बेटी के नहीं हैं दोनों हाथ, मां ने पेंटिंग करना सिखाया, बेटी ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

दामिनी कक्षा 11वीं की छात्रा उम्र तकरीबन 17 साल बिरगांव में जब दामिनी पैदा हुई तो जन्म से ही हाथ नहीं थे। परिवार में कहा गया-बेटी अशुभ है, क्योंकि हाथ नहीं है। एक तरफ दामिनी पर कुदरत की बिजली गिरी थी तो दूसरी तरफ समाज के ताने...।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 11 May 2015 02:35 AM (IST) Updated:Mon, 11 May 2015 02:40 AM (IST)
बेटी के नहीं हैं दोनों हाथ, मां ने पेंटिंग करना सिखाया, बेटी ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

रायपुर। दामिनी कक्षा 11वीं की छात्रा उम्र तकरीबन 17 साल बिरगांव में जब दामिनी पैदा हुई तो जन्म से ही हाथ नहीं थे। परिवार में कहा गया-बेटी अशुभ है, क्योंकि हाथ नहीं है। एक तरफ दामिनी पर कुदरत की बिजली गिरी थी तो दूसरी तरफ समाज के ताने...। मां माधुरी ने खुद को संभाला और संकल्प लिया कि जो भी हो, बेटी दुनिया में नाम करेगी। मां की शक्ति ने बेटी दामिनी को ऐसा हुनर सिखाया कि आज उसने गोल्डन बुक आफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा लिया। मां माधुरी और बेटी दामिनी पर आज पूरे परिवार को फक्र है। मां माधुरी सेन कहती हैं कि बुरा ये नहीं लगा कि बेटी ऐसी हुई, बुरा ये लगा कि ऐसी होते ही उसे अशुभ बोल दिया। ये कैसी दुनिया, कैसा समाज है।

मां भी पैरों से सिखती थी, फिर सिखाती थी

दामिनी के नाम एक घंटे में पैर से 38 पेंटिंग बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है। 2015 में ही ये रिकॉर्ड उसने बनाया है। दामिनी कहती है कि मेरे हाथ नहीं थे तो मां ने भी शायद तय कर लिया कि वो अपने हाथ का इस्तेमाल मुझे कोई काम सिखाने में नहीं करेंगी। इस कारण सारे काम पहले पैर से वो खुद करती और उसके बाद मुझे सिखाती। ए, बी, सी, डी लिखने से लेकर क, ख, ग और अंकों की सारी तालीम मैंने मां के कदमों से सीखी।

इसके बाद रेखाओं और रंगों की भाषा भी पैरों के जरिए मुझे मां ने ही सिखाई। जो भी रिकॉर्ड बना, मां की बदौलत बना। पैरों से सिखाते-सिखाते उनकी कपड़े गंदे हो जाते थे। किसी जगह मैंने पढ़ा था- तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फलक, मुझको अपनी मां की मैली ओढऩी अच्छी लगी...। और वाकई मेरी दुनिया मेरी मां के आंचल से शुरू होती है और उनके कदमों में खत्म।

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