'अगर आप बाउंसर नहीं खेल सकते तो आप कन्कशन सब्स्टीट्यूट लेने के योग्य नहीं हैं'

Ind vs Aus भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का कहना है कि अगर आप अच्छी तरह से बाउंसर खेल नहीं सकते हैं तो फिर आपको कन्कशन सब्स्टीट्यूट लेने का हक नहीं बनता। रवींद्र जडेजा के कन्कशन सब्स्टीट्यूट पर सवाल उठ रहे हैं।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 10:15 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 10:15 AM (IST)
'अगर आप बाउंसर नहीं खेल सकते तो आप कन्कशन सब्स्टीट्यूट लेने के योग्य नहीं हैं'
सुनील गावस्कर ने भारतीय टीम का समर्थन किया है।

नई दिल्ली, जेएनएन। India vs Australia: भारत के दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कहा कि वह कन्कशन सब्स्टीट्यूट की अवधारणा से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि जो बल्लेबाज बाउंसर नहीं खेल सकता है वह कन्कशन सब्स्टीट्यूट के विकल्प के लायक नहीं हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के पारी के आखिरी ओवर में मिचेल स्टार्क की बाउंसर द्वारा हेलमेट पर रवींद्र जडेजा को चोट लगी और फिर दूसरी पारी में कन्कशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर युजवेंद्र चहल मैदान पर उतरे थे। चहल ने गेंदबाज की भी और तीन विकेट चटकाकर मैन ऑफ द मैच का खिताब हासिल की।

पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने एक इंटरव्यू में कहा, "कन्कशन सब्स्टीट्यूट विकल्प के व्यवसाय पर मैं सहमत नहीं हूं, क्योंकि शायद मैं पुराने जमाने का हूं, मैंने हमेशा माना है कि अगर आप बाउंसर खेलने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और आप हेलमेट पर हिट करते हैं तो आप कन्कशन सब्स्टीट्यूट के लायक नहीं हैं, लेकिन फिलहाल इसकी अनुमति दी जा रही है और खेल के नियमों के अनुसार ही सब कुछ किया गया था और रवींद्र जडेजा के बजाय चहल के खेलने में कोई समस्या नहीं थी।"

ऑस्ट्रेलिया के हरफनमौला खिलाड़ी मोइसेस हेनरिक्स ने सवाल किया था कि क्या जडेजा के लिए चहल सही कन्कशन सब्स्टीट्यूट थे। गावस्कर ने कहा कि कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए, क्योंकि मैच रेफरी डेविड बून खुद एक ऑस्ट्रेलियाई हैं।

गावस्कर ने बताया, "मैच रेफरी एक ऑस्ट्रेलियाई हैं, वह एक पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेविड बून हैं। वे आम तौर पर नियम के तहत गए। हालांकि, आप तर्क दे सकते हैं कि चहल एक ऑलराउंडर नहीं हैं, लेकिन जो कोई भी बल्लेबाजी करता है, चाहे वह 100 रन बनाए या 1 रन बनाए, जहां तक ​​मेरा सवाल है, वह एक ऑलराउंडर है और वह गेंदबाजी करता है। इसलिए यह सब्स्टीट्यूट की तरह है और ऑस्ट्रेलियाई मैच रेफरी को कोई आपत्ति नहीं थी। इसलिए मैं नहीं देखता कि इसके बारे में इतना शोर होना चाहिए।"

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