स्थितियों का फायदा नहीं उठा सके गेंदबाज: गावस्कर

गाबा मैदान पर महेंद्र सिंह धौनी का टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए संदेश था कि ब्रिस्बेन में भले ही मेजबान तेज गेंदबाज बेहद सफल रहे हों, इसके बावजूद भारतीय बल्लेबाज उनका सामना करने के लिए तैयार हैं।

By sanjay savernEdited By: Publish:Thu, 18 Dec 2014 12:37 AM (IST) Updated:Thu, 18 Dec 2014 12:44 AM (IST)
स्थितियों का फायदा नहीं उठा सके गेंदबाज: गावस्कर

(गावस्कर का कॉलम)

गाबा मैदान पर महेंद्र सिंह धौनी का टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए संदेश था कि ब्रिस्बेन में भले ही मेजबान तेज गेंदबाज बेहद सफल रहे हों, इसके बावजूद भारतीय बल्लेबाज उनका सामना करने के लिए तैयार हैं।

टेस्ट मैच के पहले दिन कोई भी पिच ताजा और तेज होती है और ब्रिस्बेन की पिच भी इससे जुदा नहीं थी। पिच पर उछाल और घास थी, लेकिन इसके बावजूद ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज इसका फायदा नहीं उठा सके और उन्होंने काफी शॉर्ट और वाइड गेंदे कीं, जिसे खेलने में भारतीय सलामी जोड़ी को परेशानी नहीं हुई। मुरली विजय और शिखर धवन ने पहले विकेट के लिए 56 रन की साझेदारी की। रन बनाने के लिए जूझ रहे शिखर खराब शॉट खेलकर अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में नहीं बदल सके। अगर वह यहां संयम दिखाते तो बड़ा स्कोर बना सकते थे। ऐसा ही कुछ हाल विराट कोहली का हुआ, जो अतिरिक्त उछाल को नहीं समझ सके और अपना विकेट तोहफे में दे दिया।

टेस्ट में संयम बुनियादी चीज है, जो मुरली विजय ने इतने सालों में सीखा है। मुरली ने ऑफ स्टंप्स से बाहर जाती गेंदों को बखूबी समझा। उन्होंने अंदर आती गेंदों व शॉर्ट गेंदों को अच्छे से खेला। वह रन बनाने के मौकों को बेकार नहीं जाने देते। उन्होंने जल्दबाजी में 50 रन बनाए, लेकिन जैसे ही वह 60 के पार पहुंचे उन्होंने कई खूबसूरत शॉट लगाए। उनका शतक लाजवाब है और वह इसके हकदार थे, क्योंकि एडिलेड में वह सिर्फ एक रन से शतक बनाने से चूक गए थे।

दूसरी ओर, रहाणे ने भी कमाल की बल्लेबाजी की। पिछले कुछ सालों में वह बेहतर हुए हैं और उनकी निरंतरता सचमुच लाजवाब है। रहाणे को एक बात पर ध्यान देना होगा। उन्हें शुरुआत में शॉर्ट गेंदों पर हुक शॉट लगाने से बचना होगा। बहरहाल, पहला दिन भारतीय बल्लेबाजों के नाम रहा और अगर वह बड़ा स्कोर बनाने में सफल रहते हैं तो दबाव ऑस्ट्रेलिया पर होगा। हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि दूसरी नई गेंद कुछ ही ओवर पुरानी है, लिहाजा दूसरे दिन भी भारतीय बल्लेबाजों की कड़ी परीक्षा होगी।

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