राजनीति में वंशवाद जायज : सुमित्रा

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने राजनीति में वंशवाद की वकालत करते हुए कहा है कि जब डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता, व्यवसायी का बेटा व्यवसाय कर सकता है तो ऐसे में राजनीति करने वाले का बेटा राजनीति क्यों नहीं कर सकता?

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 17 Jul 2015 02:05 AM (IST) Updated:Fri, 17 Jul 2015 02:09 AM (IST)
राजनीति में वंशवाद जायज : सुमित्रा

रायपुर [ब्यूरो]। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने राजनीति में वंशवाद की वकालत करते हुए कहा है कि जब डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता, व्यवसायी का बेटा व्यवसाय कर सकता है तो ऐसे में राजनीति करने वाले का बेटा राजनीति क्यों नहीं कर सकता? श्रीमती महाजन ने कहा कि पत्रकार जो भी लिखते रहे, उन्हें इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है। सुमित्रा महाजन ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर में विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने ये बातें उस वक्त रखी हंै, जब उनकी ही पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति में वंशवाद की मुखालफत करते रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी अपने बच्चों और करीबियों को टिकट दिलाने की मुहिम में लगे नेताओं को श्री मोदी की खरी-खरी सुननी पड़ी थी। सुमित्रा महाजन ने छत्तीसगढ़ में बढ़ते नक्सलवाद पर कहा कि राजनीतिक जीवन में आने के पहले वे अपने पति के साथ बस्तर घूम चुकी हैं, तब के और अब के बस्तर में काफी अंतर आ गया है। उन्होंने कहा कि बढ़ते नक्सलवाद पर काबू पाने के लिए विधानसभा के पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों को मिलकर काम करना होगा।

श्रीमती महाजन ने कहा कि छत्तीसगढ़ नैसर्गिक सौंदर्य संसाधनों, खनिज संपदा, वन व जैविक विविधता के लिए मशहूर है। यहां की अपनी समृद्घ सांस्कृतिक विरासत भी है यहां की लोककला संगीत व नृत्य विशेष कर पंडवानी देश-विदेश में लोगों का मन आकर्षित करता है।

विधायकों को दिए टिप्स

श्रीमती महाजन ने विधायकों को संसदीय गुर बताते हुए कहा कि सदस्यों की सदन में उपस्थिति नियमित होनी चाहिए, कार्यकर्ता हमारी पूंजी होते हंै इसलिए पूर्ण प्रतिबद्घता के साथ जनसमस्याओं को सभा में उठाकर उनका निराकरण करने का प्रयास करना चाहिए। चौराहे और विधानसभा के सदन में दिए गए भाषण में सदस्यों को अंतर करना चाहिए। सदस्यों को विशेषाधिकार के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का बोध भी होना चाहिए। सदस्यों को काम की प्रामाणिकता भी साबित करना आवश्यक होता है। सदस्यों को विषय की पूरी तैयारी व संदर्भ तैयार कर सदन में पूर्ण तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए। उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा के गर्भगृह में आने पर स्वमेव निलंबन के नियम की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे लोकसभा में भी इस तरह के नियम पर विचार करेंगी।

जनप्रतिनिधियों के ज्ञान व कार्यक्षमता में वृद्घि : गौरीशंकर

विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम से जनप्रतिनिधियों के ज्ञान व कार्य क्षमता में वृद्घि होती है। जिससे वे ज्यादा सक्षम, समर्थ व क्षमतावान व्यक्तित्व के रूप में प्रतिष्ठापित होते हैं। संसदीय आचार-विचार, संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समझ व विषयों की विशेषज्ञता से सदस्य अपने दायित्वों के साथ-साथ जनता की समस्याओं का समाधान कर पाने में सफल हो सकते हैं।

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस उद्गार का स्मरण दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था कि संसद की महानता तो संसद के अंदर होने वाले वाद-विवाद की गुणवत्ता और हमारे द्वारा स्थापित अनुशासन और शालीनता की परंपराओं से ही प्राा होती है और कायम रहती है।

अनुभवीजनों से सीखने का अवसर : सीएम

मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने श्रीमती महाजन का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी लगन एवं निष्ठा से इंदौर के पार्षद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरआत करते हुए आज देश की सर्वोच्च पंचायत की आसंदी की जिम्मेदारी संभाली है व इसका संचालन बखूबी कर रहीं है। इस तरह के प्रशिक्षण से नए व पुराने सदस्यों को उनके संसदीय कार्यों के निर्वहन में लाभ मिलेगा।

नेता प्रतिपक्ष टीएस.सिंहदेव ने कहा कि इस तरह के आयोजन से नए व पुराने सभी सदस्यों को अनुभवीजनों को सुनने व उनसे सीखने का अवसर मिलेगा। इस अवसर पर विधानसभा के प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा ने विधानसभा के 14 वर्षों की उपलब्धियों की जानकारी दी।

कार्यक्रम में संसदीय कार्यमंत्री अजय चन्द्राकर व उत्तरप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय भी मौजूद थे।

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