
चाबी जनता के हाथ: केजरीवाल
सुप्रीम कोर्ट से निराशा हुई, अब चाबी जनता के हाथ: केजरीवाल

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल ने दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि यह संविधान की मूल भावना और जनतंत्र के खिलाफ है। यह कैसा फैसला है कि 70 में से 67 सीटें लाने वाली पार्टी और सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है और तीन सीट लाने वाली पार्टी (भाजपा) के पास सारे अधिकार हैं।

सिविल लाइंस स्थित अपने आवास पर गुरुवार को प्रेसवार्ता में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कानूनी उपाय तलाश रहे हैं। अधिकारों को लेकर उपराज्यपाल के साथ चल रही इस जंग में उन्होंने जनता को भी शामिल कर लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब चाबी जनता के हाथ में है। जनता को देखना है कि उसे किसे जिताना है। लोग लोकसभा चुनाव में आप को सातों सीटें पर जिताए, संसद में पहुंचने पर हम लड़कर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कोर्ट की इज्जत करते हैं, लेकिन फैसला दिल्ली और दिल्ली के लोगों के खिलाफ है। फैसला कहता है कि तबादला, नियुक्ति और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) का अधिकार विपक्ष के पास होगा। पिछले 40 साल से एसीबी दिल्ली सरकार के पास थी, अब कहते हैं कि नहीं है। अब हमारे पास कोई आकर कहेगा कि कोई अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहा है तो हम कार्रवाई कैसे करेंगे? तबादला, नियुक्ति और एसीबी सरकार के लिए जरूरी हैं। इन अधिकारों के बिना कोई सरकार कैसे चल सकती है? ऐसे में तो यदि कोई मुख्यमंत्री के पास भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर आए तो क्या मुख्यमंत्री को भाजपा के पास जाना चाहिए। विपक्ष ही तो सारी गड़बड़ियां करा रहा है। ऐसे में विपक्ष ऐसे अधिकारियों को भेजेगा जो सरकार चलने न दें। आज ऐसी स्थिति हो गई है कि लोगों के कार्य हों, किसानों के कार्य हों, सड़कें बनवानी हों, पानी दिलवाना हो, कुछ और कार्य कराने हों तो हमें उपराज्यपाल के यहां धरना देना होता है। उनसे लड़-लड़कर हमने काम कराए हैं। जब हर फाइल की स्वीकृति के लिए उपराज्यपाल के आवास पर धरना देना पड़ेगा तो सरकार कैसे चलेगी। इसका एक ही समाधान है, वह है दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा। मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूं, मेरे पास चपरासी का तबादला करने का भी अधिकार नहीं है। जनता लोकसभा की सातों सीटें आप को दे। हमारे सांसद संसद में लड़कर पूर्ण राज्य का दर्जा ले आएंगे। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट न करें। प्रेसवार्ता में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सत्येंद्र जैन, गोपाल राय, इमरान हुसैन व राजेंद्र पाल गौतम भी मौजूद थे।

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