गरीब के बेटे को अफसर नहीं बनाना चाहता आयोग

By Edited By: Publish:Sun, 18 Aug 2013 12:57 AM (IST) Updated:Sun, 18 Aug 2013 01:04 AM (IST)
गरीब के बेटे को अफसर नहीं बनाना चाहता आयोग

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जारी नए निर्देश के बाद यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों का गुस्सा चरम पर है। उनका कहना है कि आयोग गरीब के बेटे को अफसर नहीं बनाना चाहता है। पहले गांव से पढ़ाई करके आने वाला छात्र अपनी मेहनत के बल पर संघ लोक सेवा की परीक्षा पास कर देश की सेवा करता था, लेकिन आज अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने के कारण आइआइएम और आइआइटी के छात्र सिविल सेवा परीक्षा में बाजी मार रहे हैं। सरकार व आयोग दोनों छात्रों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं।

छात्र तन्मय सिंह का कहना है कि पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद आयु सीमा में छूट और अतिरिक्त प्रयास देने की बात कोई नहीं कर रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले अधिकांश छात्रों के परिवार की आर्थिक पृष्ठभूमि बहुत अच्छी नहीं है। कांवेंट की शिक्षा लेने वाले छात्रों के मुकाबले इनकी आयु में भी अंतर है ऐसे में यह छात्र संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बदलाव के कारण बेहतर परिणाम न दे पाने के कारण मानसिक रूप से परेशान हैं। युपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे मोहित यादव कहते हैं कि जब भी आयोग द्वारा पाठ्यक्रम या कोई अन्य बदलाव हुए हैं आयोग ने आयु में छूट और अतिरिक्त प्रयास दिया है। लेकिन इस वर्ष बदलाव की सूचना भी मात्र एक महीने पहले दी गई और न ही आयु में छूट दी जा रही है और न ही प्रयास बढ़ाए जा रहे हैं। वहीं,

मुखर्जी नगर में रहकर परीक्षा की तैयारी कर रहे उत्तर प्रदेश निवासी नितिन का कहना है कि आयोग जानबूझ कर ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को इस परीक्षा से बेदखल करना चाहता है। आयोग में कुछ ऐसे अधिकारी हैं जो आइआइएम से आए हैं और वह अपने अनुसार इसे चलाना चाहते हैं जिससे छात्रहित प्रभावित हो रहा है।

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