बर्बाद हुई 10 लाख की दो एकड़ फसल, मुआवजे मिला 7 रु. 38 पैसे

तिल्दा के सासाहोली गांव के किसान हरिराम यदु का पौने तीन एकड़ खेत है। पिछले साल उन्होंने इसमें धान की फसल लगाई। दो एकड़ की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई। उन्हें राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना से उम्मीद थी कि इसके अन्तर्गत उनको क्षतिपूर्ति की अच्छी खासी राशि मिल जाएगी। मगर मुआवजा देखकर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। उन्हें मुआवजा मात्र 7 रुपए 38 पैसे मिला है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 14 Sep 2016 06:09 AM (IST) Updated:Wed, 14 Sep 2016 06:17 AM (IST)
बर्बाद हुई 10 लाख की दो एकड़ फसल, मुआवजे मिला 7 रु. 38 पैसे

रायपुर। तिल्दा के सासाहोली गांव के किसान हरिराम यदु का पौने तीन एकड़ खेत है। पिछले साल उन्होंने इसमें धान की फसल लगाई। दो एकड़ की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई। उन्हें राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना से उम्मीद थी कि इसके अन्तर्गत उनको क्षतिपूर्ति की अच्छी खासी राशि मिल जाएगी। मगर मुआवजा देखकर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। उन्हें मुआवजा मात्र 7 रुपए 38 पैसे मिला है।

खाते की डीटेल निकलवाई तो यकीन ही नहीं हुआ

किसान हरिराम को लगा था कि धान लगाने से लेकर बियासी, रोपाई के साथ ही मजदूरी में जो पैसे उन्होंने खेत में लगाए हैं, वे सारे बीमा कंपनी से मिल जाएंगे। लेकिन उनके होश तब उड़ गए जब सोसायटी के कर्मचारियों ने उनके घर आकर राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की क्षतिपूर्ति राशि का सर्टिफिकेट लाकर दिया। उनके बैंक खाते में क्षतिपूर्ति की राशि जमा होने का पूरा विवरण सर्टिफिकेट में दर्ज था। दो एकड़ खेत में लगी धान की फसल बरबाद होने का उनकाे ये राशि उनके बैंक खाते में जमा हुई है। हरिराम को यकीन नहीं हुआ कि दो एकड़ की फसल का 7 रुपए 38 पैसे किस तरह से मुआवजा सरकार ने दिया। वे खुद तिल्दा में अपने बैंक गए। वहां अपने खाते का डीटेल निकलवाया। तब पता चला कि उनके खाते में फसल बीमा मद से सात रुपए 38 पैसे जमा हुए हैं।

पांव के नीचे से जमीन ही खिसक गई
हरिराम के मुताबिक, उन्होंने पौने तीन एकड़ के खेत में पिछले साल धान लगाया। चूंकि पिछले साल पानी कम गिरा। इसलिए उनके दो एकड़ का खेत सूख की चपेट में आ गया। पौन एकड़ तक तो उन्होंने किसी तरह से सिंचाई कर ली। मगर बचे हुए दो एकड़ तक पानी नहीं पहुंच पाया। पूरी फसल चौपट हो गई। पौने तीन एकड़ खेत को धान लगाने के लिए तैयार करने में ही दस लाख से अधिक रकम लग गई। पौन एकड़ की जो फसल काटी उस धान को बेचा तो मात्र 50 हजार रुपए के करीब मिले। फसल का बीमा हुआ था, इसलिए मन में तसल्ली थी कि मुआवजा की राशि मिल जाएगी तो मुझको अधिक नुकसान नहीं होगा, लेकिन जब पता चला कि सात रुपए 38 पैसा मुआवजे की रकम बैंक खाते में जमा हुई है तब तो पांव के नीचे से जमीन ही खिसक गई।

इधर, अफसरों ने की योजना की तारीफ

कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सोमवार को केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह आए थे। राज्य शासन के आला अफसरों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बढ़-चढ़कर उनके सामने यशोगान किया। अफसरों ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि इस साल प्रदेश में 13 लाख 66 हजार 302 किसानों को बीमा के दायरे में लाया गया है। इसमें 12 लाख 9 हजार 357 ऋणी किसान और एक लाख 56 हजार 945 अऋणी किसान है। राज्य सरकार के विशेष प्रयासों से इस साल अऋणी किसानों का बीमा कराने में उल्लेखनीय सफलता मिली है।

केंद्र से नहीं मिले फसल बीमा के 10 करोड़
अफसरों ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि किसानों को भुगतान करने के लिए दस करोड़ रुपए केंद्र से अभी तक नहीं मिले हैं। केंद्रीय मंत्री राधा मोहन ने तत्काल दिल्ली फाेन पर अधिकारियों से चर्चा करके पैसे जारी करने के निर्देश भी दिए।

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