गांगुली के बोल ने यह साबित किया कि कैसा होना चाहिए कप्तान

पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का मानना है कि क्रिकेट टीम का नेतृत्व करना परिवार चलाने की तरह ही है, जिसमें यदि कप्तान अपने सदस्यों का भरोसा खो देता है तो वे खुद के लिए खेलना शुरू कर देंगे। गांगुली ने यहां एक कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट के साथ नेतृत्व क्षमता पर चर्चा करते हुए कहा, एक नेतृत्वकर्ता होने के कारण यदि आप अच्छी टीम चाहते हैं, तो आपको अपने खिलाडि़यों के साथ पारदर्शी होना होगा। कप्तान की सबसे बड़ी विशेषता अपने खिलाडि़यों का भरोसा जीतना होता है।

By Edited By: Publish:Thu, 02 May 2013 12:57 PM (IST) Updated:Thu, 02 May 2013 12:57 PM (IST)
गांगुली के बोल ने यह साबित किया कि कैसा होना चाहिए कप्तान

मुंबई। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का मानना है कि क्रिकेट टीम का नेतृत्व करना परिवार चलाने की तरह ही है, जिसमें यदि कप्तान अपने सदस्यों का भरोसा खो देता है तो वे खुद के लिए खेलना शुरू कर देंगे। गांगुली ने यहां एक कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट के साथ नेतृत्व क्षमता पर चर्चा करते हुए कहा, एक नेतृत्वकर्ता होने के कारण यदि आप अच्छी टीम चाहते हैं, तो आपको अपने खिलाडि़यों के साथ पारदर्शी होना होगा। कप्तान की सबसे बड़ी विशेषता अपने खिलाडि़यों का भरोसा जीतना होता है। हम ऐसे माहौल में रहते हैं जहां हम खिलाडि़यों को बाहर करते हैं और जब आप टीम से बाहर होते हैं तो आपके दिमाग में कई तरह के सवाल उठते हैं। किसी को बाहर करना आसान है, लेकिन आपको उससे बात करनी होती है। आपको उसे बताना होता कि अभी आपकी स्थिति यही है।

गौरतलब है कि मुंबई इंडियंस के खिलाफ मुकाबले में किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान एडम गिलक्रिस्ट ने खुद को अंतिम एकादश से बाहर रखा था। गांगुली ने कहा कि हमें लगता है कि आपको बैठना पड़ सकता है, लेकिन हम आपको टीम में वापस चाहते हैं। ऐसे में वह खुशी से बाहर होगा। जब वह वापसी करेगा तो उसे पता होता है कि कप्तान ने अपनी बात रखी है और वह अपना शत प्रतिशत देगा। यदि इस तरह की पारदर्शिता और भरोसा पैदा नहीं होता है तो टीम खेल में किसी मुकाम पर आपको लगेगा कि खिलाड़ी खुद के लिए खेलने लग गए हैं। यही से स्थिति बिगड़ती है। आपको इस तरह की परिस्थिति में पहुंचने से बचने की जरूरत है।

कप्तानी की अन्य चुनौतियों के बारे में गांगुली ने कहा, प्रतिभाशाली खिलाडि़यों की पहचान करना और उन्हें तराशना कप्तान के लिए आसान नहीं होता है। अलग-अलग व्यक्तित्व के कई लोगों की ड्रेसिंग रूम में उपस्थिति भी समस्या खड़ी कर सकती है, लेकिन आपको उन्हें यह अहसास दिलाना होता है कि वे कौन हैं। परिवार की तरह कुछ लोग अलग तरह का रास्ता अपनाते हैं। आपको उससे निबटना होता है। मैं समझता हूं कि यहीं पर आपकी नेतृत्वक्षमता की परीक्षा होती है। आपको प्रत्येक व्यक्ति को अलग तरह से संभालना होता है। मैं पूरे सम्मान के साथ यह कह रहा हूं कि आपको टीम में राहुल द्रविड़ और युवराज सिंह के साथ काम करना है जिनका व्यक्तित्व पूरी तरह से भिन्न है।

गांगुली ने कहा कि खिलाडि़यों को मैदान पर उतरने के बाद केवल प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए और अन्य चीजों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, मेरा हमेशा मानना रहा है कि जब आप मैदान पर उतरते हैं तो फिर चाहे वह आपको 100वां टेस्ट मैच हो या पहला मैच आपको केवल क्रिकेट गेंद की चिंता करनी चाहिए। बाकी कोई भी बात आपके दिमाग में नहीं होनी चाहिए।

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