पंजाब व निगम के आम चुनाव की वजह से उप चुनाव को दी जा रही तरजीह

नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली नगर निगम के उप चुनाव में उम्मीदवारों के साथ कई वरिष्ठ नेताओं की तो प्रतिष

By Edited By: Publish:Tue, 03 May 2016 07:13 PM (IST) Updated:Tue, 03 May 2016 07:13 PM (IST)
पंजाब व निगम के आम चुनाव की वजह से उप चुनाव को दी जा रही तरजीह

नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली

नगर निगम के उप चुनाव में उम्मीदवारों के साथ कई वरिष्ठ नेताओं की तो प्रतिष्ठा दांव पर है ही। प्रतिष्ठा का सवाल राजनीतिक दलों के लिए भी बन गया है। वजह, पंजाब विधानसभा और निगम के आम चुनाव हैं, जिन्होंने इस उप चुनाव को इन दलों के लिए नाक की लड़ाई बना दिया है। यही कारण है कि इन राजनीतिक दलों ने कई दिग्गजों को इस उप चुनाव में उतार दिया है। पूर्व सांसद से लेकर मौजूदा सांसद तक दिन रात इन्हीं वार्ड की परिक्रमा कर रहे हैं।

एक-एक वार्ड में पांच-पांच विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता और नेता भी जुटे हुए हैं। इन दलों के नेता जान रहे हैं कि जीते हुए पार्षद को इतना वक्त नहीं मिल पाएगा कि वह इलाके के लिए कुछ कर पाएगा, लेकिन उनकी हार-जीत जरूर इन दलों की राजनीतिक को दिशा दे जाएगी।

विधानसभा चुनाव में चारों खाने चित्त गिरी कांग्रेस इस उप चुनाव के माध्यम से आक्सीजन लेने की कोशिश में हैं। उम्मीदवार चयन से लेकर चुनाव प्रचार की रणनीति को अमली जामा पहनाने के लिए कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के भी कई नेता नजर रखे हुए हैं, जिस कांग्रेस को पहले मुकाबले से ही बाहर माना जा रहा था वह उम्मीदवारों के चयन के बाद से ही मुकाबले को त्रिकोणीय किए हुए है। शालीमार बाग एवं कमरुद्दीन नगर में ब्राह्मण मतदाताओं की तादाद देखकर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे तो वजीरपुर में पहली बार गांव के किसी व्यक्ति को उम्मीदवार बना गांव के लोगों को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद करने की कोशिश की है। कांग्रेस के नेता मान रहे हैं कि अगर इन तीन सीटों में से एक भी सीट कांग्रेस जीतती है तो निगम के आम चुनावों के लिए तो फायदे मंद होगा ही पंजाब में केजरीवाल को घेरा जा सकता है कि किस तरह से दिल्ली के लोग केजरीवाल के वायदों से परेशान होकर कांग्रेस की तरफ फिर रुख कर रहे हैं। वैसे, कांग्रेस के नेता जहां तीनों सीटों पर जीत की आस लगा रहे हैं, वहीं भाजपा के रणनीतिकार कांग्रेस को इतना मजबूत होते देखना चाहते हैं जो आम आदमी पार्टी की तरफ गए वोट बैंक को बांट दे और भाजपा को अपना परंपरागत वोट मिल जाए जिससे भाजपा तीनों ही वार्ड पर अपनी जीत का परचम लहरा केजरीवाल सरकार के खिलाफ और आक्रामक रुख अपना सके।

आम आदमी पार्टी का नेतृत्व जानता है कि इस उप चुनाव में आप के प्रदर्शन पर ही उसकी पंजाब की उम्मीद टिकी है। यही चुनाव नतीजे निगम के आम चुनाव में आप की रणनीति और भविष्य भी तय कर देंगे, इसलिए आपसी फूट पर अंकुश लगाने के साथ-साथ आप नेताओं की पूरी कोशिश इस बात को लेकर है कि भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा नहीं होने पाए। वैसे, जहां पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है तो महेन्द्र नागपाल जैसे दिग्गज के करियर का भी सवाल है जो निगम के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे विधायक भी चुने गए और अब निगम के लिए मैदान में है। इसी तरह कांग्रेस के पूर्व विधायक के कद और जिलाध्यक्षों की ताकत का अंदाजा भी प्रदेश नेतृत्व इस उप चुनाव से ही लगाने की तैयारी में हैं।

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