ITR 2018: FY18 के लिए कैसे फाइल करें आयकर रिटर्न, जानिए

अगर करने जा रहे हैं वित्त वर्ष 2018 के लिए रिटर्न फाइल तो इन बातों का रखें ख्याल

By Surbhi JainEdited By: Publish:Thu, 05 Jul 2018 03:00 PM (IST) Updated:Sat, 07 Jul 2018 12:39 PM (IST)
ITR 2018: FY18 के लिए कैसे फाइल करें आयकर रिटर्न, जानिए
ITR 2018: FY18 के लिए कैसे फाइल करें आयकर रिटर्न, जानिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2018 है। ऐसे में कुछ करदाता जल्दबाजी में रिटर्न भरते समय गलती कर देते हैं। आपको यह जानकार खुशी होगी कि टैक्स फाइलिंग अब मुश्किल नहीं रही है। अब वो दिन जा चुके हैं जब आपको हाथ से फॉर्म भरना होता था और उसे जमा करने के लिए घंटों लंबी लाइनों में लगना पड़ता था। बीते कुछ वर्षों से सभी करदाताओं के लिए (वरिष्ठ नागरिकों को छोड़कर) जिनकी आय या रिफंड पांच लाख से ज्यादा है उन्हें अपनी रिटर्न ऑनलाइन भरनी अनिवार्य है। अपनी रिटर्न के ई-फाइलिंग के साथ साथ आप रिफंड और रिटर्न की प्रोसेसिंग को ट्रैक भी कर सकते हैं।

बीते कुछ वर्षों से नये करदाताओं की ओर से रिटर्न फाइलिंग की संख्या में महत्वपूर्ण इजाफा देखने को मिला है। जैसे वित्त वर्ष 2018 में करीब 99.49 लाख नये टैक्स फाइलर्स जोड़े गये हैं। बीते वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 85.51 लाख रहा था।

जानिए कैसे करें आईटीआर ई-फाइलिंग-

इन सात दस्तावेजों को जरूर रखें अपने साथ-

फार्म-16: यह आपको आपके इम्प्लॉयर की तरफ से मिलता है। इसमें कर्मचारी की सैलरी, एचआरए, मेडिकल रिंबर्समेंट और सेक्शन 80 सी के तहत किए गए निवेश की पूरी जानकारी रहती है। सैलरी स्लिप: आपकी सैलरी स्लिप में कंपनी की तरफ से प्रति माह मिले पैसे का लेखा जोखा रहता है। आपकी सैलरी स्लिप में आपको मिले पैसों के साथ-साथ हुए डिडक्शन्स भी दर्ज रहते हैं। फार्म-16A/फार्म-16B/फार्म-16C: अगर सैलरी के अलावा किसी अन्य स्रोतों से भी आपको आमदनी हुई हो और उस पर टीडीएस कटा है तो उस कंपनी के द्वारा आपको फार्म-16A दिया जाता है। अगर आपके द्वारा प्रापर्टी बेची गई है तो आपको खरीददार फार्म-16B देता है। यदि आप मकान मालिक हैं तो किराए पर कटौती किये गये टीडीएस के विवरण के लिए किरायेदार से फॉर्म-16C देने के लिए कहा जाता है। फार्म 26AS: फार्म 26AS दरअसल टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट है जिसमें उन सभी करों का ब्यौरा दर्ज होता है जो आपकी ओर से (आपकी कुल आय में से) इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को प्राप्त हुए हैं। आधार कार्ड: आईटीआर फाइल करने के बाद उसे प्रोसेस करने के लिए अब आधार और पैन कार्ड लिंक होना जरूरी है। निवेश का ब्यौरा: अगर आपने इक्विटी लिंक्ड म्युचुअल फंड या पीपीएफ में निवेश किया है, तो यह आपको टैक्स छूट दिलाने में काम आते हैं। होम लोन डिटेल का ब्योरा: अगर आपने होम लोन या कोई और लोन फाइनेंस करवाया है तो इसका ब्यौरा भी आपको तैयार रखना चाहिए।

आईटीआर ई-फाइलिंग एकाउंट बनाएं-

एक बार सारे दस्तावेज अपने पास रखने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर ई-फाइलिंग एकाउंट में लॉग इन करें। लॉग इन के लिए आपको यूजर आईडी (पैन), पासवर्ड, जन्म तिथि और कैप्चा कोड भरना होगा। हालांकि अगर आप पहली बार रिटर्न फाइल कर रहे हैं तो आपको पहले एकाउंट बनाना होगा।

किस आईटीआर फॉर्म का करें चयन-

आईटीआर-1: इस फॉर्म को सहज फॉर्म कहा जाता है। यह फॉर्म व्यक्तिगत (इंडिविजुअल) करदाताओं के लिए होता है और इसे 50 लाख रुपए से कम की आय वाले करदाता ही भर सकते हैं। आईटीआर-2: यह इंडिविजुअल्स और HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) के लिए होता है। इसे 50 लाख से ज्यादा की आमदनी वाला करदाता भर सकता है। आईटीआर-3: यह इंडिविजुअल्स और HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) दोनों के लिए होता है। आईटीआर-4: इस फॉर्म को सुगम कहते हैं। इसमें प्रिजम्पटिव सोर्स ऑफ इनकम को शामिल किया जाता है। आईटीआर-5: यह पार्टनरशिप फर्म और एलएलपी के लिए होता है। आईटीआर-6: यह फॉर्म कंपनी और पीएलसी के लिए होता है और इसमें भी किसी भी सोर्स से हुई आय को शामिल किया जाता है। आईटीआर-7: इस तरह का आईटीआर फॉर्म चैरिटेबल फर्म के लिए होता है।

ई-वेरिफाइ रिटर्न करें अपलोड-

अंतिम स्टेप में अपनी सभी डिटेल्स को चेक करें और फॉर्म को अपलोड कर दें। अपलोड करने के बाद अपनी रिटर्न को जरूर वेरिफाई करें।

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