सुप्रीम कोर्ट BCCI से जुड़े मुद्दों की याचिकाओं पर दो हफ्ते बाद करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट BCCI से जुड़े मुद्दों की याचिकाओं पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगा जिसमें सौरव गांगुली और जय शाह के कार्यकाल पर भी सुनवाई होगी।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Thu, 23 Jul 2020 07:58 AM (IST) Updated:Thu, 23 Jul 2020 07:58 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट BCCI से जुड़े मुद्दों की याचिकाओं पर दो हफ्ते बाद करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट BCCI से जुड़े मुद्दों की याचिकाओं पर दो हफ्ते बाद करेगा सुनवाई

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) से जुड़े मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगी। यह मामला प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूíत एल नागेश्वर राव की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था। तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) की ओर से पेश वकीलों ने पीठ को बताया कि उन्होंने इस मामले में याचिका दायर की है और इन्हें सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

टीएनसीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा, 'हमने अंतरिम याचिका दायर की है जिसे आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया। इसलिए निर्देश दें कि हमारी अंतरिम याचिका को न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।'

एचपीसीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने भी कहा कि उनके द्वारा दायर याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं पर दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने हाल में अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए 2016 के आदेश में संशोधन की मांग की थी जिससे कि वह बीसीसीआइ और राज्य क्रिकेट संघों का वाíषक या द्विवाíषक वित्तीय, अनुपालन और प्रदर्शन ऑडिट कर सके।

कैग ने अपनी याचिका 18 जुलाई 2016 के आदेश में संशोधन की मांग की थी जिसके जरिये शीर्ष अदालत ने न्यायमूíत आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था जिसमें बीसीसीआइ की शीर्ष परिषद और इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की संचालन परिषद में कैग के एक नामित को शामिल करना शामिल है।

कैग ने कहा कि 35 राज्यों संघों में से केवल 18 ने अब तक नामांकन का आग्रह किया है जबकि 17 अन्य ने अभी नामांकित अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2016 के अपने आदेश में कैग के नामित को बीसीसीआइ सदस्य के रूप में शामिल करने की न्यायमूíत लोढ़ा समिति की सिफारिश से सहमत होते हुए कहा था कि इससे क्रिकेट की राष्ट्रीय संचालन संस्था के मामलों में पारदर्शिता और वित्तीय बेहतरी आएगी।

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