Chhattisgarh Politics: केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाएंगे टीएस सिंहदेव, त्यागपत्र में छलका था दर्द

Chhattisgarh टीएस सिंहदेव केंद्रीय नेताओं से मुलाकात करके अपना दर्द बयां करेंगे। सिंहदेव ने पेसा कानून में बदलाव विभाग में अफसरों की दखलंदाजी चुनाव घोषणा पत्र को पूरा करने में अड़ंगा जैसे आरोप लगाकर पंचायत विभाग के मंत्री का पद छोड़ने की घोषणा की थी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 18 Jul 2022 03:03 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jul 2022 03:03 PM (IST)
Chhattisgarh Politics: केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाएंगे टीएस सिंहदेव, त्यागपत्र में छलका था दर्द
केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाएंगे टीएस सिंहदेव, त्यागपत्र में छलका था दर्द। फाइल फोटो

रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में पंचायत विभाग से मुक्त होने का पत्र देने के बाद मंत्री टीएस सिंहदेव रविवार को मुख्यमंत्री निवास में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए। सिंहदेव सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के बाद सीधे दिल्ली रवाना होंगे। वहां केंद्रीय नेताओं से मुलाकात करके अपना दर्द बयां करेंगे। सिंहदेव ने पेसा कानून में बदलाव, विभाग में अफसरों की दखलंदाजी, चुनाव घोषणा पत्र को पूरा करने में अड़ंगा जैसे आरोप लगाकर पंचायत विभाग के मंत्री का पद छोड़ने की घोषणा की थी।

मानसून सत्र में भी नहीं शामिल होंगे

चर्चा है कि 20 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में भी सिंहदेव के शामिल होने की संभावना नहीं है। कांग्रेस के केंद्रीय संगठन ने सिंहदेव को गुजरात विधानसभा चुनाव का पर्यवेक्षक बनाया है। सिंहदेव दिल्ली से गुजरात रवाना होंगे। देर शाम मुख्यमंत्री निवास में हुई विधायक दल की बैठक में भी मंत्री सिंहदेव के विभाग छोड़ने का मुद्दा उठा। प्रभारी पुनिया ने सिंहदेव के पत्र का जिक्र करते हुए विधायकों को जानकारी दी। अंबिकाकपुर में मीडिया से चर्चा में सिंहदेव ने कहा कि जिस तरह की चीजें चल रही थीं, यह तो एक दिन होना ही था।

जान से मारने का लगाया था आरोप

लंबे समय से सिंहदेव की नाराजगी सामने आ रही थी। रामानुजगंज के विधायक बृहस्पत सिंह ने सिंहदेव पर जान से मारने का आरोप लगाया था। उस समय भी सिंहदेव विधानसभा की कार्यवाही छोड़कर चले गए थे। भाजपा सरकार के खिलाफ लाएगी अविश्वास प्रस्ताव मंत्री सिंहदेव प्रकरण के बाद अब भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। भाजपा विधायक दल की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव के बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई है। इस प्रकरण के बाद विधानसभा के मानसून सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है।

भूपेश बघेल को लिखे पत्र में कई मामले उठाए

सीएम भूपेश बघेल को भेजे त्यागपत्र में सिंहदेव का दर्द साफ छलक रहा है। चार पन्ने के त्यागपत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संबोधित करते हुए लिखा था कि तीन वर्षों से मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मंत्री के रूप में कार्य कर रहा हूं। इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई हैं, जिससे आपको अवगत कराना चाहूंगा। सिंहदेव ने पत्र में कई विषयों को उठाया है।

गरीबों को आवास नहीं दिला पाने का दर्द

मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए सिंहदेव ने कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया था, किंतु राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी। फलस्वरप प्रदेश के लगभग आठ लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाए जा सके। आठ लाख घर बनाने से करीब 10 हजार करोड़ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सहायक होते। हमारे जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अंतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया जा सका।

छीना अधिकार

किसी भी विभाग की योजना में कार्यों की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का अधिकार है। समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति के लिए रल आफ बिजिनेस के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गई। कार्यों की स्वीकृति के लिए मंत्री के अनुमोदन के बाद अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिए जाने की प्रक्रिया बनाई गई जो प्रोटोकाल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है। इसके कारण 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधि के सुझाव के अनुसार विकास कार्यों में नहीं किया जा सका।

बदल दिए गए पेसा कानून के नियम

पेसा अधिनियम लागू करने के संबंध में जनघोषणा पत्र में भी वादा किया था। काफी मेहनत से नियम बनाए गए थे। 13 जून, 2020 से प्रदेश के आदिवासी ब्लाकों में जाकर निरंतर दो वर्षों तक संवाद स्थापित कर इसका प्रारप तैयार किया। किंतु विभाग द्वारा जो प्रारप कैबिनेट कमेटी को भेजा गया था जिसके अनुसार चर्चा हूुई उसमें जल, जंगल, जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को बदल दिया गया।

वादे के बावजूद पंचायत प्रतिनिधियों को नहीं मिला अधिकार 

जनघोषणा पत्र में किए गए वादों में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को पूर्ण रप से लागू करना भी है जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा तथा विभागीय तौर पर भी पहल की। किंतु इस पर पहल नहीं हो पाई।

रोजगार सहायकों का वेतन नहीं बढ़ाया

कोरोना काल में रोजगार की सबसे ज्यादा जररत थी, छत्तीसगढ़ मनरेगा के क्रियान्वयन में सम्पूर्ण भारत में अग्रणी रहा। 20 हजार से अधिक कोविड केयर सेंटर्स का सफलतापूर्वक संचालन पंचायतों द्वारा किया गया। मनरेगा का कार्य करने वाले रोजगार सहायकों के वेतनवृद्धि का प्रस्ताव पंचायत विभाग द्वारा वित्त विभाग को प्रेषित किया गया जो आज तक लंबित है।

रोजगार सहायकों की हड़ताल साजिश 

एक साजिश के तहत रोजगार सहायकों से हड़ताल करवा कर मनरेगा के कार्यों को प्रभावित किया गया जिसमें सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) की भूमिका स्पष्ट रप से निकल कर आई। आपने कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए कमेटी गठित की फिर भी हड़ताल वापस नहीं ली गई।

आपत्ति के बावजूद सहायक परियोजना अधिकारियों की बहाली 

जब मुझे यह जानकारी प्राप्त हुई कि हटाए गए सहायक परियोजना अधिकारी (संविदा) की फिर से नियुक्ति की कार्यवाही चल रही है तो मैंने दूरभाष पर आपको अपना मत दिया था कि उन्हें उसी पद पर पुन: नियुक्ति न दें। इन सब के बावजूद इनकी पुन: पदस्थापना मेरे बगैर अनुमोदन के कर दी गई जो मुझे स्वीकार्य नहीं है।

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