महिला क्रिकेट की बेहतरी के लिए ज्यादा मैच जरूरी : मिताली

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज को इस बात की कमी अखरती है कि महिला क्रिकेट प्रचार प्रसार के मामले में उपेक्षा का शिकार रहा।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Sun, 26 Mar 2017 06:56 PM (IST) Updated:Sun, 26 Mar 2017 07:01 PM (IST)
महिला क्रिकेट की बेहतरी के लिए ज्यादा मैच जरूरी : मिताली
महिला क्रिकेट की बेहतरी के लिए ज्यादा मैच जरूरी : मिताली
रमेश यादव, इलाहाबाद। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज को इस बात की कमी अखरती है कि महिला क्रिकेट प्रचार प्रसार के मामले में उपेक्षा का शिकार रहा। वह कहती हैं कि अगर समाचार पत्रों से लेकर टेलीविजन पर इसका प्रचार-प्रचार होता तो यह भी बुलंदियों पर पहुंच गया होता। उनका मानना है कि बीसीसीआइ ने देर से पहल की। 2007 की बजाय 2002 में ही बीसीसीआइ की नजर महिला क्रिकेट पर पड़ होती तो, कई महिला खिलाड़ी उनकी तरह अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमकतीं।
इलाहाबाद में चल रही 30वीं अखिल भारतीय महिला रेलवे क्रिकेट चैंपियनशिप में साउथ सेंट्रल रेलवे की कप्तानी कर रही मिताली राज से दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए अधिक-से-अधिक मैच होने चाहिए। अभी तक जितने मैच एक साल में खेले जाते हैं, वह कम है। प्रचार-प्रसार भी जरूरी है। अखबारों में अच्छी कवरेज मिले तथा टेलीविजन पर भी इसे प्रसारित किया जाए। स्कूल स्तर पर लड़कियों के ज्यादा मैच कराने चाहिए। उन्होंने बताया कि विश्वकप जून-जुलाई में होना है। हमारी टीम मेहनत कर रही है। लक्ष्य है कि भारत अंतिम चार में जरूर पहुंचे। खिलाडिय़ों का प्रदर्शन सही रहा तो भारत सेमीफाइनल में जरूर खेलेगा। मुझे लगता है कि अभी मैं दो-तीन साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल सकती हूं। इसके लिए फिटनेस पर बहुत ध्यान देती हूं। अभी महिला क्रिकेटर का प्रवेश अंडर-19 से होता है। बीसीसीआइ इसे अंडर-16 करने की तैयारी कर रहा है। लड़कियों को 10 वर्ष की आयु के बाद क्रिकेट सिखाना शुरू कर देना चाहिए। अगर खिलाडिय़ों को जल्दी बड़े स्तर के टूर्नामेंट में प्रतिभाग का अवसर मिलेगा तो वह निश्चित रूप से बेहतर करेंगी। क्रिकेट ने मुझे बहुत कुछ दिया। हां, इस वजह से मैं पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाई। मैंने स्नातक जरूर किया है, लेकिन ज्यादा नहीं पढ़ सकी जबकि मुझे पढऩे का बहुत शौक है। मुझे परिवार के साथ रहने का कम समय मिला। हमेशा इसकी कमी खलती है।
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