13 राज्यों के राजकोषीय घाटे में बड़ी गिरावट

राजकोषीय घाटे का कम से कम स्तर पर होना सबसे आदर्श स्थिति होती है

By Surbhi JainEdited By: Publish:Mon, 18 Jun 2018 10:32 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jun 2018 10:32 AM (IST)
13 राज्यों के राजकोषीय घाटे में बड़ी गिरावट

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पिछले वित्त वर्ष के दौरान खर्च में कमी के चलते 13 राज्यों का राजकोषीय घाटा औसतन 25 फीसद तक गिर गया है। घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इकरा ने नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) द्वारा जारी राजकोषीय घाटे से संबंधित प्रारंभिक आंकड़ों के हवाले से कहा है कि हालांकि समीक्षाधीन वित्त वर्ष के दौरान इन राज्यों का राजस्व 7.5 फीसद बढ़ा। उससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले यह वृद्धि दर कम रही, जिसे राजकोषीय घाटे में गिरावट की बड़ी वजह बताया गया है।

आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष मार्च में खत्म वित्त वर्ष (2016-17) में इन राज्यों का राजस्व 11.5 फीसद बढ़ा था। एजेंसी ने कहा कि मार्च, 2017 के आखिर में इन 13 राज्यों का राजकोषीय घाटा 4.3 लाख करोड़ था, जो इस वर्ष मार्च के आखिर में 25.1 फीसद घटकर 3.2 लाख करोड़ रह गया। इसकी मुख्य वजह इन राज्यों के पूंजीगत खर्च में गिरावट है। एजेंसी के मुताबिक राज्यों का राजस्व भी गिरा है। इसकी मुख्य वजह गैर-कर राजस्व में कमी, कर राजस्व में विकास की धीमी दर तथा कुछ अन्य कारण हैं। जहां तक खर्च घटने का सवाल है, तो एजेंसी ने कहा है कि इनमें से कई राज्यों में श्रम कानूनों में सुधार नहीं हुए और वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल नहीं हुआ। इसके अलावा कृषि कर्ज के मद में भुगतान और नई योजनाओं के अटकने से भी राज्यों के खर्च में कमी आई।

सीएजी के प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर एजेंसी का यह भी अनुमान है कि इन 13 राज्यों का कुल कर-राजस्व इस वर्ष मार्च में खत्म वित्त वर्ष के दौरान सुधरकर 10.1 फीसद रहेगा, जो उससे पिछले वित्त वर्ष के आखिर में 7.7 फीसद था। एजेंसी ने यह भी कहा है कि ई-वे बिल के राष्ट्रीय स्तर पर अनुपालन शुरू होने के बाद राज्यों के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में सुधार होने की पूरी उम्मीद है।

राजकोषीय घाटे का कम से कम स्तर पर होना सबसे आदर्श स्थिति होती है। इस लिहाज से यह स्थिति इन राज्यों के लिए बेहतर ही है। लेकिन पूंजीगत खर्च के तय लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाने या उसमें कटौती करने का मतलब यह भी होता है कि उन राज्यों में घोषित विकास कार्यो व अन्य परियोजनाओं पर उचित खर्च नहीं हो पाया, जो अच्छी बात नहीं है।

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