ऑस्‍ट्रेलियाई धरती पर वनडे में टीम इंडिया की 5 यादगार जीत

ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर भारतीय टीम पांच वनडे और तीन टी-20 मैचों की सीरीज खेलेगी। भारतीय टीम का ऑस्‍ट्रेलिया में वनडे रिकॉर्ड अच्‍छा नहीं है। मेहमान टीम ने 43 वनडे मैचों में से सिर्फ 10 मैच यहां जीते हैं। आइए एक नजर डालते हैं इन 10 मैचों में से पांच यादगार

By sanjay savernEdited By: Publish:Sun, 10 Jan 2016 06:03 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jan 2016 03:10 PM (IST)
ऑस्‍ट्रेलियाई धरती पर वनडे में टीम इंडिया की 5 यादगार जीत

नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय टीम पांच वनडे और तीन टी-20 मैचों की सीरीज खेलेगी। भारतीय टीम का ऑस्ट्रेलिया में वनडे रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। मेहमान टीम ने 43 वनडे मैचों में से सिर्फ 10 मैच यहां जीते हैं। आइए एक नजर डालते हैं इन 10 मैचों में से पांच यादगार जीत पर।

एमसीजी पर छाया श्रीकांत का जादू

एमसीजी पर 1985 में बेंसन एंड हेजेस वर्ल्ड चैंपियनशिप भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के लिए ही बहुत महत्वपूर्ण थी। टीम इंडिया को नॉकआउट करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को 223 रन बनाकर मेहमान टीम को 160 रन के स्कोर पर रोकने की जरूरत थी। बहरहाल, रॉजर बिन्नी (27/3) की शानदार गेंदबाजी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 163 रन पर ऑलआउट कर दिया। इसके बाद कृष्णमचारी श्रीकांत ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर धुनाई की और भारतीय टीम को आठ विकेट की यादगार जीत दिलाई। श्रीकांत ने अपनी 93 रन की नाबाद पारी में 12 चौके जमाए। इसके बाद भारत ने आगे चलकर पाकिस्तान को आठ विकेट से हराकर बेंसन एंड हेजेस वर्ल्ड चैंपियनशिप की ट्रॉफी जीती।

वाका की तेजतर्रार पिच पर शास्त्री की फिरकी पड़ी भारी

वाका पिच के बारे में सोचने पर तेज गेंदबाजों की छवि ध्यान आती है। हालांकि रवि शास्त्री की फिरकी इस दिन मेजबान टीम पर बहुत भारी पड़ी। भारत ने दिसंबर 1991 में पर्थ में 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 208 रन बनाए। इसके बाद मनोज प्रभाकर और जवागल श्रीनाथ ने मेजबान टीम के ऊपरीक्रम को उखाड़ दिया। फिर चला शास्त्री की फिरकी का जादू। उन्होंने 6.5 ओवर में एक मेडन सहित 15 रन देकर पांच विकेट चटकाए। यहीं उनके वनडे करियर का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन भी रहा। ऑस्ट्रेलियाई टीम 101 रन पर ढेर हो गई और भारत ने यह मैच 107 रन के विशाल अंतर से यह मैच जीता।

लक्ष्मण की वेरी-वेरी स्पेशल पारी

2004 के दौरे पर लक्ष्मण अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में थे। उन्होंने इसे ब्रिस्बेन में बखूबी साबित भी किया। भारत ने पहले टॉस जीतकर बल्लेबाजी की। लक्ष्मण ने इयान हार्वे द्वारा फेंके पारी के आखिरी ओवर की आखिरी गेंद पर डीप मिडविकेट पर चौका जमाकर अपना शतक पूरा किया। लक्ष्मण (नाबाद 103 रन) के शतक की बदौलत टीम इंडिया ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में 300 रन का आंकड़ा पार किया। भारत ने निर्धारित 50 ओवर में चार विकेट खोकर 303 रन बनाए। इसके बाद इरफान पठान (64/3 विकेट) और लक्ष्मीपति बालाजी (48/4 विकेट) ने भारत की 19 रन से जीत पक्की की। भारत की ऑस्ट्रेलिया में यह 11 वनडे के बाद पहली जीत रही।

तेंदुलकर ने तोड़ा शतक का सूखा

सचिन तेंदुलकर ने वनडे में ऑस्ट्रेलिया में कभी बड़ी पारी नहीं खेली थी। हालांकि, तेंदुलकर की शानदार पारी बड़े अवसर पर ही आई। भारतीय गेंदबाजों ने 2008 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के पहले फाइनल में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया को 239/8 पर रोक दिया। इसके बाद तेंदुलकर ने अपनी शैली के अनुरूप जोरदार शतक जमाते हुए भारत को एकतरफा जीत दिलाई। उन्होंने 42वें ओवर में जेम्स होप्स की गेंद पर एक रन लेकर ऑस्ट्रेलियाई धरती पर अपना पहला वनडे शतक जमाया। तेंदुलकर के नाबाद 117 रन की बदौलत भारत ने यह फाइनल जीता। आगे चलकर भारत ने दूसरा फाइनल और ट्रॉफी अपने नाम की।

धौनी का 112 मीटर लंबा छक्का यादगार बना

डेविड हसी (72) और पीटर फॉरेस्ट (66) की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने फरवरी 2012 में एडिलेड पर 50 ओवर में 269/8 का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। गौतम गंभीर (92) की पारी ने भारत को मुकाबले में बनाए रखा। रोहित शर्मा (33) और सुरेश रैना (38) की पारियों ने भारत पर रनरेट का दबाव नहीं बढ़ने दिया। हालांकि महेंद्र सिंह धौनी ने इस मैच को और खुशनुमा बना दिया। आखिरी चार गेंदों पर भारत को जीतने के लिए 12 रन की दरकार थी। धौनी ने क्लिंट मैकॉय की गेंद पर 112 मीटर का लंबा छक्का जड़ा। अगली गेंद पर धौनी ने दो रन चुराए। इसके बाद धौनी ने अगली गेंद पर डीप स्क्वायर लेग क्षेत्र में बाउंड्री जमाकर टीम इंडिया को यादगार जीत दिलाई।

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