Diwali Special: म्युचुअल फंड ने इस साल डुबोया निवेशकों का पैसा...अब क्या हो निवेशकों की रणनीति?

साल 2018 म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए बेहतर नहीं रहा है, हालांकि एक्सपर्ट निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि फिलहाल उन्हें बिक्री से बचना चाहिए

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Fri, 02 Nov 2018 10:30 AM (IST) Updated:Sun, 04 Nov 2018 12:07 PM (IST)
Diwali Special: म्युचुअल फंड ने इस साल डुबोया निवेशकों का पैसा...अब क्या हो निवेशकों की रणनीति?
Diwali Special: म्युचुअल फंड ने इस साल डुबोया निवेशकों का पैसा...अब क्या हो निवेशकों की रणनीति?

नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। हमेशा बेहतर रिटर्न देने वाले म्युचुअल फंड ने इस वर्ष निवेशकों को काफी निराश किया। बीते एक साल की अगर बात करें तो म्युचुअल फंड इक्विटी स्कीम्स ने नकारात्मक रिटर्न ही दिया है। सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले फंड में इन्फ्रा सेक्टर के फंड रहे हैं।

(नोट: इन सभी ने इस साल नकारात्मक रिटर्न दिया है, ये आंकड़े वैल्यू रिसर्च से लिए गए हैं और 15 अक्टूबर 2018 तक के हैं। यहां पर लाल रंग का मतलब निगेटिव रिटर्न से है।)

ऐसे में जब साल खत्म होने को है और निवेशक नई योजनाओं की तैयारियों में जुटे हुए हैं वर्तमान और नए निवेशकों के मन में एक उहापोह की स्थिति है। पुराने निवेशकों को समझ में नहीं आ रहा है कि उन्हें अपने फंड को फिलहाल अपने पोर्टफोलियों में बनाए रखना चाहिए या फिर उन्हें उसे बेचकर कहीं और निवेश कर देना चाहिए। वहीं नए निवेशक भी नए विकल्पों की तलाश में माथापच्ची कर रहे हैं। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर इस वर्ष म्युचुअल फंड ने इतना कमतर प्रदर्शन क्यों किया और इसके मौजूदा निवेशकों को इस असमंजस भरी स्थिति में क्या करना चाहिए।

आखिर क्यों परफार्म नहीं कर पाएं म्युचुअल फंड्स?

जितना सीधा यह सवाल है उतने ही सीधे एवं सरल इसके जवाब भी हैं। सिलसिलेवार तरीके से समझिए आखिर साल 2018 में म्युचुअल फंड की हालत इतनी पतली क्यों हुई। हमने इस संबंध में ब्रोकिंग फर्म कार्वी कमोडिटी के हेड रिसर्च डॉ. रवि सिंह के साथ विस्तार से बात की है।

बाजार में गिरावट ने तोड़ी म्युचुअल फंड की कमर: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि म्युचुअल फंड की नब्ज शेयर बाजार होता है। भारतीय शेयर बाजार इस वर्ष 12.5% तक की गिरावट दिखा चुका है। बीएसई और निफ्टी इंडेक्स ने इस वर्ष ऊपरी स्तर पर 16 फीसद का करेक्शन दिखाया है। हाल के ही कुछ महीनों में बाजार ने दो तीन बार बड़े-बड़े गोते लगाए हैं। इन गिरावटों ने म्युचुअल फंड कारोबारों को काफी हद तक प्रभावित किया है।

अर्थव्यवस्था से टूटते भरोसे ने निकाली म्युचुअल फंड की हवा: अर्थव्यवस्था की हालत ने भी म्युचुअल फंड का साथ नहीं दिया। बॉण्ड मार्केट के बेहतर प्रदर्शन के कारण लोगों ने खासकर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने तेजी से भारत से अपने डॉलर खींचे। इस वजह से भी म्युचुअल फंड के प्रदर्शन पर असर पड़ा।

रुपये की गिरावट से डगमगाया म्युचुअल फंड निवेशकों का भरोसा: इस वर्ष सिर्फ शेयर बाजार ने ही परेशानियां खड़ी नहीं कीं, बल्कि रुपये की गिरावट ने भी अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती पेश करने का काम किया। बीते वर्ष (2017) 65 के स्तर पर मौजूद रुपये ने इस वर्ष 74 के स्तर को भी पार कर लिया। वहीं कुछ विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि रुपये में अगर और गिरावट गहराई तो यह 80 का स्तर भी छू सकता है।

कंपनियों के तिमाही नतीजे नहीं रहे बेहतर?

कंपनियों के तिमाही नतीजों ने भी इस वर्ष मालिकों को काफी निराश किया। एयरटेल जैसी नामी कंपनी ने बीते 15 वर्षों में पहली बार घाटे का का सामना किया। ऐसी ही तमाम कंपनियां रही हैं जिन्होंने साल 2017 के मुकाबले कमतर प्रदर्शन किया है। इस स्थिति ने भी म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए परेशानी खड़ी की जिस वजह से इन फंड्स ने नकारात्मक रिटर्न ही दिया।

वैश्विक समस्याओं से भी झुलसा म्युचुअल फंड: ट्रेड वॉर जैसी समस्याओं के चलते अंतरराष्ट्रीय नीतियों पर भी असर देखने को मिला। इस वजह से म्युचुअल फंड्स यूनिट्स के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ।

2017 बनाम 2018?

साल 2017 की बात करें तो 2016-17 में म्युचुअल फंड्स ने 17 से 50 फीसद तक का रिटर्न दिया था। जबकि अगर साल 2018 की बात करें तो इस वर्ष 10 फीसद का निगेटिव रिटर्न मिलने की उम्मीद है।

क्या निवेशकों को म्युचुअल फंड में ही टिके रहना चाहिए?

रवि सिंह ने बताया, "देखिए जैसा कि सभी जानते हैं कि म्युचुअल फंड में निवेश लॉन्ग टर्म में होता है आमतौर पर 5 से 10 वर्ष के लिए। ऐसे में अगर आपने इसी साल कुछ म्युचुअल फंड्स यूनिट्स खरीदे हैं तो आपको अभी इंतजार करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आगामी कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं और उसके पहले विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। अगर भाजपा सरकार फिर से केंद्रीय सत्ता में आती है तो बाजार में 25 फीसद तक की अतिरिक्त रैली देखने को मिल सकती है। जाहिर तौर पर इसका सीधा फायदा म्युचुअल फंड निवेशकों को भी होगा। ऐसे में आपको थोड़ा इंतजार करना चाहिए।"

क्या निवेशकों को म्युचुअल फंड से हटकर गोल्ड की तरफ शिफ्ट होना चाहिए?

सिंह ने बताया, "जिन लोगों ने इसी वर्ष म्युचुअल फंड में निवेश किया है उन्हें फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट यह सलाह भी दे रहे हैं कि उन्हें अपने पोर्टफोलियो में कुछ यूनिट्स को एड-ऑन भी करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि लॉर्ज कैप मिडकैप की वैल्युएशन पर मिल रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों में कंपनियों के फंडामेंटल खराब नहीं है बस बाजार को लेकर निवेशकों के फंडामेंटल थोड़े कमजोर हैं। ऐसे में आपको अपने निवेश को म्युचुअल फंड में बनाए रखना चाहिए क्योंकि सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। नवंबर में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अप्रैल-मई के आस पास आम चुनाव भी होने हैं। लिहाजा निवेश के लिहाज से संकेत अच्छे हैं। अभी आरबीआई ने बाजार में 40,000 करोड़ के निवेश की घोषणा भी है जो कि बाजार के लिए अच्छा संकेत है। हां अगर आप अपने निवेश का 5 फीसद तक हिस्सा गोल्ड-सिल्वर में लगाना चाहते हैं तो यह आपके निवेश पोर्टफोलियो में वेरिएशन के साथ ही रिटर्न के लिहाज से भी बेस्ट रहेगा।"

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