जलवायु परिवर्तन और लॉकडाउन ने रोकी गर्मी की राह

रिकॉर्डतोड़ गर्मी के पूर्वानुमानों से इतर अप्रैल का माह एक दशक का दूसरा सबसे ठंडा अप्रैल साबित होने जा रहा है। बारिश इस माह सामान्य से दोगुनी हुई है तो अधिकतम तापमान औसत से कम रहा है। बार-बार आए पश्चिमी विक्षोभों और बादल छाए रहने से चुभन भरी गर्मी या धूप का एहसास भी नहीं हुआ। मौसम विज्ञानी इसे बदलाव को जलवायु परिवर्तन और लॉकडाउन से जोड़कर देख रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Apr 2020 07:19 PM (IST) Updated:Wed, 29 Apr 2020 06:12 AM (IST)
जलवायु परिवर्तन और लॉकडाउन ने रोकी गर्मी की राह
जलवायु परिवर्तन और लॉकडाउन ने रोकी गर्मी की राह

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के पूर्वानुमानों से इतर अप्रैल का महीना एक दशक का दूसरा सबसे ठंडा अप्रैल साबित होने जा रहा है। बारिश इस माह सामान्य से दोगुनी हुई है तो अधिकतम तापमान औसत से कम रहा है। बार-बार आए पश्चिमी विक्षोभ और बादल छाए रहने से चुभन भरी गर्मी या धूप का एहसास भी नहीं हुआ। मौसम विज्ञानी इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन के साथ ही लॉकडाउन असर भी मान रहे हैं।

मार्च से ही गर्मी और तापमान दोनों बढ़ने लगते हैं। पिछले सालों पर नजर दौड़ाएं तो मार्च में अधिकतम पारा 38 से 39 जबकि अप्रैल में 43 से 44 डिग्री सेल्सियस पहुंचता रहा है। लेकिन इस साल न तो मार्च में गर्मी रही और न अप्रैल में इसका कुछ खास एहसास हुआ। मार्च ने भी तापमान और बारिश में नए रिकॉर्ड बनाए तो अप्रैल में भी ऐसा ही देखने में आ रहा है।

अप्रैल में होने वाली औसत बारिश 13 मिमी है, जबकि इस बार 28 तारीख तक ही 30 मिमी से अधिक हो चुकी है। इसी तरह इस माह में पश्चिमी विक्षोभ तीन से चार आते हैं, लेकिन अभी तक छह आ चुके हैं। अप्रैल का औसत अधिकतम तापमान 36.3 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन इस बार वह भी 35.4 डिग्री सेल्सियस यानी लगभग एक डिग्री कम चल रहा है। इससे पूर्व इतना ठंडा अप्रैल वर्ष 2012 में रहा था, जब अधिकतम तापमान 38.7 डिग्री सेल्सियस रहा था, जबकि इस साल 40.1 डिग्री सेल्सियस रहा है।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु परिवर्तन का असर लगातार देखने को मिल रहा है। दिसंबर की सर्दी ने जहां इस बार एक सदी का रिकॉर्ड तोड़ा। जनवरी में नौ पश्चिमी विक्षोभ रहे, जबकि फरवरी भी पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा ठंडा रहा। मार्च में सामान्य से ज्यादा पश्चिमी विक्षोभ आए तो बारिश ने भी एक सदी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। अप्रैल में भी वही हालात बन रहे हैं। इस माह गर्मी का ज्यादा प्रभाव नहीं होने की एक वजह लॉकडाउन भी है, क्योंकि न तो वाहन चल रहे हैं न ही औद्योगिक इकाइयां और न ही बड़े पैमाने पर एसी। इन सबसे भी तापमान में वृद्धि होती है। बॉक्स-1

मार्च के बाद अप्रैल के भी ठंडा रहने की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन ही लग रही है। एक वजह लॉकडाउन भी है। पश्चिमी विक्षोभों की अधिकता और माह में अधिकांश दिन बादल छाए रहने से भी पूर्वानुमान गड़बड़ाए हैं।

-कुलदीप श्रीवास्तव, प्रमुख, प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र, दिल्ली बॉक्स-2

गर्म होने के बजाए अप्रैल के ठंडा होने का कारण यह भी है कि उत्तर पश्चिम, पूर्वी और उत्तर पूर्वी राज्यों में बारिश का सिलसिला रुका ही नहीं। वहां प्री मानसून गतिविधि इस वर्ष ज्यादा देखने में आ रही हैं।

-महेश पलावत, मुख्य मौसम विज्ञानी, स्काईमेट वेदर

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