मेडिक्लेम खरीदने के बाद हुई बीमारी बीमा कवर के दायरे में आएगी!

बता दें कि बीमा नियामक इरडा ने इस साल जुलार्इ में यह पैनल गठित किया था।

By NiteshEdited By: Publish:Fri, 09 Nov 2018 01:29 PM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 08:20 PM (IST)
मेडिक्लेम खरीदने के बाद हुई बीमारी बीमा कवर के दायरे में आएगी!
मेडिक्लेम खरीदने के बाद हुई बीमारी बीमा कवर के दायरे में आएगी!

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बीमा नियामक इरडा के एक पैनल ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के ग्राहकों के हक में एक सुझाव दिया है जिसके तहत, कोई व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने के बाद अगर पार्किंसंस, एड्स/एचआईवी संक्रमण, अल्जाइमर जैसी बीमारियों की चपेट में आता है तो पॉलिसी के तहत इन्हें कवर किया जाए या नहीं।

इसके अलावा 17 अन्य बीमारियों की भी सूची दी गई है, इनमें किडनी के पुराने रोग, हेपेटाइटिस बी, अल्जाइमर, मिर्गी और एचआईवी/एड्स शामिल हैं। जिन्हें हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से बाहर रखा जा सकता है। बता दें कि बीमा नियामक इरडा ने इस साल जुलार्इ में यह पैनल गठित किया था।

पैनल का सुझाव है कि अगर पॉलिसी को लगातार 8 साल तक रिन्यू कराया जाता है तो क्लेम को तथ्यों को छुपाने के आधार पर खारिज करना अनुचित होगा। नियामक ने जो सबसे जरूरी सुझाव दिया है वह यह है कि शराब और मादक पदार्थों के उपयोग से होने वाली बीमारियों को बीमा के दायरे से बाहर रखने के नियमों की भी समीक्षा होनी चाहिए।

मालूम हो कि अभी देश में करीब 24 लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, 27 जनरल इंश्योरेंस कंपनी और सात अलग हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी हैं। हेल्थ इंश्योरेंस को जनरल इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी बेचती हैं। जबकि लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लंबी अवधि के बेनिफिट प्लान की बिक्री करती हैं।

जानकारी के मुताबिक, देश में कुल हेल्थ इंश्योरेंस कारोबार में करीब 58 फीसद सरकारी कंपनियों के नियंत्रण में है। 21 फीसद कारोबार निजी जनरल इंश्योरेंस फर्मों के खाते में जाता है। बाकी पर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का कब्जा है।

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