बेटे को खेलता देखने डेढ़ साल बाद घर से निकलीं मां

क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के परिवार के लिए उनका विदाई टेस्ट चमत्कारिक रहा। सचिन इस बात से बेहद खुश थे कि मां रजनी बेटे को खेलता देखने के लिए उनके 200वें और आखिरी टेस्ट मैच के तीनों दिन वानखेड़े स्टेडियम आई। रजनी तेंदुलकर अपनी व्हीलचेयर पर प्रेसीडेंट बॉक्स में आराम से जा सकें इसके वास्ते उनके

By Edited By: Publish:Sat, 16 Nov 2013 11:57 PM (IST) Updated:Sun, 17 Nov 2013 06:18 AM (IST)
बेटे को खेलता देखने डेढ़ साल बाद घर से निकलीं मां

हरित एन जोशी (मिड-डे), मुंबई। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के परिवार के लिए उनका विदाई टेस्ट चमत्कारिक रहा। सचिन इस बात से बेहद खुश थे कि मां रजनी बेटे को खेलता देखने के लिए उनके 200वें और आखिरी टेस्ट मैच के तीनों दिन वानखेड़े स्टेडियम आई। रजनी तेंदुलकर अपनी व्हीलचेयर पर प्रेसीडेंट बॉक्स में आराम से जा सकें इसके वास्ते उनके लिए विशेष रैंप बनाया गया था। कहा जाता है कि वह पिछले डेढ़ साल से अपने घर से बाहर नहीं निकली थीं।

पढ़ें: आंखों को नम कर यादों में बस गए सचिन

उनके परिवार के एक करीबी सूत्र ने कहा, 'तेंदुलकर की मां को हर दिन मैदान पर आते देखना सुखद था। यह उनके पूरे परिवार के लिए आश्चर्यजनक था। वह बहुत लंबे समय से घर से बाहर नहीं निकली थीं। वे (परिजन) हैरत में थे कि उनकी मां में रोज बांद्रा से चर्चगेट आने की ताकत कहां से आ गई।'

प्रेसीडेंट बॉक्स में जहां तेंदुलकर परिवार बैठता था वहां भावनाएं हावी थीं। सचिन के भाइयों नितिन व अजित और पत्नी अंजलि के साथ बैठी रजनी शनिवार को अपने महान बल्लेबाज बेटे को मिले सम्मान से अभिभूत थीं। सूत्र ने कहा, 'वह भावुक हो गई थीं। एक बारगी उनकी आंखें भी नम हो गई थीं। हालांकि वह दर्शकों की दीवानगी देखकर खुश थीं।' बाद में वह अतीत की यादों में खो गई। उन्होंने बताया कि जब भी सचिन मैच खेलता था वह उपवास रखती थीं और भगवान से प्रार्थना करती थीं। उनका मानना था कि सचिन ने जिस तरह शुक्रवार को बल्लेबाजी की उसे देखते हुए वह एक साल और खेल सकता था। पुरस्कार समारोह से पहले सचिन ने प्रेसीडेंट बॉक्स में आकर अपनी मां को गले से लगा लिया। उन्होंने कहा. 'यह सब खत्म हो जाने के बाद वह हर रात को उनके पास रह सकेंगे।'

नितिन ने कहा कि सभी तरह की हम भी अपने भी छोटे भाई को मिल रहे सम्मान से अभिभूत थे। उन्होंने कहा, 'यह निश्चित तौर पर भावुक पल था। एकबारगी तो नियंत्रित करना कठिन हो गया था।'

विदाई देने नहीं पहुंचे गुरु

सचिन तेंदुलकर के बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर अपने शिष्य के 200वें और आखिरी टेस्ट मैच के तीसरे दिन का खेल देखने शनिवार को वानखेड़े स्टेडियम नहीं आए।

आचरेकर की बेटी कल्पना ने कहा, 'सचिन जब अपनी मां से मिलने प्रेसीडेंट बॉक्स में आए सो उन्होंने सबसे पहले यही पूछा, 'सर कहां हैं? कल्पना ने कहा कि उन्हें डर था कि इस भावुक माहौल में कहीं उनके पिता की तबियत बिगड़ न जाए इसलिए उन्होंने घर पर टीवी पर मैच देखने को प्राथमिकता दी। सचिन ने अपने विदाई भाषण में आचरेकर का शुक्रिया अदा किया था।

मां को समर्पित किया सचिन ने भारत रत्न

भारत रत्न से नवाजे जाने वाले पहले खिलाड़ी का गौरव प्राप्त करने वाले सचिन तेंदुलकर ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान अपनी मां रजनी तेंदुलकर को समर्पित किया है।

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