सौरव गांगुली और जय शाह के लिए ढेर सारे बदलाव चाहता है बीसीसीआइ

बीसीसीआइ ने अपने संविधान के कई प्रावधानों में संशोधन किए हैं और इसे बदलने का आग्रह करते हुए कोर्ट के सामने रखा है।

By Sanjay SavernEdited By: Publish:Sat, 23 May 2020 07:56 PM (IST) Updated:Sat, 23 May 2020 07:56 PM (IST)
सौरव गांगुली और जय शाह के लिए ढेर सारे बदलाव चाहता है बीसीसीआइ
सौरव गांगुली और जय शाह के लिए ढेर सारे बदलाव चाहता है बीसीसीआइ

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। बीसीसीआइ अपने अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को अपने पद पर बनाए रखने की कवायद में लगी है। इन दोनों का कार्यकाल जून और जुलाई में खत्म हो जाएगा। ऐसे में बोर्ड चाहता है कि कुछ नियमों में उससे पहले ही बदलाव कर दिए जाएं जिससे कि दोनों अपने पद पर काबिज रहें। अगर ऐसा नहीं होता है तो दोनों को इस्तीफा देना पड़ेगा। बोर्ड ने जिन प्रावधानों में संसोधन करते हुए कोर्ट के पास भेजा है, अगर वो कोर्ट के द्वारा स्वीकृत कर लिया जाता है तो फिर ये दोनों अपने पद पर बने रहेंगे। बोर्ड दोनों को तीन साल के अनिवार्य कूलिंग ऑफ पीरियड (विश्राम अवधि) से छूट दिलाने के लिये ये सबकुछ कर रहा है। 

 

बीसीसीआइ ने बोर्ड के संविधान 6.4, 6.5, 7.3, 15(3) और (4), 19(2) और 45 में संशोधन की अनुमति मांगी है और यह संशोधन बीसीसीआइ के पिछले साल एक दिसंबर को हुई वार्षिक आम सभा एजीएम में पास हुए थे। बीसीसीआइ ने अपने संविधान के कुछ प्रावधानों में संशोधन किया है। बोर्ड की वार्षिक आम सभा पिछले साल एक दिसंबर को आयोजित की गई थी जिसमें बोर्ड के संविधान में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया था। अब बीसीसीआइ के संविधान में विशिष्ट नियम और कोर्ट के निर्णय के मद्देनजर यह संशोधन कोर्ट के सामने रखे हैं। दैनिक जागरण के पास बीसीसीआई की याचिका की कॉपी है। अब आपको बताते हैं उन नियमों के बारे में जिसमें बीसीसीआइ बदलाव चाहता है। 

क्या हैं मौजूदा नियम और क्या हैं बदले हुए नियम

-बोर्ड के नियम 6.4 के अनुसार, एक पदाधिकारी जो लगातार दो पदों के लिए किसी राज्य संघ या बीसीसीआइ (या दोनों का संयोजन) में किसी पद पर आसीन है, तीन साल की कूलिंग ऑफ पीरियड  की अवधि को पूरा किए बिना आगे कोई चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होगा। कूलिंग ऑफ पीरियड के दौरान, ऐसे पदाधिकारी बीसीसीआइ या राज्य संघ की किसी भी समिति या किसी भी समिति के सदस्य नहीं होंगे। अभिव्यक्ति पदाधिकारी को किसी अन्य समिति या बीसीसीआइ या किसी राज्य संघ में गवर्निंग काउंसिल का सदस्य के रूप में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए चाहे जैसा भी मामला हो। लेकिन अब बोर्ड ने कोर्ट में इस नियम संशोधन करते हुए इसे पास करने की अनुमति मांगी है।

-बोर्ड ने इस नियम में यह संशोधन किया है कि एक अध्यक्ष या सचिव जिन्होंने बीसीसीआइ में लगातार दो बार अपने कार्यकाल पूरे किए हो, वे तीन साल की कूलिंग अवधि को पूरा किए बिना आगे चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं होंगे। कूलिंग ऑफ पीरियड के दौरान, ऐसे पदाधिकारी बीसीसीआइ की किसी भी समिति या किसी भी समिति के सदस्य नहीं होंगे। अध्यक्ष या सचिव को किसी अन्य समिति या बीसीसीआइ की गवर्निंग काउंसिल का सदस्य होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए चाहे जो भी मामला हो।

-बीसीसीआइ के 6.5 के पुराने नियम के तहत अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है, दिवालिया हो गया है, एक मंत्री या सरकारी कर्मचारी है या एक सार्वजनिक कार्यालय रखता है, क्रिकेट के अलावा किसी खेल या एथलेटिक एसोसिएशन या महासंघ में कोई कार्यालय या पद रखता है, आपराधिक अपराध के लिए आरोपित पाया जाता है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, चाहे वह गवर्निंग काउंसिल का सदस्य, किसी समिति, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल और किसी भी समान संगठन का प्रतिनिधि ही क्यों ना हो। लेकिन अब बोर्ड चाहता है कि अगर कोई ऐसा पाया जाता है तो उसे कार्यालय में पद, शीर्ष परिषद और बीसीसीआइ के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

-इसके अलावा 6.5.2 नियम में बीसीसीआइ चाहता है कि किसी व्यक्ति को गवर्निंग काउंसिल या बीसीसीआइ की किसी समिति का सदस्य होने से अयोग्य घोषित किया जाएगा तो उसके पीछे यह कारण होंगे जैसे वह भारत का नागरिक नहीं है, दिवालिया घोषित किया गया है, एक मंत्री या सरकारी कर्मचारी है और कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया है।

-सचिव के पद के लिए 7.3 का पुराना नियम कहता है कि किसी भी कार्य को मानद संयुक्त सचिव को सौंपने की शक्ति है लेकिन बोर्ड इसे बदलना चाहता है। बीसीसीआइ चाहता है कि क्रिकेट और गैर-क्रिकेटिंग के संबंध में सभी शक्तियों का प्रयोग संबंधित प्रबंधन कर्मियों के साथ सीईओ नियमित रूप से सचिव को रिपोर्टिंग करते रहें। प्रबंधन कर्मी, कर्मचारी और सीईओ सचिव के नियंत्रण और निर्देशन के तहत काम करेंगे। किसी भी कार्य को मानद संयुक्त सचिव या प्रबंधन में किसी व्यक्ति को सौंपने की शक्ति हो।

-बीसीसीआइ 15(3) और (4) के नियम में संशोधन कर कोर्ट से अनुमति चाहता है कि शीर्ष परिषद आम तौर पर विशेष रूप से सामान्य निकाय के किसी भी निर्देश के अनुसार अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सचिव के माध्यम से सीईओ, क्रिकेट समितियों और स्थायी समितियों पर अधीक्षण का प्रयोग करेगी। लेकिन आइपीएल सीधे तौर पर जनरल बॉडी के प्रति जवाबदेह रहेगी। इसके अलावा बीसीसीआइ या बोर्ड के किसी भी कार्यालय, पदाधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई के लिए सचिव के माध्यम से सीईओ के परामर्श के साथ बचाव या अन्य चीज पर काम किया जाएगा।

-19(2) के पुराने नियम के तहत बीसीसीआइ का प्रतिदिन प्रबंधन क्रिकेट और गैर क्रिकेट दोनों मामलों में पेशेवरों द्वारा संचालित होता है लेकिन अब बीसीसीआइ यह पेशेवरों द्वारा संबंधित पदाधिकारियों के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण में कराना चाहता है।

-बोर्ड के नियम 6.4 में निहित प्रावधान चुनाव लड़ने के लिए पात्रता पर लागू होता है। बोर्ड ने प्रावधान में संशोधन करना उचित समझा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि तीन साल बाद होने वाले चुनावों में बीसीसीआइ राज्य संघ में व्यक्तियों द्वारा प्राप्त अनुभव से वंचित नहीं रहे। यह संशोधन इस कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों की भावना को संरक्षित करते हुए किया गया है, क्योंकि यह सुनिश्चित किया जाता है कि यदि बीसीसीआइ का कोई भी पदाधिकारी के रूप में छह वर्ष पूरा करता है तो वह अयोग्य घोषित कर दिया है।

-बोर्ड के संविधान के नियम 45 के तहत निर्धारित प्रक्रिया, पूर्वोक्त प्रस्तावित संशोधन पारित किए गए थे और सर्वसम्मति से उपस्थित सदस्यों द्वारा स्वीकार किए गए थे और एक दिसंबर को आयोजित वार्षिक आम बैठक के दौरान इस पर मतदान हुए थे। कोर्ट के बिना इस तरह के किसी भी संशोधन को लागू नहीं किया जाएगा। कोर्ट को इस पर विचार करना चाहिए।

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