Step by Step Guide: जानिए Life Insurance के क्‍लेम की क्‍या है प्रक्रिया, नहीं होगी परेशानी

एक जरूरी काम हममें से ज्‍यादातर लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेने वाले नहीं करते और वह है अपने परिवार को इस बात की जानकारी देना कि इसका क्‍लेम कैसे किया जाता है

By Manish MishraEdited By: Publish:Tue, 21 May 2019 01:07 PM (IST) Updated:Fri, 24 May 2019 10:17 AM (IST)
Step by Step Guide: जानिए Life Insurance के क्‍लेम की क्‍या है प्रक्रिया, नहीं होगी परेशानी
Step by Step Guide: जानिए Life Insurance के क्‍लेम की क्‍या है प्रक्रिया, नहीं होगी परेशानी

नई दिल्‍ली (बिजनेस डेस्‍क)। Life Insurnace कवर लेना हर कमाऊ व्‍यक्ति के लिए जरूरी है ताकि उसके न रहने की दशा में परिवार को आर्थिक परेशानियों का सामना न करना पड़े। मतलब, लाइफ इंश्‍योरेंस उन कठिन परिस्थितियों में परिवार का आर्थिक मददगार होता है जब पॉलिसी धारक की मृत्‍यु हो जाती है। हालांकि, एक जरूरी काम हममें से ज्‍यादातर लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेने वाले नहीं करते और वह है अपने परिवार को इस बात की जानकारी देना कि इसका क्‍लेम कैसे किया जाता है और किन-किन डॉक्‍यूमेंट्स की जरूरत पड़ेगी। आज हम आपको लाइफ इंश्‍योरेंस क्‍लेम करने के प्रोसेस के बारे में विस्‍तार से बताएंगे। 

क्‍या है लाइफ इंश्‍योरेंस क्‍लेम करने का प्रोसेस? 

सबसे अहम दस्‍तावेज है लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी का बॉन्‍ड। पॉलिसी धारक की मौत होने की दशा में परिवार के किसी भी व्‍यक्ति को पॉलिसी नंबर, पॉलिसी धारक का नाम, मृत्‍यु की तारीख, मृत्‍यु की जगह और तारीख जैसी जानकारी लिखित में बीमा कंपनी को देनी चाहिए। इसके लिए आप बीमा कंपनी की नजदीकी शाखा या इंश्‍योरेंस कंपनी की वेबसाइट से फॉर्म डाउन लोड कर सकते हैं। 

क्‍लेम के लिए इन डॉक्‍यूमेंट्स की होगी जरूरत

लाइफ इंश्‍योरेंस का क्‍लेम फॉर्म जमा करते समय, डेथ सर्टिफिकेट, पॉलिसी धारक का उम्र प्रमाण, पॉलिसी दस्तावेज, डीड्स ऑफ असाइनमेंट आदि दस्‍तावेज दाखिल करने होते हैं। यदि किसी पॉलिसी धारक की मृत्‍यु, लाइफ इंश्योरेंस खरीदने के 3 साल के भीतर हो जाती है तो ऐसे मामले में कुछ अतिरिक्त डॉक्‍यूमेंट्स भी देने पड़ते हैं। इनमें - अस्पताल का प्रमाणपत्र यदि मृत व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती किया गया था, घटना के दौरान उपस्थित व्यक्ति से दाह-संस्कार या दफन का प्रमाणपत्र, नियोक्ता का प्रमाणपत्र यदि मृत व्यक्ति नौकरी करता था, बीमारी के विवरणों का उल्लेख करते हुए एक मेडिकल अटेंडेंट का प्रमाणपत्र आदि शामिल है.  

सही तरीके से क्‍लेम करने पर 30 दिनों के भीतर होगा सेटलमेंट 

IRDAI के नियमों के अनुसार, लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनियों को बीमे की रकम क्लेम करने की तारीख के 30 दिनों के भीतर जारी करनी होगी. यदि इंश्योरेंस कंपनी को क्‍लेम के मामले में अतिरिक्‍त चांज करने की जरूरत हो तो बीमे की रकम देने की प्रक्रिया, क्लेम प्राप्त होने के बाद 6 महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए. 

मैच्योरिटी पर कैसे करें लाइफ इंश्‍योरेंस का क्लेम 

जब पॉलिसी धारक अपनी पॉलिसी के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद भी जीवित रहता है तो उसे मैच्‍योरिटी का लाभ मिलता है। पॉलिसी मैच्‍योर होने से कुछ दिन पहले लाइफ इंश्योरेंस कंपनी आपको एक पॉलिसी डिस्चार्ज फॉर्म भेज सकती है। इस फॉर्म को अच्‍छे से भरें और इंश्योरेंस कंपनी के पास इसे जमा करते समय, फॉर्म में बताए गए डॉक्‍यूमेंट्स भी लगाए। ऐसे डॉक्‍यूमेंट्स में ओरिजिनल पॉलिसी डॉक्‍यूमेंट, आइडेंटिटी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ की कॉपी शामिल हैं। मैच्योरिटी से कम से कम पांच से सात दिन पहले बैंक मैंडेट फॉर्म जरूर भर डालिए। 

वेरिफिकेशन 

डॉक्‍यूमेंट्स मिलने के बाद लाइफ इंश्योरेंस कंपनी आपके द्वारा दी गई जानकारियों को वेरिफाई करती है। सभी दस्तावेज सही पाए जाने पर, मैच्योरिटी लाभ की राशि का भुगतान कर दिया जाता है।

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