'भगवान' से मिलाने के लिए भगवान का शुक्रिया

वक्त गुजरता गया। धीरे-धीरे मैं अपने मकसद और मंजिल की और बढ़ता गया। आखिर 16 बरस बाद मेरा वो ख्वाब सच हो ही गया जिसे मैं बचपन से देख रहा था। वह था अपने हीरो और क्रिकेट के बादशाह सचिन तेंदुलकर से मुलाकात का। नोएडा के हरौला गांव में देखा गया सपना संतरों के शहर नागपुर में जाकर पूरा हुआ। मास्टर-ब्ल

By Edited By: Publish:Wed, 30 Oct 2013 08:54 PM (IST) Updated:Wed, 30 Oct 2013 09:25 PM (IST)
'भगवान' से मिलाने के लिए भगवान का शुक्रिया

वक्त गुजरता गया। धीरे-धीरे मैं अपने मकसद और मंजिल की और बढ़ता गया। आखिर 16 बरस बाद मेरा वो ख्वाब सच हो ही गया जिसे मैं बचपन से देख रहा था। वह था अपने हीरो और क्रिकेट के बादशाह सचिन तेंदुलकर से मुलाकात का। नोएडा के हरौला गांव में देखा गया सपना संतरों के शहर नागपुर में जाकर पूरा हुआ। मास्टर-ब्लास्टर से हुई यह मुलाकात मेरे जीवन के अनमोल पल बन गए, जिसे में ताउम्र अपने सीने में सहेज कर रखूंगा। शुक्रिया भगवान, मुझे क्रिकेट के 'भगवान' से मिलाने के लिए।

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20 दिसंबर 2012 का वह दिन : यह दिन मेरे लिए दोहरी खुशी लेकर आया। मुझे पहली बार इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच के लिए टीम इंडिया में शामिल किया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। एक अनूठा एहसास। जिसे शब्दों में बयां करना नामुमकिन। सिर्फ महसूस किया जा सकता है। ऐसा लगा मानो सारे जहां की खुशियां भगवान ने मेरी झोली में डाल दी हों। सचिन सहित सीनियर खिलाड़ियों के साथ टीम इंडिया का ड्रेसिंग रूम शेयर करना, सपना सच होने जैसा था। रिकॉर्डो के जिस बादशाह को मैं टीवी पर देखता बड़ा हुआ आज उसके साथ ड्रेसिंग रूम में बैठा था। मुझे टेस्ट मैच में खेलने का मौका तो नहीं मिला, पर सचिन भाई के साथ पांच-छह दिन गुजारने का मौका जरूर मिल गया। यह छह दिन मेरी जिंदगी की अनमोल पूंजी बन गए। इसके बाद आइपीएल में भी मुझे उनके साथ खेलने का मौका मिला। मैं खुद को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मुझे उनके साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने का मौका मिला। हालांकि 2005 में स्पीडस्टार का खिताब जीतने के बाद मुंबई में मुझे नेट पर सचिन को गेंदबाजी करने का मौका भी मिला। लेकिन उन्हें पास से देखने की हसरत सात साल बाद नागपुर में ही पूरी हो पाई। भाई हमेशा युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं। विश्व के दिग्गज बल्लेबाज होने के बावजूद उनका व्यक्तित्व बहुत ही साधारण। सभी के साथ घुलमिल कर बात करना उन्हें अच्छा लगता है। उनमें इस बात का जरा भी गुमान नहीं कि वह विश्व क्रिकेट के असाधारण बल्लेबाज हैं और हम लोग नए और अपरिचित क्रिकेटर। सभी के साथ उनका व्यवहार एक जैसा।

(क्रिकेटर परविंदर अवाना की राजीव शर्मा से बातचीत पर आधारित)

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