डीडीसीए अपने जोखिम पर ले मैच कराने का निर्णय: हाई कोर्ट

निर्माण कार्य पूरा हुए बिना दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) को हाई कोर्ट ने फिरोजशाह कोटला मैदान में टी-20 विश्व कप मैच कराने की अनुमति दिलवाने से इन्कार कर दिया। डीडीसीए ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) से प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिलवाने के लिए याचिका दायर की थी।

By ShivamEdited By: Publish:Tue, 09 Feb 2016 11:23 PM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2016 11:25 PM (IST)
डीडीसीए अपने जोखिम पर ले मैच कराने का निर्णय: हाई कोर्ट

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। निर्माण कार्य पूरा हुए बिना दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) को हाई कोर्ट ने फिरोजशाह कोटला मैदान में टी-20 विश्व कप मैच कराने की अनुमति दिलवाने से इन्कार कर दिया। डीडीसीए ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) से प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिलवाने के लिए याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व विभू बाखरू की खंडपीठ ने कहा कि अगर एसडीएमसी ने डीडीसीए को काम पूरा करने के लिए बीस दिन का समय प्रदान किया है तो वह अपने जोखिम पर मैच करवाने के लिए बीसीसीआइ को अवगत करवा दे। अगर निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ तो वह उनकी मैच करवाने की इजाजत संबंधी किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेंगे। खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि बाद में डीडीसीए फिर ये गुहार न लगाए की मैच के टिकट बिक चुके हैं और भारत की प्रतिष्ठा का सवाल है। अदालत ने कहा कि असुरक्षित स्टेडियम में मैच की कराने की इजाजत नहीं दी जाएगी। आप अपने जोखिम पर निर्णय ले सकते हैं।

अदालत के कड़े रवैये को देख कर डीडीसीए ने जवाब देने के लिए एक घंटे का समय मांगा। इसके बाद उसने अपनी याचिका वापस ले ली। डीडीसीए ने खंडपीठ को बताया था कि एसडीएमसी स्टैंडिंग कमेटी ने उन्हें काम पूरा करने के लिए बीस दिन का समय प्रदान किया है। ऐसे में उन्हें प्रोविजनल प्रमाणपत्र प्रदान किया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि हम आपको किसी भी हालत में असुरक्षित स्टेडियम में मैच करवाने के लिए इजाजत नहीं दिलवा सकते।

- कीर्ति आजाद की याचिका खारिज

हाई कोर्ट ने भाजपा सांसद व पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद, बिशन सिंह बेदी व अन्य द्वारा दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में व्याप्त अनियमितताओं की जांच संबंधी याचिका खारिज कर दी। याची ने जांच के लिए प्रशासक नियुक्त करने की मांग की थी। याचिका में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी पक्ष बनाया गया था।

न्यायमूर्ति मनमोहन ने याचिका रद करते हुए पहले से ही मामले की जांच कर रही सीबीआइ को जल्द जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। याचिका में जेटली, केंद्र व दिल्ली सरकार, सीबीआइ, बीसीसीआइ व डीडीसीए के 13 पूर्व अध्यक्षों को पक्ष बनाया गया था। पीठ ने कहा कि इस मामले में सीबीआइ ने 23 अक्टूबर, 2015 को मामला दर्ज कर आरंभिक जांच शुरू कर दी है। ऐसे में उनका मानना है कि याचिका समय से पूर्व दायर की गई है। अदालत ने याची के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सीबीआइ जांच पर अदालत निगरानी रखे।

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