इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, जानिए

ITR फाइलिंग के दौरान करदाता कुछ गलतियां कर देते हैं जिनके चलते उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पडता है

By Surbhi JainEdited By: Publish:Tue, 29 May 2018 06:04 PM (IST) Updated:Sat, 09 Jun 2018 12:49 PM (IST)
इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, जानिए
इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के दौरान भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, जानिए

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2018 है। ऐसे में सुनिश्चित करें की आपकी ओर से फाइल की गई रिटर्न ठीक है। कई बार करदाता जल्दबाजी में कुछ गलतियां कर देते हैं जिस कारण उनकी कर देनदारी तो प्रभावित होती ही है साथ ही आयकर विभाग की ओर से नोटिस मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है। हम अपनी इस खबर में आपको जानकारी दे रहे हैं कि आपको किन गलतियों से बचना चाहिए।

अन्य स्रोत से हुई आय का विवरण देना न भूलें: करदाता अक्सर अन्य स्रोत की हुई आय का ब्योरा देना भूल जाते हैं। मसलन एफडी पर मिलने वाला ब्याज और बैंक के सेविंग खाते पर कमाया गया ब्याज। जिन लोगों ने नौकरी बदली है वे कई बार पुराने नियोक्ता से हुई आय के बारे में भी बताना भूल जाते हैं। उन्हें लगता है डिडक्टर की ओर से कर कटौती पर्याप्त है और इसपर कोई टैक्स भुगतान नहीं बनता और इस तरह की आय के बारे में विवरण देने से वो चूक जाते हैं। लेकिन ऐसा करना गलत है। एक वित्त वर्ष में सभी स्रोत से हुई आय के बारे जानकारी देना अनिवार्य होता है।

नाबालिग बच्चों के जरिए हुई आय का उल्लेख करना: कुछ करदाता नाबालिग बच्चे के नाम से निवेश करते हैं जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट, बॉन्ड्स आदि। इस तरह के निवेश पर हर साल ब्याज मिलता है। लोगों को लगता है कि यह तो नाबालिग बच्चों का है, यह सोचकर ही वो आईटीआर में इसका उल्लेख नहीं करते हैं। जबकि इनकम टैक्स कानून के तहत इनका विवरण देना जरूरी होता है।

छूट के दायरे में आने वाली आय का उल्लेख न करना: जल्दबाजी में आईटीआर दाखिल करते समय लोग छूट के दायरे में आने वाली चीजों के बारे में बताना भूल जाते हैं। ये आय लाभांश, इक्विटी पर हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन, प्रोविडेंट फंड पर मिला ब्याज आदि होती हैं। आयकर विभाग विशेष रूप से इस तरह की आय के विवरण की मांग करता है।

टैक्स बेनिफिट्स पर क्लेम के दौरान गलती: कई करदाता इस बात से वाकिफ नहीं होते कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स सेविंग की जा सकती है। यह धारा 80डी के तहत होती है। लोग कई बार टैक्स सेविंग डिडक्शन्स क्लेम करना भूल जाते हैं। वो सेक्शन 80टीटीओ के तहत सेविंग बैंक एकाउंट पर ब्याज, सेक्शन 80सी के तहत ट्यूशन फीस आदि पर क्लेम करने से चूक जाते हैं।

टीडीएस की जानकारी में गड़बड़ियां: फॉर्म 26 एएस में टीडीएस जानकारियों में गलती करने से बचना चाहिए। गलती के चलते अतिरिक्त कर देनदारी बन जाती है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले अपना फॉर्म 26 एएस जरूर चेक कर लें। इससे आप आगे होने वाली दिक्कतों से बच सकते हैं। कई बार ऐसा होता है कि नियोक्ता काटा गया टीडीएस सरकार के पास जमा नहीं कराता या आपके नाम, पैन आदि की टीडीएस रिटर्न में गलत जानकारी दे देता है। इससे टैक्स क्रेडिट क्लेम करने में दिक्कत आती है।

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