कैसे हासिल करें अपने वित्तीय लक्ष्य, जानिए तरीका

जानिए किस तरह आप अपने वित्तीय लक्ष्य हो प्रापत कर सकते हैं

By Surbhi JainEdited By: Publish:Sun, 30 Apr 2017 03:53 PM (IST) Updated:Sun, 30 Apr 2017 03:53 PM (IST)
कैसे हासिल करें अपने वित्तीय लक्ष्य, जानिए तरीका
कैसे हासिल करें अपने वित्तीय लक्ष्य, जानिए तरीका

नई दिल्ली (धीरेंद्र कुमार, वैल्यु रिसर्च)। वित्तीय लक्ष्य को प्राप्त करने या उस दिशा में बढ़ने के लिए पता होना जरूरी है कि बचत की खातिर कितना धन उपलब्ध है। साथ ही यह लक्ष्य किस तरह का है। अगर लक्ष्यों को परिभाषित करना बहुत बड़ा काम लगता है, वैसे होना नहीं चाहिए, तो आसान तरीके भी उपलब्ध हैं।

ऐसा करने का पारंपरिक तरीका यह है कि आय को चार टोकरियों में विभाजित कर दें। इन टोकरियों को उस समय के आधार पर बांटा जाना चाहिए जब पैसों की जरूरत होगी। चलिए, इसे लंबी समयावधि से शुरू करते हैं। पहली टोकरी वह है जहां आप 7, 10, 15 या उससे भी ज्यादा साल की आवश्यकताओं को रखते हैं।

आपकी उम्र के आधार पर यह सेवानिवृत्ति, बच्चों की शिक्षा या कुछ और हो सकता है। महत्वपूर्ण बात इन जरूरतों की समयसीमा है। यह समयसीमा आम तौर पर इतनी लंबी होती है कि आपको सटीक राशि की आवश्यकता के बारे में पूर्वानुमान करना कठिन हो सकता है। अगर आपका बच्चा अभी पांच साल का है, तो उसकी शिक्षा की लागत अब से 12 या 13 साल के बाद क्या होगी, यह कहना मुश्किल है। निर्भर करता है कि वह किस तरह की शिक्षा चाहता है और प्राइसिंग में कितना बदलाव होता है। आप इस बारे में थोड़ा ही अनुमान लगा सकते हैं कि यह एक चौंकाने वाली ऊंची संख्या होगी।

दूसरी टोकरी कुछ छोटी अवधि के लिए है। कह सकते हैं करीब पांच साल तक। ये ऐसे खर्च हो सकते हैं जिनका पूर्वानुमान थोड़ा विश्वास के साथ किया जा सकता है। मसलन आप जानते हैं कि आपको पांच साल में एक मकान खरीदना है और उसके लिए अग्रिम राशि का भुगतान करना होगा। ऐसे ही आप जानते हैं कि तीन से चार वर्षो में आपकी कार काफी पुरानी हो जाएगी और नई की जरूरत होगी। ये जरूरतें इस तरह की हैं जिनकी अवधि और राशि के बारे में ठोस अनुमान लगाया जा सकता है।

तीसरी टोकरी तात्कालिक जरूरतों और आपातकालीन फंड की है। इन टोकरियों को बनाने के पारंपरिक तरीके के विपरीत, मैं आपके चालू खर्च के लिए अलग टोकरी नहीं बना रहा हूं, क्योंकि यह एक अंतर्निहित श्रेणी है। आपातकालीन कोष को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं।

चौथी टोकरी अलग तरह की है जिसमें वैधानिक कर-बचत निवेश शामिल हैं। यह अजीब है क्योंकि वास्तव में इसे पहली दो टोकरियों में शामिल किया जा सकता है। हालांकि, इसे अलग करके देखना चाहिए क्योंकि यह करों की बचत से जुड़ा है। इस तरह यह अपने में ही कमाई के बराबर है।

एक बार जब आप विभिन्न टोकरियों के बारे में स्पष्ट हो जाएंगे जिनमें आपकी बचत को जाना है तो यह भी साफ हो जाएगा कि किस तरह के निवेश किस टोकरी में जाएंगे। पहली टोकरी के लंबे समय केक्षितिज को देखते हुए, केवल इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए। हालांकि, इक्विटी फंड अल्पावधि में अस्थिर हो सकते हैं, केवल यही लंबे समय में महंगाई को मात और पर्याप्त रिटर्न देने में सक्षम हैं। छोटी अवधि वाली टोकरी के लिए, आपको हाइब्रिड या डेट फंड देखने चाहिए। वे कम अस्थिर होते हैं और बैंक जमाओं की तुलना में टैक्स को लेकर ज्यादा बचत करते हैं। तीसरी यानी तत्काल जरूरतों वाली टोकरी के लिए बैंक जमा ज्यादातर लोगों की खातिर स्वाभाविक रास्ता है।

अगर आप इसे प्रबंधित करने में थोड़ा प्रयास कर सकते हैं, तो अन्य बेहतर विकल्प हैं। हाल ही में लिक्विड फंड में पैसा लगाने और रिडीम करने के लिए कई एप आधारित सिस्टम शुरू हुए हैं। ये आपके धन को बहुत आसानी से और गति के साथ चला सकते हैं। फिलहाल अंत में, अपने भविष्य की वित्तीय जरूरतों पर पकड़ बनाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि विशिष्ट लक्ष्यों की पहचान करें और उसी के अनुरूप योजना बनाएं। शुरुआती विकल्प के रूप में, ऊपर बताया गया चार टोकरियों वाला तरीका बुरा नहीं है।

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