लिस्टेड कंपनियों में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ा, आधा दर्जन कंपनियों में तय सीमा के करीब पहुंचा FDI
सेबी ने इस वर्ष अप्रैल में एनएसडीएल और सीडीएसएल को भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों में विदेशी निवेश पर नजर रखने से संबंधित फ्रेमवर्क जारी किए थे।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। शेयर बाजारों में सूचीबद्ध एक दर्जन कंपनियों में विदेशी निवेश की मात्र या तो तय सीमा पर पहुंच गई है, या उस सीमा के करीब पहुंच गई है। कंपनियों में विदेशी निवेश पर नजर रखने वाली डिपोजिटरीज एनएसडीएल तथा सीडीएसएल ने बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को सूचित किया है कि आधा दर्जन कंपनियों में विदेशी निवेश सीमा लाल निशान यानी तय मानकों के हिसाब से चरम पर है।
इनमें एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, वंडरला हॉलिडेज, आशापुरा माइनकेम, साएंट लिमिटेड तथा एस. एच केलकर एंड कंपनी शामिल हैं। दूसरी तरफ विदेशी निवेश की सीमा पार कर चुकी कंपनियों में एबॉट इंडिया, डेल्टा कॉर्प, शांति एजुकेशनल इनीशिएटिव्स, साइ बाबा इंवेस्टमेंट एंड कॉमर्शियल इंटरप्राइजेज, ट्रेंट लिमिटेड तथा जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज के नाम हैं।
एक बयान में बीएसई ने कहा कि इन सभी एक दर्जन कंपनियों में इंस्टीट्यूशनल ट्रेडिंग सीरीज खरीद-फरोख्त के लिए 18 जून से उपलब्ध रहेंगी। इन कंपनियों को पांच कारोबारी सत्र के भीतर विदेशी निवेश को तय सीमा के नीचे लाना होगा। गौरतलब है कि इंस्टीट्यूशनल ट्रेडिंग सीरीज (छह लाख सीरीज) में कारोबार की इजाजत सिर्फ विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) को है। पूंजी बाजार नियामक सेबी पहली जुलाई से बीएसई के इक्विटी सेग्मेंट में इंस्टीट्यूशनल ट्रेडिंग सीरीज (छह लाख सीरीज) में खरीद-फरोख्त बंद कर रहा है। एनएसई ने भी एक बयान में कहा कि डिपोजिटरीज द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मद्देनजर इन कंपनियों में विदेशी निवेश सीमा मानकों के अंदर लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
सेबी ने इस वर्ष अप्रैल में एनएसडीएल और सीडीएसएल को भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों में विदेशी निवेश पर नजर रखने से संबंधित फ्रेमवर्क जारी किए थे। इसके मुताबिक जब भी किसी कंपनी में विदेशी निवेश की सीमा मानकों के चरम पर पहुंचती है या पार करती है, तो उन्हें लाल बत्ती के माध्यम से संदेश जारी करने होते हैं।