इक्विटी निवेशकों के लिए बढिय़ा रहेगा 2016

अगले पांच वर्षों में भारतीय शेयर बाजारों में घरेलू निवेश की सुनामी दिखाई देगी। एफपीआइ की चिंता न करें। वे केवल भारत जैसे उपयुक्त माहौल वाली जगहों पर ही निवेश करेंगे।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 14 Dec 2015 12:16 PM (IST) Updated:Mon, 14 Dec 2015 12:42 PM (IST)
इक्विटी निवेशकों के लिए बढिय़ा रहेगा 2016

अगले पांच वर्षों में भारतीय शेयर बाजारों में घरेलू निवेश की सुनामी दिखाई देगी। एफपीआइ की चिंता न करें। वे केवल भारत जैसे उपयुक्त माहौल वाली जगहों पर ही निवेश करेंगे।

सबसे ज्यादा मुनाफा तभी होता है जब गिरावट के वक्त शेयरों की खरीद की जाए। कहा भी गया है कि आंधी के बाद ही सबसे ज्यादा फल बीनने को मिलते हैं।

पिछले कुछ महीनों में बाजार में अस्थिरता के बावजूद एक निवेशक के नजरिये से मेरा मानना है कि 2016 बड़ी संभावनाओं वाला वर्ष होगा। इस दौरान तेजी के अगले दौर की भूमिका तैयार हो सकती है। हालांकि, ग्लोबल आर्थिक हालात अब भी अनिश्चित बने हुए हैं। परंतु भारत के सुगम आर्थिक वातावरण में प्रवेश करने से बाजार को नई ऊंचाइयां प्राप्त होने की पूरी संभावना है।

वर्ष 2016 में मुद्रास्फीति में कमी आने से ब्याज दरों में 100 बेसिस प्वाइंट (एक फीसद) से अधिक की गिरावट आ सकती है। इसके अलावा राजकोषीय व चालू खाते की स्थिति और सुदृढ़ होगी तथा कॉरपोरेट आय में वृद्धि का सिलसिला तेज होगा। ऐसे में इस बात की भी पूरी संभावना है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि की दर चीन की जीडीपी दर को पार कर जाएगी।

इसके अलावा यह एक ऐसा वर्ष भी होगा जिसमें सरकार सुधारों की रफ्तार बढ़ाने में सफल रहेगी। पिछले सुधारों का असर भी दिखाई देगा। वैसे 2016 में भी बाजार अस्थिरता का शिकार हो सकता है। लेकिन तो भी शेयर खरीदने का इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता। वजह यह है कि सबसे ज्यादा मुनाफा तभी होता है जब गिरावट के वक्त शेयरों की खरीद की जाए। कहा भी गया है कि आंधी के बाद ही सबसे ज्यादा फल बीनने को मिलते हैं। फिर इक्विटी सबसे बढिय़ा असेट श्रेणी है और धैर्य का लाभ सदैव मिलता है।

असेट आवंटन की रणनीति

असेट आवंटन के लिहाज से जोखिम से बचने वाले रूढ़ निवेशकों को 40 फीसद आवंटन इक्विटी में (जिसमें से 30 फीसद बड़ी कंपनियों में) तथा 60 फीसद फिक्स्ड इनकम तथा अन्य असेट्स में करना चाहिए। हल्का-फुल्का जोखिम झेलने को तैयार रहने वाले निवेशकों के लिए 65 फीसद आवंटन इक्विटी में (इसका 40 फीसद बड़ी कंपनियों में) करने की सलाह दी जाती है। जबकि आक्रामक व जोखिम पसंद निवेशकों को 90 फीसद असेट्स का आवंटन इक्विटी में (इसमें से 50 फीसद बड़ी कंपनियों में) करना चाहिए।

मोदी प्रीमियम

विराट संभावनाओं के बावजूद भारतीय निवेशक 1994 से ही शेयरों की बिकवाली में मशगूल हैं। तब पहली बार एफआइआइ को निवेश की अनुमति दी गई थी। परिणामस्वरूप अब खुदरा निवेशक बाजार द्वारा सृजित मात्र आठ फीसद पूंजी के मालिक हैं। इसके पीछे की त्रासदी और भी भयानक है। हमारे निवेशकों ने मात्र 7-9 फीसद रिटर्न देने वाले सोना, मकान और फिक्स्ड डिपॉजिट खरीदने के लिए 14-15 फीसद रिटर्न देने वाली इक्विटियों को बेच दिया है।

लिहाजा हमें इक्विटियों के प्रति अपना नजरिया बदलना चाहिए। हमें भरोसे के साथ उन्हें वह सम्मान देना चाहिए जिसकी वे हकदार हैं। शेयर बाजारों के बारे में एकाकी नजरिये के बजाय व्यापक नजरिया अपनाए जाने की जरूरत है। हमें समझना होगा कि कुल मिलाकर इक्विटियों से हमें सर्वाधिक रिटर्न मिलता है। हमारी निगाह अस्थिरता के बजाय अवसर पर होनी चाहिए। मुझे लगता है कि अगले पांच वर्षों में भारतीय शेयर बाजारों में घरेलू निवेश की सुनामी दिखाई देगी। एफपीआइ की चिंता न करें। वे केवल भारत जैसे उपयुक्त माहौल वाली जगहों पर ही निवेश करेंगे। हाल में मेरे एक सहयोगी ने मुझसे अपनी भावनाएं साझा कीं। उसे भारत के प्रति सकारात्मक नजरिये से कोई तकलीफ नहीं है। लेकिन जिस तरह पूरी दुनिया भारत में निवेश को लेकर उत्सुक दिखाई दे रही है, उसने उसे चिंता में डाल दिया है। उसका कहना है कि भले आज भारत के भविष्य के प्रति सभी एकमत हों। भविष्य में क्या होगा, कौन जानता है? मैं उसकी बात से सहमत हूं। आम राय गलत भी साबित हो सकती है। फिर भी मेरा विश्वास है कि भारत की विकास दर उम्मीद से ज्यादा रहेगी।

अमर अंबानी

हेड ऑफ रिसर्च आइआइएफएल

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