तो इसलिए धौनी की अपील से घबरा जाते हैं सब, एक अंपायर ने खोला राज

पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर ने साझा की धौनी के अपील की यादें...

By Bharat SinghEdited By: Publish:Sat, 08 Apr 2017 01:00 PM (IST) Updated:Sat, 08 Apr 2017 04:29 PM (IST)
तो इसलिए धौनी की अपील से घबरा जाते हैं सब, एक अंपायर ने खोला राज
तो इसलिए धौनी की अपील से घबरा जाते हैं सब, एक अंपायर ने खोला राज

इंदौर, किरण वाईकर। पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर सुधीर असनानी का मानना है कि महेंद्र सिंह धौनी बहुत शार्प क्रिकेटर हैं और जजमेंट के मामले में तो वे बेजोड़ है। अपील के मामले में तो वे 90 प्रतिशत से ज्यादा मौकों पर सही रहते हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा धौनी एक महान क्रिकेटर है और अपनी गलती को सहजता और खेल भावना के साथ स्वीकारने में वे जरा भी देर नहीं करते हैं।

धौनी पुणे की तरफ से शनिवार को आइपीएल में पंजाब के खिलाफ मैदान में उतरेंगे। इंदौर के सुधीर असनानी 10 अंतरराष्ट्रीय वन-डे और 4 अंतरराष्ट्रीय टी20 मैचों में अंपायरिंग कर चुके हैं। आइपीएल में तो उन्हें 66 मैचों में अंपायरिंग का अनुभव है और इसके तहत उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में मैचों का संचालन किया था।

असनानी ने अपने साथ हुए अनुभव को याद करते हुए कहा, इंग्लैंड के खिलाफ 27 जनवरी 2013 में धर्मशाला वन-डे में ईशांत शर्मा की गेंद पर एलेस्टर कुक के खिलाफ एलबीडब्ल्यू की जोरदार अपील की गई जिसे मैंने नकार दिया था। विकेटकीपर धौनी को छोड़कर सभी खिलाड़ियों ने अपील की क्योंकि गेंद जब बल्लेबाज के पास से निकली थी तो कुछ आवाज आई थी। मैंने बल्लेबाज को नॉटआउट करार दिया। कई बार रिप्ले दिखाए जाने के बाद यह साफ हुआ था कि गेंद पैड पर लगी थी और मेरा निर्णय सही था।

आवाज तो मुझे भी सुनाई दी थी, ले‍किन यह वुडन की आवाज नहीं थी, ‍इसलिए मैंने आउट नहीं दिया था। धौनी जानते थे कि बल्लेबाज आउट नहीं है, इसलिए उन्होंने अपील भी नहीं की थी, यह दर्शाता है कि उनकी कितनी बारीक नजर रहती है।

असनानी ने कहा कि डीआरएस के मामले में धौनी बहुत लाभदायक साबित हो सकते हैं, क्योंकि उनके जजमेंट 90 प्रतिशत से ज्यादा मौकों पर सही साबित होते रहे हैं। इंग्लैंड के खिलाफ पिछली सीरीज में अंपायर ने युवराज को आउट दिया था तो युवराज कुछ करते इससे पहले ही नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़े धोनी ने रेफरल मांग लिया था। इस मामले में भी धौनी सही साबित हुए थे और अंपायर को निर्णय बदलना पड़ा था। आइपीएल में भी पिछले दिनों मुंबई के खिलाफ मैच में जब अंपायर ने इमरान ताहिर की गेंद पर किरोन पोलार्ड को आउट नहीं दिया गया था तो धौनी ने डीआरएस का इशारा कर दिया था। बॉल ट्रेकिंग प्रणाली से साफ हो रहा था कि पोलार्ड आउट थे, ऐसे में यदि इन मैचों में डीआरएस होता तो धौनी की ‍जजिंग टीम के काम आती।

धौनी कितने महान खिलाड़ी हैं, इससे जुड़ा एक अनुभव साझा करते हुए असनानी ने कहा, 'इंग्लैंड के खिलाफ 2013 की घरेलू सीरीज में 23 जनवरी को मोहाली में हुए वन-डे में ईशांत शर्मा की पहली गेंद पर केविन पीटरसन के खिलाफ एलबीडब्ल्यू की जोरदार अपील हुई थी, जिसे मैंने नकार दिया था। विकेटकीपर धौनी और स्लिप में खड़े खिलाडि़यों ने जोरदार अपील की थी, जब ओवर के बाद धौनी ने मुझसे पूछा कि आउट क्यों नहीं दिया तो मैंने उन्हें बताया कि गेंद का पैड पर इम्पेक्ट ऑफ स्टंप के बाहर था। इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें लगा था कि यह स्टंप की लाइन में था। इस पर मैं भौंचक्का रह गया, कुछ क्षण के लिए तो मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। जब इस ओवर में पीटरसन मेरे छोर पर आए और उन्होंने कहा कि वे लकी रहे क्योंकि उन्हें भी लगता है कि वे आउट थे, इसके बाद तो मेरी हालत खराब हो गई। मुझे लगा कि मैंने गलती कर दी है। दो ओवर बाद ड्रिंक्स हुआ और रिजर्व अंपायर अनिल चौधरी ने मैदान में आकर मुझे बताया कि मेरा निर्णय सही था तो मेरे जान में जान आई। इसी दौरान धौनी ने भी सपोर्ट स्टाफ के एक सदस्य से निर्णय के बारे में पूछा और जब उन्हें बताया गया कि मेरा निर्णय सही था तो उन्होंने मेरे पास आकर कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, 'वेलडन सुधीर, यू आर वन अप।' इतने महान खिलाड़ी द्वारा इस तरह मेरे निर्णय की सराहना करना और अपनी अपील के गलत साबित होने पर उसे खेल भावना के साथ स्वीकारने के क्षण को मैं जिंदगी भर नहीं भुला पाऊंगा।

होम ग्राउंड का दबाव तो होता ही है

असनानी ने माना कि होम ग्राउंड का दबाव अंपायरों पर भी होता है, क्योंकि वहां के दर्शक आपको पर्सनली जानते हैं। मैं भी इंदौर में 2011 में आईपीएल में अंपायरिंग कर चुका हूं, लेकिन टी20 में यह दबाव थोड़ा कम होता है।

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