15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं

By Edited By: Publish:Thu, 04 Sep 2014 01:03 AM (IST) Updated:Thu, 04 Sep 2014 01:03 AM (IST)
15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं

पवन कुमार, नई दिल्ली

प्यार अंधा होता है, यह उम्र और जात-पात का बंधन नहीं देखता। नाबालिग अक्सर प्रेम संबंध बनाते हैं और विवाह कर लेते हैं। नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म माना जाता है। लेकिन कोई नाबालिग किसी से विवाह कर लेती है और वह विवाह बंधन को बनाए रखना चाहती है तो ऐसी लड़की से उसके पति द्वारा बनाए गए शारीरिक संबंधों को दुष्कर्म की संज्ञा नहीं दी जा सकती और न ही दी जानी चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में बुधवार को अहम फैसला सुनाया। खंडपीठ ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को राहत प्रदान करते हुए निचली अदालत से बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि पॉक्सो कानून के तहत नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को बरी करके निचली अदालत ने सही फैसला सुनाया है।

खंडपीठ ने कहा कि पीड़िता ने भी कहा कि उसने आरोपी से विवाह किया और उसके बाद आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। दोनों अभी भी पति-पत्नी की तरह ही रह रहे हैं। दोनों के परिजन भी उनके विवाह से सहमत हैं। ऐसे में युवक को जेल भेजना लड़की की वैवाहिक जिंदगी में खलल पैदा करना होगा। इसलिए युवक को जेल भेजना सही नहीं होगा।

खंडपीठ ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुमित वर्मा द्वारा दी गई उस दलील को भी सही ठहराया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुभाग 2 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि 15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। जिस समय यह घटना हुई थी उस समय पीड़िता की उम्र 15 साल चार महीने थी। ऐसे में आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

यह था मामला

एक महिला ने वसंत कुंज थाने में 5 मार्च 2013 को नाबालिग बेटी के अपहरण का मामला दर्ज कराया था। उसका कहना था कि उसकी बेटी की उम्र 15 साल चार महीने है। वह घर से 26 फरवरी 2013 को सामान लेने के लिए बाजार गई थी, लेकिन घर नहीं लौटी। पुलिस ने 6 मार्च को लड़की को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से बरामद कर आरोपी सुमन दास को गिरफ्तार किया था। युवती ने पुलिस के समक्ष बताया था कि वह दास के साथ कोलकाता के चंडीपुर क्षेत्र में गई थी। वहां दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद उन्होंने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने दास पर दुष्कर्म का मामला भी दर्ज किया था। निचली अदालत ने आरोप तय करते हुए दास को पॉक्सो कानून के तहत भी आरोपी माना था। निचली अदालत ने बाद में 17 अगस्त 2013 को अपना फैसला सुनाते हुए उसे बरी कर दिया था। इस निर्णय को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती देते हुए कहा था कि पॉक्सो कानून के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ संबंध बनाने के आरोपी को दुष्कर्मी माना जाता है। निचली अदालत ने आरोपी को बरी कर गलत फैसला दिया है। मामले में सुमन दास के अधिवक्ता सुमित वर्मा ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी थी कि पॉक्सो कानून के तहत भले ही नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाने को दुष्कर्म की संज्ञा दी गई हो, लेकिन उक्त मामला अलग है। इस संबंध में निचली अदालत द्वारा दिया गया निर्णय भी सही है।

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