शिखर की इशा ने दी उन्हें आशा की किरण

नई दिल्ली। शिखर धवन, दिल्ली के इस खिलाड़ी ने कई बार अपना दम दिखाया लेकिन 2004 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट से आगाज करने वाले इस धुआंधार बल्लेबाज की सबसे बड़ी कमजोरी रहा उनका फॉर्म, जो कभी संभलता दिखा तो कभी बिगड़ता। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट टीम में चुने जाने वाले धवन ने कहा है कि वह इस बार मौके को हाथ से नहीं जाने देंगे और उन्होंने यह भी बताया कि लगातार शिखर पर पहुंचने की इस जद्दोजहद में कौन बना उनकी सबसे बड़ी ताकत।

By Edited By: Publish:Tue, 12 Feb 2013 10:00 AM (IST) Updated:Tue, 12 Feb 2013 10:00 AM (IST)
शिखर की इशा ने दी उन्हें आशा की किरण

नई दिल्ली। शिखर धवन, दिल्ली के इस खिलाड़ी ने कई बार अपना दम दिखाया लेकिन 2004 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट से आगाज करने वाले इस धुआंधार बल्लेबाज की सबसे बड़ी कमजोरी रहा उनका फॉर्म, जो कभी संभलता दिखा तो कभी बिगड़ता। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट टीम में चुने जाने वाले धवन ने कहा है कि वह इस बार मौके को हाथ से नहीं जाने देंगे और उन्होंने यह भी बताया कि लगातार शिखर पर पहुंचने की इस जद्दोजहद में कौन बना उनकी सबसे बड़ी ताकत।

ईशा अग्रवाल, यह हैं आधी बंगाली और आधी ब्रिटिश बाला जिन्होंने हाल ही में शिखर धवन से शादी की लेकिन दोनों के बीच रिश्ता काफी पुराना रहा है। अगर आपने पिछले कुछ आईपीएल सीजन पर गौर फरमाया हो तो आपने भी ईशा को स्टैंड्स में शिखर धवन का हौसला बढ़ाते देखा होगा। खराब फॉर्म हो, अच्छा फॉर्म हो, जीत हो या हार, अभ्यास हो या मैच..ईशा पिछले कई सालों से हर दम शिखर का हौसला बढ़ाती आई हैं। शिखर ने कहा, मेरे माता-पिता और कोच के अलावा एक नाम ऐसा भी है जिससे मुझे बहुत ज्यादा समर्थन और हौसला मिला है और वह हैं मेरी पत्नी। इसके अलावा मेरी दो बेटियां भी मेरी ताकत हैं। मेरी बड़ी बेटी 11 साल की है और उसने मुझसे कहा कि पापा मुझे आप पर गर्व है। यह मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है। वैसे दिल्ली के इस दिलेर क्रिकेटर ने भले ही क्रिकेट में अब तक बहुत कुछ सीखा हो अपनी हमसफर ईशा से अब तक वह बंगाली के दो ही शब्द सीख पाए हैं। शिखर कहते हैं, खूब भालो [बहुत अच्छा] और आमी तोमाके भालोबाशी [मैं तुमसे प्यार करता हूं] यही दो शब्द मैं अब तक दिल से सीख पाया हूं। जाहिर तौर पर शिखर, आखिर यही तो दो शब्द हैं जो किसी की भी पत्नी अपने पत्नी से सबसे ज्यादा सुनना चाहेगी। बढि़या है।

धवन ने कहा कि वह इस बार पिछली बार की तरह राष्ट्रीय टीम में मौके को भुनाने से पीछे नहीं हटने वाले। धवन ने यह माना कि पिछले कुछ सालों से राष्ट्रीय टीम में ना चुना जाना उनके लिए बुरा दौर जरूर था लेकिन वह किसी को इसके लिए दोषी नहीं मानते। शिखर ने कहा, मैं किसी को इसका [टीम से बाहर रहना] जिम्मेदार नहीं मान सकता। पिछले वेस्टइंडीज दौरे के समय मुझे मौका मिला था लेकिन मैं इसका फायदा उठाने में नाकाम रहा था और इसीलिए पांच वनडे मैचों से ज्यादा खेल भी नहीं सका। यह हकीकत है कि यह सब आपके दिमाग में है और मैं इस मौके को हाथ से जाने नहीं दूंगा। धवन ने घरेलू क्रिकेट के इस सीजन में चार शतकों के दम पर 833 रन बनाए हैं जिससे उनका चुना लगभग तय माना जा रहा था। अब तक 81 प्रथम श्रेणी मैचों में वह 5679 रन बना चुके हैं।

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