Budget 2020: कैसा रहा मोदी सरकार का शिक्षा बजट, जानें विशेषज्ञ की राय

Budget 2020 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कई बड़ी घोषणाएं कीं। इसको लेकर शिक्षा क्षेत्र के लोगों में मिली जुली राय देखने को मिल रही है। जानें विशेषज्ञ की राय

By Rajat SinghEdited By: Publish:Sat, 01 Feb 2020 07:08 PM (IST) Updated:Sat, 01 Feb 2020 07:15 PM (IST)
Budget 2020: कैसा रहा मोदी सरकार का शिक्षा बजट, जानें विशेषज्ञ की राय
Budget 2020: कैसा रहा मोदी सरकार का शिक्षा बजट, जानें विशेषज्ञ की राय

नई दिल्ली, [ रजत सिंह ]। Budget 2020: शिक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार ने जोर दिया है। वित्तीय वर्ष 2020- 2021 में इस क्षेत्र को कुल 99,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कई बड़ी घोषणाएं की हैं। इसमें नई शिक्षा नीति से लेकर विदेशी निवेश के दरवाजे खोलने तक की बातें की गई हैं। नए कोर्सेस और नए विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा भी की गई है। इसको लेकर शिक्षा क्षेत्र के लोगों में मिली-जुली राय देखने को मिल रही है।

कहीं उम्मीद, तो कहीं निराशा

मोदी सरकार के शिक्षा बजट को लेकर प्रो. सजंय द्विवेदी को शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की संभावना दिखती है। वह कहते हैं, 'मुझे लगता है कि यह पहली सरकार है, जिसने शिक्षा को लेकर इतनी गंभरीता से सोचा है। केंद्र सरकार का शिक्षा का बजट निरंतर कम होता जा रहा था। पिछली बार देखा गया कि तमाम केंद्रीय विश्वविद्यालयों के बजट में कटौती की गई थी। इस बार के बजट से शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊर्जा आएगी।'

वहीं, शिक्षाविद डॉ. टी.एन. ओझा इससे इतर राय रखते हैं। डॉ. ओझा कहते हैं, 'शिक्षा में निवेश लॉन्ग टर्म होता है। आज बच्चा पढ़ेगा, तो वह कल देश के लिए जीडीपी की ग्रोथ बढ़ाएगा। बेहतर शिक्षा देना सरकार का काम है। इस सेक्टर को प्राइवेट हाथों में देना उचित नजर नहीं आ रहा है। प्राइवेट सेक्टर सिर्फ अपना मुनाफा देखेगा। शिक्षा बजट पूरे बजट का 2.25 फीसदी है, जबकि कम से कम 6 फीसदी होना चाहिए। सरकार को इस क्षेत्र में और निवेश करना चाहिए।'

एफडीआई पर हो सोच विचार कर फैसला 

शिक्षा में एफडीआई के मामले पर  प्रो. द्विवेदी कहते हैं, 'एफडीआई को लेकर कई तरह के विरोध भी हैं। सरकार को जिन क्षेत्रों में एफडीआई की आवश्यकता है, उसमें करना चाहिए। हालांकि, इस मामले पर सरकार को सोच- विचार कर काम करना चाहिए। ऐसा ना हो कि परंपरागत ढांचा भी नष्ट हो जाए और हम कोई नई चीज़ भी खड़ी ना कर पाएं। हमारे परंपरागत शिक्षण संस्थानों को बचाए रखते हुए, कोई काम होना चाहिए।'

कुछ अच्छी घोषणाएं भी

शिक्षाविद डॉ. टी.एन. ओझा कहते हैं, 'मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यायल और नए शिक्षण संस्थानों को खोलने की बात स्वागत योग्य है। इस बजट में कुछ अच्छी घोषणाएं हुई हैं। हालांकि, सवाल है कि क्या  इन घोषणाओं को लेकर बजट पर्याप्त है? जिसके लिए आप प्राइवेट निवेश की बात कर रहे हैं। इस विषय पर सरकार को सोचना चाहिए।' 

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