शक तो बनता है बॉस

विवादित क्रिकेट लीग बनकर उभरी इंडियन प्रीमियर लीग में फिर से गड़बड़ी का शक होने लगा है। आइपीएल के मैचों के रिजल्ट पहले से ही तय होने का शक करने के कई कारण दिखाई देते हैं।

By Edited By: Publish:Mon, 28 May 2012 09:31 AM (IST) Updated:Mon, 28 May 2012 09:31 AM (IST)
शक तो बनता है बॉस

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। विवादित क्रिकेट लीग बनकर उभरी इंडियन प्रीमियर लीग में फिर से गड़बड़ी का शक होने लगा है। आइपीएल के मैचों के रिजल्ट पहले से ही तय होने का शक करने के कई कारण दिखाई देते हैं।

क्वालीफायर-1 और क्वालीफायर-2 में दिल्ली डेयरडेविल्स के अजीबो-गरीब फैसलों और आइपीएल की वेबसाइट में क्वालीफायर-2 के रिजल्ट के पहले ही दोनों फाइनलिस्टों के नाम आने के बाद शक होना लाजमी है। 22 मई को कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ पहले क्वालीफायर में भी सहवाग की कप्तानी में ऐसे फैसले हुए जिससे लगा कि दिल्ली हारने के लिए ही उतरी है।

स्पिन टै्रक होने के बावजूद सहवाग ने उस मैच में सिर्फ एक स्पिनर को खिलाया, जबकि केकेआर की ओर से तीन स्पिनर उतरे। यही नहीं लक्ष्य का पीछा करने उतरी दिल्ली डेयरडेविल्स ने रॉस टेलर और इरफान पठान से पहले अपेक्षाकृत धीमी बल्लेबाजी करने वाले वेणुगोपाल राव और पवन नेगी को बल्लेबाजी के लिए उतारा। इन दोनों की धीमी बल्लेबाजी की वजह से ही बाद में टेलर और पठान के लिए लक्ष्य पाना बहुत मुश्किल हो गया।

यह सिलसिला यही नहीं थमा। क्वालीफायर-2 में तो जैसे सहवाग ने बीसीसीआइ अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की टीम चेन्नई सुपर किंग्स के फाइनल में जाने के सारे रास्ते खोल दिए। शुक्रवार को हुए इस मैच में सहवाग ने चेन्नई की पिच पर टॉस जीतने के बावजूद पहले गेंदबाजी की। यही नहीं पूरे टूर्नामेंट में फॉर्म में रहे दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाज मोर्नी मोर्केल की जगह कैरेबियाई ऑलराउंडर आंद्रे रसेल को शामिल कर लिया। वीरू के इस निर्णय पर धौनी ने भी आश्चर्य जाहिर किया।

यही नहीं पूरे टूर्नामेंट में बढि़या प्रदर्शन करने वाले स्पिनर शाहबाज नदीम की जगह इस मैच में सन्नी गुप्ता को शामिल किया और उनसे पहला ओवर भी कराया। गुप्ता ने तीन ओवर में 47 रन लुटाए। यही नहीं सहवाग ने इस टूर्नामेंट में पहली बार गेंदबाजी में हाथ आजमाए और एक ओवर में 21 रन दिए।

सबसे खास बात यह रही कि 223 रन का लक्ष्य मिलने के बावजूद सहवाग ओपनिंग में नहीं उतरे। उन्होंने वार्नर के साथ ओपनिंग के लिए महेला जयव‌र्द्धने को उतारा। तीसरे नंबर पर आए सहवाग की बॉडी लैंग्वेज मैच जीतने वाली नहीं लग रही थी। वह सिर्फ एक रन बनाकर चलते बने।

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर के मालिक विजय माल्या ने लीग मैचों के बाद ही घोषणा कर दी थी कि चेन्नई सुपर किंग्स फाइनल में पहुंचेगी जबकि इस टीम को खिताबी मुकाबले तक पहुंचने के लिए अपने से बेहतर दो टीमों से भिड़ना था।

यही नहीं क्वालीफायर-2 होने से पहले वोडाफोन ने अपने ग्राहकों को एसएमएस किया, जिसमें कहा गया था कि रविवार को चेन्नई और कोलकाता का मुकाबला होगा। हालांकि बाद में कंपनी ने इसे मानवीय भूल माना। वहीं फेसबुक पर किसी ने कोलकाता नाइटराइडर्स की आधिकारिक वेबसाइट के पेज को पोस्ट किया, जिसमें कहा गया था कि चार दिन बाद कोलकाता और चेन्नई में फाइनल होगा। स्क्रीन के पेज में जो वक्त दिखाया गया था वो चार दिन सात घंटे 41 मिनट पहले का था। उस वक्त तक एलिमिनेटर और दूसरा क्वालीफायर भी नहीं हुआ था। ऐसी ही एक पोस्ट 23 मई को आइपीएल की आधिकारिक वेबसाइट पर थी। इसमें कहा गया था कि अगले मैच में दो दिन 10 घंटे बाकी हैं और ये मुकाबला दिल्ली और चेन्नई में होगा। आइपीएल वेबसाइट के मैनेजर ने बाद में कहा कि वेबसाइट पर संभावित फाइनल टीमों के बारे में दिखाया जा रहा था। दूसरे क्वालीफायर में दिल्ली का चेन्नई से हारना आश्चर्यजनक रहा। उन्होंने अपने सबसे श्रेष्ठ गेंदबाज को नहीं खिलाया। यह सचमुच अवाक कर देने वाली रणनीति थी। वह गेंदबाज जिसने टीम को प्लेऑफ में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई उसे आप एक महत्वपूर्ण मैच में यू ही बेंच पर नहीं बैठा सकते। दिल्ली ने मोर्नी को नहीं उतारकर मुरली को पूरा मौका दिया। टॉस जीतकर गेंदबाजी और सहवाग का ओपनिंग में नहीं उतरना अजीबो-गरीब निर्णय था। यदि दिल्ली को दूसरा स्पिनर खिलाना ही था, तो उन्हें शहबाज नदीम का चयन करना चाहिए था। इस सत्र में नदीम उनकेसर्वश्रेष्ठ स्पिनर रहे थे।

अनिल कुंबले, पूर्व भारतीय कप्तान

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